“मुझे एक सम्पूर्ण राजनीतिज्ञ बनना है। इसके लिए मुझे एकाध चुनाव हारने पड़ेंगे। अगर मैं चुनाव नहीं हारता हूँ तो मैं एक अच्छा नेता नहीं बन पाऊँगा। मैं हार से डरता नहीं हूँ। ये मेरी ज़िंदगी का हिस्सा है।“- ये पंक्तियाँ पहली बार सांसद बने एक ऐसे व्यक्ति की है, जो इसके 12 साल बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष बना। ये इंटरव्यू उन्होंने ‘तहलका’ में दिया था, जिससे कांग्रेस की फजीहत हुई थी और तरुण तेजपाल को कहा गया कि वो इसे फेक साबित कर दें।
ये इंटरव्यू ‘तहलका’ के लिए विजय सिम्हा ने लिया था। बाद में ‘ज़ी न्यूज़’ से बात करते हुए उन्होंने बताया था कि ‘तहलका’ के संपादक तरुण तेजपाल ने राहुल गाँधी के 2005 के इस इंटरव्यू को दबा दिया था। सेक्स स्कैंडल में फँसे तरुण तेजपाल फ़िलहाल जेल में हैं। विजय सिम्हा ने कहा था कि शुरुआत में तरुण तेजपाल की आवाज़ में दम होता था और बैठक वगैरह में वो काफी प्रभाव डालते थे।
उन्होंने बताया कि वो 2005 में राहुल गाँधी से मिले थे, जो उस समय नए-नए राजनीति में आए थे और उन्होंने कांग्रेस व राजनीति के बारे में काफी चीजें कही थीं। कांग्रेस की समस्याओं पर भी उस इंटरव्यू में बात हुई थी। बकौल विजय सिम्हा, उस समय कई लोग कांग्रेस में इस चिंता में पड़ गए थे कि उनकी ‘नौकरी’ चली जाएगी और वो कहने लगे थे कि ये किस व्यक्ति से बात कर लिया, ये तो नशेड़ी है।
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद तरुण तेजपाल दबाव में आ गए। पहले तो उन्होंने डिफेंड किया कि उनके पत्रकार ने कुछ भी गलत नहीं किया है और सब ठीक है लेकिन बाद में वो अचानक से पलट गए। सिम्हा बताते हैं कि इस प्रकरण के कारण ही उनके मन में पहली बार तेजपाल को लेकर शंका हुई। बाद में पत्रकार विजय सिम्हा पर ही आरोप लगाए गए कि उन्होंने स्टिंग कर दिया या फिर काल्पनिक बातचीत को छाप दिया।
जबकि सिम्हा इन बातों को नकारते हैं। वो कहते हैं कि इन आरोपों की कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया था कि तरुण ने इस स्टोरी को ‘किल’ कर दिया, दबा दिया। उनके अनुसार ऐसे कई पत्रकार थे, लेकिन हाथ में चीजें न होने के कारण वो कुछ कर नहीं पाते थे। नीचे संलग्न ‘ज़ी न्यूज़’ के वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे विजय सिम्हा ने उस इंटरव्यू को दबाए जाने के बारे में खुलासा किया।
क्या कहा था राहुल गाँधी ने तहलका के इंटरव्यू में
ट्विटर पर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की ट्रेजरर शीला भट्ट ने इस इंटरव्यू के स्क्रीनशॉट्स शेयर किए और कहा कि उनकी आलमारी से ये राहुल गाँधी का पुराना इंटरव्यू निकल आया है, जो काफी प्रभावी है। सितम्बर 2005 के इस इंटरव्यू के बारे में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के पत्रकार दीप्तिमान तिवारी ने याद दिलाया कि कैसे इस इंटरव्यू को दबाने के लिए कांग्रेस ने ‘तहलका’ पर भारी दबाव बनाया था।
तिवारी ने याद दिलाया कि कैसे कांग्रेस पार्टी के आगे झुकते हुए ‘तहलका’ ने इसे पहले अनौपचारिक बातचीत करार दिया। तब मैगजीन की ओर से कहा गया था कि ये तो सिर्फ एक बातचीत है, जिसे इंटरव्यू समझा जा रहा है लेकिन ये इंटरव्यू तो है ही नहीं। और तो और, इंटरव्यू लेने वाले विजय सिम्हा को बेइज्जत तक किया गया। दरअसल, उस इंटरव्यू में राहुल गाँधी ने ऐसी-ऐसी बातें की थीं कि कांग्रेस पार्टी की खासी फजीहत हुई थी।
साभार : ZeeNews
राहुल गाँधी ने इस इंटरव्यू की शुरुआत भारत को नंबर-1 बनाने की बात से की थी और कहा था कि इसके लिए 30 से कम उम्र वाले हर युवा को कोशिश करना होगा और वो इतिहास दोहराने का रिस्क नहीं ले सकते। नीचे हम बिंदुवार तरीके से राहुल गाँधी द्वारा दिए गए बयानों को उनके शब्दों में हूबहू पेश कर रहे हैं। इसके बाद आप समझ सकते हैं कि कॉन्ग्रेस ने इसे दबाने के लिए क्यों इतना प्रयास किया:
*अमेठी में काफी मुद्दे हैं। मैं तो सिर्फ एक सांसद हूँ। मुझे MPLAD फण्ड में 2 करोड़ रुपए मिलते हैं। इससे मैं ज्यादा से ज्यादा 8 किलोमीटर सड़क बना सकता हूँ। लेकिन हम अमेठी में 500 किलोमीटर सड़क बनाने में सक्षम हुए हैं। इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं? कुछ भी तो नहीं। मैं अपने प्रभाव का उपयोग कर के मंत्रियों के सामने हाथ जोड़ कर कह सकता हूँ कि ‘भैया, ये कर दो’ और काम हो सकता है।
*उत्तर प्रदेश और बिहार अलग ही कैटेगरी में आते हैं। यहाँ सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। (ये पूछे जाने पर कि कांग्रेस फिर भी मुलायम सिंह यादव की सरकार का समर्थन क्यों कर रही है): ये ऐसा नहीं चलेगा। मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं इसे लेकर कुछ करूँगा।
*(मुलायम और लालू के समर्थन पर): मैं घूम-घूम कर लोगों को नहीं कह सकता कि मुलायम और लालू का क्या करना है। इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शामिल हैं। वही ये सब निर्णय लेते हैं। ये एक जटिल मुद्दा है। इसे छोड़ कर विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
*(अमेठी में कैसे काम करते हैं): मैं NGO के माध्यम से काम करता हूँ और मीडिया की इसमें कोई रूचि नहीं है। भारत 150 करोड़ लोगों का देश है। मीडिया चाहता है कि सब कुछ कल ही चुटकियों में हो जाए। ऐसा नहीं होता है। आप एक महीने बाद अमेठी आएँगे तो पाएँगे कि हर कांग्रेस नेता एक-दो छात्रों को पढ़ा रहा है। मेरा यही तरीका है।
*(शिक्षा में आईटी के उपयोग पर): आईटी को लेकर मीडिया में कुछ ज्यादा ही हाइप है। मुझे इसका प्रभाव एक सीमित क्षेत्र में ही दिख रहा। कर्नाटक व तमिलनाडु में अच्छे कार्य हो रहे लेकिन हर जगह ऐसी स्थिति नहीं है।
*मुझे कोई कहता है कि आप फेल हो रहे हो तो मैं कहता हूँ कि ये ठीक है। उत्तर प्रदेश में कहीं कुछ भी अच्छा हो रहा है तो ये मेरी सफलता है। देश में कोई भी सांसद इतना काम नहीं कर रहा, जितना मैं कर रहा हूँ।
*दम्भ को लेकर मेरा पहला पाठ मुझे यूके में एक बाथरूम में मिला, जब मैं एक कम्पनी में काम करता था। (एक अजीब कहानी जो समझ नहीं आई।)
कांग्रेस वर्किंग कमिटी का सदस्य होकर मैं प्रधानमंत्री को नहीं बोल सकता कि आप क्या करो और क्या नहीं। मैं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को कुछ करने, न करने नहीं बोल सकता हूँ।
*लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं विदेश क्यों जाता हूँ। मैं बने-बनाए ढर्रे पर राजनीति करने नहीं बल्कि उसे बदलने आया हूँ। मैं अलग-अलग देशों के लोगों से मिलूँगा, वो हमसे हमारी समस्याओं के बारे में पूछते हैं, उसके समाधान पर बात होती है।
राहुल गाँधी इस इंटरव्यू में काफी कन्फ्यूज नज़र आ रहे हैं। वो खुद को लाचार दिखाने के लिए कहते हैं कि उनके पास फंड्स नहीं है, वो विदेश आना-जाना जारी रखेंगे क्योंकि इससे भारत का फायदा है, पीएम व मंत्रियों को वो कुछ करने, न करने को नहीं बोल सकते। वो ये भी कहते हैं कि हाथ जोड़ के निवेदन कर सकते हैं। लालू-मुलायम के समर्थन पर भी वो कुछ-कुछ बोलते हैं। बाथरूम वाली कहानी क्या थी, ये हमारे समझ में अब तक नहीं आई।
इन्हीं कारणों से कांग्रेस ने इसे दबा दिया और इसके लिए तरुण तेजपाल का सहारा लिया। विजय सिम्हा ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि वो सीनियर एडिटर थे लेकिन रिपोर्ट तो तेजपाल को ही करते थे, इस कारण वो कुछ नहीं कर पाए। एक पत्रकार की मेहनत को एक पार्टी विशेष को खुश करने के लिए दबा दिया गया। हालाँकि खुलासा तो यह भी होना चाहिए कि किन कांग्रेस नेताओं ने राहुल गाँधी को नशेड़ी बताते हुए कहा था कि ये कुछ भी बोलते रहते हैं।
ये इंटरव्यू ‘तहलका’ के लिए विजय सिम्हा ने लिया था। बाद में ‘ज़ी न्यूज़’ से बात करते हुए उन्होंने बताया था कि ‘तहलका’ के संपादक तरुण तेजपाल ने राहुल गाँधी के 2005 के इस इंटरव्यू को दबा दिया था। सेक्स स्कैंडल में फँसे तरुण तेजपाल फ़िलहाल जेल में हैं। विजय सिम्हा ने कहा था कि शुरुआत में तरुण तेजपाल की आवाज़ में दम होता था और बैठक वगैरह में वो काफी प्रभाव डालते थे।
उन्होंने बताया कि वो 2005 में राहुल गाँधी से मिले थे, जो उस समय नए-नए राजनीति में आए थे और उन्होंने कांग्रेस व राजनीति के बारे में काफी चीजें कही थीं। कांग्रेस की समस्याओं पर भी उस इंटरव्यू में बात हुई थी। बकौल विजय सिम्हा, उस समय कई लोग कांग्रेस में इस चिंता में पड़ गए थे कि उनकी ‘नौकरी’ चली जाएगी और वो कहने लगे थे कि ये किस व्यक्ति से बात कर लिया, ये तो नशेड़ी है।
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद तरुण तेजपाल दबाव में आ गए। पहले तो उन्होंने डिफेंड किया कि उनके पत्रकार ने कुछ भी गलत नहीं किया है और सब ठीक है लेकिन बाद में वो अचानक से पलट गए। सिम्हा बताते हैं कि इस प्रकरण के कारण ही उनके मन में पहली बार तेजपाल को लेकर शंका हुई। बाद में पत्रकार विजय सिम्हा पर ही आरोप लगाए गए कि उन्होंने स्टिंग कर दिया या फिर काल्पनिक बातचीत को छाप दिया।
जबकि सिम्हा इन बातों को नकारते हैं। वो कहते हैं कि इन आरोपों की कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया था कि तरुण ने इस स्टोरी को ‘किल’ कर दिया, दबा दिया। उनके अनुसार ऐसे कई पत्रकार थे, लेकिन हाथ में चीजें न होने के कारण वो कुछ कर नहीं पाते थे। नीचे संलग्न ‘ज़ी न्यूज़’ के वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे विजय सिम्हा ने उस इंटरव्यू को दबाए जाने के बारे में खुलासा किया।
क्या कहा था राहुल गाँधी ने तहलका के इंटरव्यू में
ट्विटर पर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की ट्रेजरर शीला भट्ट ने इस इंटरव्यू के स्क्रीनशॉट्स शेयर किए और कहा कि उनकी आलमारी से ये राहुल गाँधी का पुराना इंटरव्यू निकल आया है, जो काफी प्रभावी है। सितम्बर 2005 के इस इंटरव्यू के बारे में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के पत्रकार दीप्तिमान तिवारी ने याद दिलाया कि कैसे इस इंटरव्यू को दबाने के लिए कांग्रेस ने ‘तहलका’ पर भारी दबाव बनाया था।
तिवारी ने याद दिलाया कि कैसे कांग्रेस पार्टी के आगे झुकते हुए ‘तहलका’ ने इसे पहले अनौपचारिक बातचीत करार दिया। तब मैगजीन की ओर से कहा गया था कि ये तो सिर्फ एक बातचीत है, जिसे इंटरव्यू समझा जा रहा है लेकिन ये इंटरव्यू तो है ही नहीं। और तो और, इंटरव्यू लेने वाले विजय सिम्हा को बेइज्जत तक किया गया। दरअसल, उस इंटरव्यू में राहुल गाँधी ने ऐसी-ऐसी बातें की थीं कि कांग्रेस पार्टी की खासी फजीहत हुई थी।
साभार : ZeeNews
राहुल गाँधी ने इस इंटरव्यू की शुरुआत भारत को नंबर-1 बनाने की बात से की थी और कहा था कि इसके लिए 30 से कम उम्र वाले हर युवा को कोशिश करना होगा और वो इतिहास दोहराने का रिस्क नहीं ले सकते। नीचे हम बिंदुवार तरीके से राहुल गाँधी द्वारा दिए गए बयानों को उनके शब्दों में हूबहू पेश कर रहे हैं। इसके बाद आप समझ सकते हैं कि कॉन्ग्रेस ने इसे दबाने के लिए क्यों इतना प्रयास किया:
*अमेठी में काफी मुद्दे हैं। मैं तो सिर्फ एक सांसद हूँ। मुझे MPLAD फण्ड में 2 करोड़ रुपए मिलते हैं। इससे मैं ज्यादा से ज्यादा 8 किलोमीटर सड़क बना सकता हूँ। लेकिन हम अमेठी में 500 किलोमीटर सड़क बनाने में सक्षम हुए हैं। इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं? कुछ भी तो नहीं। मैं अपने प्रभाव का उपयोग कर के मंत्रियों के सामने हाथ जोड़ कर कह सकता हूँ कि ‘भैया, ये कर दो’ और काम हो सकता है।
*उत्तर प्रदेश और बिहार अलग ही कैटेगरी में आते हैं। यहाँ सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। (ये पूछे जाने पर कि कांग्रेस फिर भी मुलायम सिंह यादव की सरकार का समर्थन क्यों कर रही है): ये ऐसा नहीं चलेगा। मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं इसे लेकर कुछ करूँगा।
*(मुलायम और लालू के समर्थन पर): मैं घूम-घूम कर लोगों को नहीं कह सकता कि मुलायम और लालू का क्या करना है। इसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शामिल हैं। वही ये सब निर्णय लेते हैं। ये एक जटिल मुद्दा है। इसे छोड़ कर विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
*(अमेठी में कैसे काम करते हैं): मैं NGO के माध्यम से काम करता हूँ और मीडिया की इसमें कोई रूचि नहीं है। भारत 150 करोड़ लोगों का देश है। मीडिया चाहता है कि सब कुछ कल ही चुटकियों में हो जाए। ऐसा नहीं होता है। आप एक महीने बाद अमेठी आएँगे तो पाएँगे कि हर कांग्रेस नेता एक-दो छात्रों को पढ़ा रहा है। मेरा यही तरीका है।
*(शिक्षा में आईटी के उपयोग पर): आईटी को लेकर मीडिया में कुछ ज्यादा ही हाइप है। मुझे इसका प्रभाव एक सीमित क्षेत्र में ही दिख रहा। कर्नाटक व तमिलनाडु में अच्छे कार्य हो रहे लेकिन हर जगह ऐसी स्थिति नहीं है।
*मुझे कोई कहता है कि आप फेल हो रहे हो तो मैं कहता हूँ कि ये ठीक है। उत्तर प्रदेश में कहीं कुछ भी अच्छा हो रहा है तो ये मेरी सफलता है। देश में कोई भी सांसद इतना काम नहीं कर रहा, जितना मैं कर रहा हूँ।
*दम्भ को लेकर मेरा पहला पाठ मुझे यूके में एक बाथरूम में मिला, जब मैं एक कम्पनी में काम करता था। (एक अजीब कहानी जो समझ नहीं आई।)
कांग्रेस वर्किंग कमिटी का सदस्य होकर मैं प्रधानमंत्री को नहीं बोल सकता कि आप क्या करो और क्या नहीं। मैं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों को कुछ करने, न करने नहीं बोल सकता हूँ।
*लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं विदेश क्यों जाता हूँ। मैं बने-बनाए ढर्रे पर राजनीति करने नहीं बल्कि उसे बदलने आया हूँ। मैं अलग-अलग देशों के लोगों से मिलूँगा, वो हमसे हमारी समस्याओं के बारे में पूछते हैं, उसके समाधान पर बात होती है।
जनता की प्रतिक्रियाएं :-Congress put such tremendous pressure on Tehelka after this interview that it was withdrawn. Tehelka said this was an informal interaction, mistaken for an interview. Vijay Simha, who took the interview, was gutted. https://t.co/tgH7wDGLir— Deeptiman Tiwary (@DeeptimanTY) August 9, 2020
Probably, the only interview done with honesty. Not through the filters of the darbaaris round him. That is why they had to withdraw it. Tehelka threw Vijay under the bus.— Shobhan Saxena शोभन सक्सेना (@ShobhanSaxena) August 9, 2020
Desh mei Emergency lagane wali Congress Kuch bhi karva Sakti hei— Divyansh (@Yo61398965) August 9, 2020
They sacked everyone bu Pappu and now congres is nothing but a failure.... That's what happens to dynasts 🤷🏻♀️— Ashu 🐩 (@ASHU_apretty98) August 9, 2020
राहुल गाँधी इस इंटरव्यू में काफी कन्फ्यूज नज़र आ रहे हैं। वो खुद को लाचार दिखाने के लिए कहते हैं कि उनके पास फंड्स नहीं है, वो विदेश आना-जाना जारी रखेंगे क्योंकि इससे भारत का फायदा है, पीएम व मंत्रियों को वो कुछ करने, न करने को नहीं बोल सकते। वो ये भी कहते हैं कि हाथ जोड़ के निवेदन कर सकते हैं। लालू-मुलायम के समर्थन पर भी वो कुछ-कुछ बोलते हैं। बाथरूम वाली कहानी क्या थी, ये हमारे समझ में अब तक नहीं आई।
इन्हीं कारणों से कांग्रेस ने इसे दबा दिया और इसके लिए तरुण तेजपाल का सहारा लिया। विजय सिम्हा ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि वो सीनियर एडिटर थे लेकिन रिपोर्ट तो तेजपाल को ही करते थे, इस कारण वो कुछ नहीं कर पाए। एक पत्रकार की मेहनत को एक पार्टी विशेष को खुश करने के लिए दबा दिया गया। हालाँकि खुलासा तो यह भी होना चाहिए कि किन कांग्रेस नेताओं ने राहुल गाँधी को नशेड़ी बताते हुए कहा था कि ये कुछ भी बोलते रहते हैं।
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