देश की तथाकथित सेक्युलर मीडिया का एक बार फिर दोगलापन सामने आया है। शिक्षक भर्ती में अनारक्षित पद को एसटी अभ्यार्थियों से भरने की मांग को लेकर राजस्थान के डूंगरपुर में हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है लेकिन देश तथाकथित सेक्लुयर मीडिया इसे दिखाने और छापने के बजाय विपक्षी पार्टियों द्वारा प्रयोजित किसानों के प्रदर्शन में व्यस्त है। कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में बड़े पैमाने पर हिंसा के बावजूद तथाकथित सेक्युलर मीडिया इसे नहीं दिखा रहा है और इसे लेकर सोशल मीडिया पर इसको लेकर कई प्रकार के सवाल उठाए जा रहे हैं।
राजस्थान में अध्यापक पात्रता परीक्षा को लेकर चल रहा विरोध-प्रदर्शन इतना उग्र हो गया है कि अब अशोक गहलोत की सरकार केंद्र से ‘रैपिड एक्शन फोर्स (RAF)’ की माँग कर रही है। इस विरोध-प्रदर्शन से राजस्थान का उदयपुर और डूंगरपुर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। राज्य के पूरे दक्षिणी हिस्से की क़ानून-व्यवस्था एक तरह से राज्य सरकार के नियंत्रण से बाहर चली गई है।
डूंगरपुर में गोली लगने के कारण शनिवार (सितम्बर 26, 2020) की शाम एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। साथ ही कई घायल भी हुए। इस प्रदर्शन में न सिर्फ सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया, बल्कि कई वाहनों को भी फूँक दिया गया। पुलिस ने कहा है कि उसे रबर की गोलियाँ दागनी पड़ीं। राज्य के पुलिस महानिरीक्षक एमएल लाठड़ को सीएम ने डूंगरपुर भेजा है। सीएम लगातार लोगों से शांति-व्यवस्था बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
राज्यपाल कालराज मिश्र की भी पूरे घटनाक्रम पर नजर है और उन्होंने मुख्यमंत्री से फोन पर बात कर स्थिति के बारे में जाना। गुरुवार की शाम को ये प्रदर्शन तब उग्र हो गया, जब युवाओं ने पुलिस के साथ संघर्ष किया। पुलिस दल पर पथराव के साथ-साथ पुलिस के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया था। जनप्रतिनिधियों ने भी आंदोलनकारी युवाओं के साथ बैठकें की, लेकिन इसका कोई परिणाम निकल नहीं पाया।
प्रदर्शनकारियों की माँग है कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा-2018 में जनजाति बहुल (एसटी) क्षेत्र में रिक्त रहे सामान्य वर्ग के 1167 पदों को जनजाति वर्ग (एसटी) के अभ्यर्थियों से ही भरा जाए और इस पर एससी, ओबीसी या सामन्य वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्ती न होने पाए। सोशल मीडिया से भी भड़काऊ वीडियो जारी कर राजस्थान सरकार को चुनौती दी जा रही है। जंगलों और पहाड़ियों के कारण पुलिस प्रदर्शनकारियों से निपटने में असफल रही है।
हालत इतने बेकाबू हो गए कि शनिवार की रात राज्य सरकार को कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को हेलीकॉप्टर से डूंगरपुर भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालाँकि, सीएम कह रहे हैं कि उनकी सरकार प्रदेश के हर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है तथा समाज के किसी भी वर्ग की कानून-सम्मत व न्यायोचित माँगों पर विचार करने या संवाद के लिए हर समय तैयार है। उन्होंने टीएसपी क्षेत्र के विद्यार्थियों एवं युवाओं से अपील की है कि वे हिंसा को छोड़े और सरकार के समक्ष अपनी बात रखने के लिए आगे आएँ।
ट्विटर यूजर राकेश गोस्वामी ने लिखा कि दक्षिण राजस्थान 3 दिनों से जल रहा है। 4 जिलों में इंटरनेट को निलंबित कर धारा 144 लगा दिया गया है। कई वाहनों को आग लगा दी गई है, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कंट्रोल रूम में 7 आईपीएस अधिकारी कैंप कर रहा हैं फिर भी कोई राष्ट्रीय आक्रोश नहीं हैं।
See @htTweets report on this here: https://t.co/16n7Nmt3Zr
— Rakesh Goswami (@DrRakeshGoswami) September 26, 2020
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— Rakesh Goswami (@DrRakeshGoswami) September 26, 2020
अभिषेक नामक ट्विटर हैंडल से भी लिखा गया है कि वास्तविक विरोध राजस्थान में हो रहा है जहां आदिवासी कांग्रेस सरकार के खिलाफ हैं। 4 जिलों में 1 व्यक्ति की मौत के साथ धारा 144 लागू कर इंटरनेट को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन क्योंकि यह कांगेस शासित है इसलिए मीडिया द्वारा ब्लैक आउट किया गया है।
Actual protest is happening in Rajasthan where tribals are up against Cong govt.
— Abhishek (@AbhishBanerj) September 27, 2020
1 person dead, section 144 imposed in 4 districts, internet suspended
But because it is Cong ruled, blacked out by media
Instead media searching for protests against farm bill, but nobody came out
Agreed that left and Congi biased media is not reporting. What about right wing media? What stops them from reporting it and taking it to a larger scale? Had this been in UP or Gujrat, the likes of Rajdeep and NDTV would have gone on for hours peddling propaganda.
— Avik Bose (@aavikbose) September 27, 2020
नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के मुताबिक कांकरा डूंगरी से शुरू हुआ उपद्रव खेरवाड़ा तक पहुंच गया है। प्रदर्शनकारियों की ओर से मचाये गए उत्पात के बाद पुलिस ने भी तीन राउंड फायरिंग के साथ आंसू गैस छोड़ी, इसके बाद मामला कुछ शांत हुआ, लेकिन रात एक बजे प्रदर्शनकारी एक बार फिर उग्र हो गए। बताया जा रहा है कि इस घटना में एक व्यक्ति की सीने में गोली लगने से मौत हो गई, जबकि एक घायल हो गया। खबर के मुताबिक इस मामले में प्रशासन की ओर से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डूंगरपुर के जिला कलेक्टर की मानें, तो इस हिंसा में झारखंड से आए विशेष विचारधारा वाले गुट ने हिंसा भड़काई है। लिहाजा अब सरकार ने भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अपने चार ऑफिसर्स को भेजा है, जिनमें डीजी क्राइम एमएल लाठर, एसीबी के एडीजी दिनेश एमएन, जयपुर कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव और जयपुर ग्रामीण एसपी शंकरदत्त शर्मा शामिल हैं।
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में हिस्सा की तस्वीरें-
जनजाति क्षेत्र विकास मंत्री अर्जुन बामणिया और उदयपुर से पूर्व सांसद रघुवीर मीणा को सीएम गहलोत ने कई अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ उदयपुर भेजा, जहाँ उनकी विरोध-प्रदर्शन कर रहे युवाओं के साथ लगभग 3 घंटे तक बैठक हुई। पूर्व-सांसदों और वर्तमान विधायकों के अलावा कॉन्ग्रेसी जनप्रतिनिधियों के साथ कुछ वकील भी मौजूद थे। भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक राजकुमार रोत ने पुलिस-प्रशासन को ही कोसा है।
उन्होंने कहा कि भले ही आंदोलन की शुरुआत युवाओं ने की हों, लेकिन उनके पास सूचनाएँ हैं कि पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों को निशाना बनाया और उन्हें गिरफ्तार किया, जिससे ये विरोध-प्रदर्शन और ज्यादा उग्र हो गया। उन्होंने कहा कि अब ये मामला ग्रामीण बनाम पुलिस-प्रशासन का हो गया है। एनएच 7-8 पर वाहनों को जलाया गया। एक युवक की मौत पर पुलिस का कहना है कि गोली कहाँ से चली, उसे कुछ नहीं पता।
पिछले 2 दिनों में ही 20 से ज्यादा गाड़ियों को आग के हवाले किया गया है। पेट्रोल पंप और एक होटल में लूटपाट की भी खबर आई है। पुलिस का कहना है कि डूंगरपुर के एसपी का भी वाहन नहीं बख्शा गया। 35 पुलिसकर्मियों के घायल होने की सूचना है, जिसके बाद क़रीब 30 लोगों को वहाँ गिरफ्तार किया गया। क़रीब 25 किलोमीटर तक राजमार्ग पर आवागमन पूरी तरह ठप्प हो चुका है।
उदयपुर रेंज की आईजी विनीता ठाकुर ने कहा है कि क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है, ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। इंटरनेट बंद कर दिया गया है। खेरवाड़ा और ऋषभदेव में भी विरोध-प्रदर्शन जारी है। टोल प्लाजा को भी जलाने का प्रयास किया गया। क़रीब 20 किलोमीटर तक प्रदर्शनकारियों द्वारा पत्थर बिछाए जाने के बाद उदयपुर-अहमदाबाद हाइवे 3 दिनों से जाम है।
वहीं राजस्थान पुलिस का कहना है कि झारखण्ड से आए विशेष विचारधारा के गुट ने हिंसा भड़काई है। पुलिस का कहना है कि जहाँ कुछ लोग हिंसा भड़का कर चले गए हैं, वहीं कुछ अभी भी आसपास के गाँवों में छिपे हुए हैं। झारखण्ड में फ़िलहाल हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जो सकरार चल रही है, उसमें कॉन्ग्रेस भी भागीदार है। राज्य में कॉन्ग्रेस के 4 मंत्री हैं, जो वित्त, कृषि, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय सँभाल रहे हैं। फिर भी कॉन्ग्रेस अपने में भी ब्लेम-गेम खेल रही है।
प्रदेश भाजपा ने भी पुलिस के बयान का समर्थन किया है। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियाँ ने कहा कि आशंका पहले लग रही थी, अब प्रशासन ने भी पुष्टि कर दी है कि ये बाहरी तत्व कौन हैं? उन्होंने कहा कि ये लोग झारखंड से आए, कुछ चले गए, कुछ अभी भी छुपे हैं, जो हमेशा से हमारे आदिवासी क्षेत्रों में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि ये लोग सफल नहीं होंगे, लेकिन साथ ही चेताया कि उनको जल्द बेनकाब किया जाना चाहिए।
मेवाड़ क्षेत्र को नक्सलियों का अड्डा बनाने की साजिश चल रही है और इस कार्य में झारखण्ड के पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े लोगों की भागीदारी है। पत्थलगड़ी ईसाई-आदिवासी नेक्सस का एक ऐसा उदाहरण है, जो देश का क़ानून नहीं मानता। लोगों ने दबे जुबान से बताया कि राजस्थान के कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस खेल में शामिल हैं, भले ही वो किसी भी पार्टी के हों।
एक प्राध्यापक अभ्यर्थी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य लोक सेवा आयोग ने प्राध्यापक भर्ती में सामान्य वर्ग के छात्रों के साथ अन्याय किया है, और ऐसे कई उदाहरण हैं, जिन्हें छिपाने के लिए ये सब किया जा रहा है। उसने कहा कि राज्य में 5000 पदों के लिए 2018 में विज्ञप्ति निकाली निकली थी और EWS आरक्षण की घोषणा के बाद प्रक्रियाधीन नियुक्तियों में 14% अतिरिक्त पद सृजित करने की घोषणा हुई थी, लेकिन बिना 700 पद बढ़ाए ही दोगुने अभ्यर्थियों को बुला लिया गया।
जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ढिंढोरा पीट रहे हैं कि उनकी सरकार ने पार्टी के चुनावी घोषणा-पत्र में 501 घोषणाओं में से 252 को पूरा कर दिया है और राहुल गाँधी सोशल मीडिया पर ‘प्रदर्शनकारी किसानों’ के समर्थन में लगे हुए हैं, कॉन्ग्रेस को इस सवाल का जवाब देना होगा कि दक्षिणी राजस्थान में चल रहे उग्र हिंसक प्रदर्शन को रोकने में, युवाओं को समझाने में एवं बाहरी तत्वों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई करने में उसकी सरकार नाकाम क्यों रही है?
सितम्बर 24 को राजस्थान में हिंसा भड़कने के बावजूद इसके अगले ही दिन अशोक गहलोत किसानों के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। वो राजग सरकार द्वारा ‘बनाए गए हालत’ को पूरे देश के किसानों के ‘सड़कों पर आने’ के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे। राजस्थान प्रदेश कॉन्ग्रेस के सभी प्रमुख पदाधिकारी वहाँ मौजूद थे। जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस चलती रही, उधर उदयपुर और डूंगरपुर जलता रहा।
राजस्थान ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी लोगों के आकर स्थानीय युवाओं को भड़काने की बातें पुलिस-प्रशासन ने कही है। सड़क पर शराब की बोतलों से भरे एक ट्रक तक को लूट लिया गया। हालाँकि, कई एसटी अभ्यर्थी कह रहे हैं कि ये उनका काम नहीं है, वो हिंसा नहीं कर सकते। कहा गया है कि बगल के गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों से भी कुछ भड़काऊ लोग आए हैं। सरकार अब अपनी अक्षमता का पूरा ठीकरा बाहरी राज्यों पर फोड़ने के लिए तैयार है।
ऐसी कोई घटना हो और उस पर राजनीति न हो, ये तो हो ही नहीं सकता। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने जब इसके लिए कॉन्ग्रेस सरकार को पूरी तरह फेल करार दिया तो कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य एवं पूर्व सांसद रघुवीर मीणा ने हिंसक प्रदर्शनों के लिए भाजपा तथा भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के नेताओं को जिम्मेदार ठहरा डाला। जैसा कि हमने बताया, BTP इसके लिए पुलिस को दोषी ठहरा रही है।
उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर उपद्रवियों का कब्जा है..होटल-मकान फूंके जा रहे हैं...एक मौत हो गई है...यह गुस्से का मासूम इज़हार नहीं है..पूरी प्लानिंग दिख रही है....हालात बिगड़ रहे हैं लेकिन बीस दिनों से उदयपुर का पुलिस-प्रशासन यही कह रहा है...स्थिति नियंत्रण में है..!!! pic.twitter.com/kSJdtJobdC
— L.P. Pant (@pantlp) September 27, 2020
डूंगरपुर में बेरोजगार युवाओं का आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से निपटाने में विफल रही सरकार अब उन्हें नक्सली घोषित करने पर तुली है!
— रवि सोखल (@Sokhalravi) September 27, 2020
आंदोलन को उद्देश्य से भटकाने की बजाय @RajGovOfficial इनकी मांग सुने जिससे भविष्य में ऐसी आग फिर से न भड़के!#आदिवासी_विरोधी_गहलोत pic.twitter.com/MPzGZAhDav
#डूंगरपुर हिंसा-उपद्रव के बीच राहत की खबर
— Banti Cheeta (@CheetaBanti) September 27, 2020
आखिर आया वो समय जिसका था इंतजार, 3 दिन के उपद्रव और अराजकता के बीच निकला सुलह का रास्ता,...#DungarpurViolence @RajCMO @PoliceRajasthan pic.twitter.com/weu706aiWv
दिल्ली जैसे दंगाई साउथ राजस्थान तक पहुंच गए है !! जो गहलोत के कंट्रोल से बाहर हैं pic.twitter.com/cCofSSuajY
— 💪 Jaat 💪 (@RamJaat0) September 27, 2020
टीवी न्यूज चैनलों ने स्वयं ही न्यूज सेंसर कर दी। काग्रेंस पार्टी का कितना ख्याल रखते हैं। बीजेपी सत्ता में होती तब ये बहना, का भाई पप्पू, चैनल वाले सीएम की खाल खींच रहे होते। काग्रेंस शासित राज्यों का कोई विरुद्ध समाचार न्यूज चैनल पर नही आता। ☹️
— कुमार विजय👈 (@IVijayboi) September 27, 2020
ऐसा नहीं है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा जो माँगें उठाई जा रही हैं, उन्हें लेकर वो कोर्ट नहीं गए थे। हाईकोर्ट पहले ही उनकी याचिका रद्द कर चुका है। इसके बाद कांकरी डूंगरी में एसटी अभ्यर्थी धरने पर बैठे थे, जो अब खुद के इस आगजनी का हिस्सा न होने की बातें कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये काम ‘उत्पाती आदिवासियों’ का है। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने शांति की अपील करते हुए कहा कि बहकावे में आकर ऐसी हरकतें की जा रही हैं।
नेता प्रतिपक्ष कटारिया का कहना है कि चूँकि इन माँगों को माने जाने में ही क़ानूनी अड़चनें हैं, गहलोत सरकार को अभ्यर्थियों को इसके बारे में अच्छी तरह समझाना चाहिए, जिसमें वो विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्दोष पिसे जा रहे हैं, परेशान हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि सारे वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में ही 200 आंदोलनकारियों ने इतना नुकसान कर दिया।
उन्होंने क़ानून-व्यवस्था के लिए सख्ती की ज़रूरत पड़ने पर वो भी करने की अपील की है और छात्रों को समझाया है कि आगजनी करने से किसी समस्या का समाधान नहीं होता। उन्होंने भी गुजरात, झारखण्ड और मध्य प्रदेश के भड़काऊ लोगों को यहाँ आकर स्थिति बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इनमें अधिकतर ‘कन्वर्टेड आदिवासी’ शामिल हैं, जो ईसाई मिशनरियों के चक्कर में आकर धर्मान्तरण कर चुके हैं।
भाजपा ये समझाने में लगी हुई है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के क्षेत्रों में इसी वर्ग को नौकरी के लिए ज्यादा आरक्षण देने का फैसला भैरों सिंह शेखावत के मुख्यमंत्रित्व काल में ही हुआ था और वसुंधरा राजे ने इसे आगे बढ़ाया। इससे कई युवाओं की नौकरी लगी। भाजपा ने इस बात से निराशा जताई है कि आज ये नौकरीपेशा लोग भी अपने समुदाय के इन युवाओं को समझा नहीं पा रहे। भाजपा इस मामले में फ़िलहाल फूँक-फूँक कर क़दम रख रही है।(एजेंसीज इनपुट्स सहित)
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