
बताया जा रहा है कि ये पूरी धोखाधड़ी चेक की क्लोनिंग करके की गई। मतलब ओरिजिनल चेक ट्रस्ट के ही पास थे, लेकिन उनके सीरियल नंबर दूसरे फर्जी चेक पर छाप दिए गए। दस्तखत भी जालसाजी से बना दिए गए।
‘इंडिया टुडे’ के कुमार अभिषेक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े की शुरुआत हुई 1 सितंबर 2020 के दिन। जालसाज ने लखनऊ के बैंक में एक चेक लगवाया। ढाई लाख रुपए का। ये चेक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाते का क्लोन्ड चेक था। बैंक से चेक पास हो गया। दो दिन बाद ही इसी बैंक में एक और चेक लगाया गया। साढे़ तीन लाख रुपए का। ये चेक क्लोन किया गया था। लेकिन बैंकवालों ने इस पर भी मुहर लगा दी। इस तरह छह लाख रुपए तीन दिन के अंदर ट्रस्ट के खाते से गायब कर दिए गए।
फिर जालसाज ट्रस्ट का एक और क्लोन चेक लेकर बैंक पहुंचा। रकम थी 9 लाख 86 हजार रुपए।अमाउंट बड़ा था, इसलिए बैंक वालों ने ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को फोन करके कन्फर्म किया। तब उन्होंने बताया कि ऐसा तो कोई चेक जारी करने के लिए नहीं कहा गया है। फिर बैंक ने तुरंत पेमेंट रोकते हुए जांच की तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। चंपत राय की शिकायत पर अयोध्या कोतवाली में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है।
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