सुदर्शन न्यूज को मिले ‘बिंदास बोल’ ब्रॉडकास्ट करने के निर्देश

Suresh Chavhankeसुदर्शन न्यूज के प्रोग्राम ‘बिंदास बोल’ को सितंबर 10, 2020 को ब्रॉडक्रॉस्ट करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से निर्देश दे दिए गए। मंत्रालय ने मीडिया संस्थान को यह प्रोग्राम ब्रॉडकास्ट करने से पहले सुनिश्चित करने को कहा कि उसमें किसी संहिता का उल्लंघन न हो।
इससे पहले 28 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन न्यूज चैनल के प्रोग्राम को प्रसारित करने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने यह फैसला जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों की याचिका पर लिया था। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि शो में खुलेआम जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों और मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हेट स्पीच दी जा रही है। 
दरअसल इस प्रोग्राम का विरोध करने का मुख्य कारण था, कट्टरपंथियों के फ़ैल रहे मकालजल का उजागर होना। ज्ञात हो, जब कश्मीर में अलगाववादियों को बंद कर कश्मीरी मुस्लिम युवकों द्वारा पुलिस एवं फौज में भर्ती के लगी होड़ पर भी कुछ लोगों द्वारा शंका व्यक्त की गयी थी। जो सुदर्शन न्यूज़ द्वारा सरकारी स्तर पर जेहादी उन्मादों के कब्ज़ा होने पर उपद्रवियों को गुप्त संरक्षण देने के षड़यंत्र का भांडा फूटने के डर से विरोध किया जा रहा है। हालाँकि सुदर्शन के दर्शक कम हैं, लेकिन विरोध ने इसकी लोकप्रियता को बढ़ा दिया है।
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना फैलने पर चुनाव आयोग के भूतपूर्व आयुक्त कुरैशी ने "मोदी को कोरोना हो जाए" का ट्वीट किया था, क्यों? दूसरे, जब तक हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति रहे, उन्हें और मुसलमानों को कोई डर नहीं था, लेकिन पदमुक्त होते ही, डर सताने लगा। वैसे भी हामिद के कार्यकलापों पर उस दिन से निगाह रखी जा रही थी, जब वह ईरान में भारत के राजदूत होते हुए ईरान में नियुक्त रॉ अधिकारियों की सूचना पाकिस्तान को देते थे। जो अति गोपनीय होती है। शायद यही कारण था कि पाकिस्तान हम पर हावी रहता था। यह तो बस एक झलकी है, और चेहरों से नकाब उठना अभी बाकी है। संभव है, इस प्रोग्राम के एक-दो एपिसोड के बाद कट्टरपंथी, अलगाववादी और इनके समर्थक दलों में खलबली न मच जाए। 1965 इंडो-पाक के दौरान चर्चित गायक मोहम्मद रफ़ी का बहुचर्चित देशभक्ति गीत "कहनी है एक बात हमें इस देश के पहरेदारों से, संभल कर रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से....." को याद कर देशविरोधियों के विरुद्ध कमर कसनी होगी। 
एक तरफ सुशांत राजपूत की हत्या बॉलीवुड में फैले गंद को बेपर्दा कर रही है, तो दूसरी तरफ सुदर्शन न्यूज़ का यह प्रोग्राम सत्ता में छिपे बैठे देश विरोधियों को बेनकाब करने की ओर देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।   



दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया था, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रोग्राम पर रोक लगाने से मना किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विचारों के प्रकाशन या प्रसारण के सम्बन्ध में रोक लगाने वाला निर्णय देने से पहले कोर्ट को सतर्कता बरतनी चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और ‘सुदर्शन न्यूज़’ को नोटिस भी भेजा था। 
पिछले दिनों सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके ने ‘ब्यूरोक्रेसी जिहाद’ के खिलाफ अभियान शुरू किया था, जिसमें कई सबूतों के आधार पर सच दिखाने का दावा किया गया था। इस प्रोग्राम के बारे में बताने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्ट की थी। जिसके बाद यह पूरा मामला गर्माया।
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उन्होंने इस वीडियो में बताया था कि उनका चैनल इस बात का विश्लेषण कर रहा है कि कि दूसरों की तुलना में प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं में विभिन्न पदों पर चयनित संप्रदाय विशेष के लोगों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। उन्होंने अपने वीडियो में चेतावनी दी थी कि, सोचिए, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?

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