केरल में बढ़ रहे चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों का खुलासा करते हुए प्रदेश पुलिस की साइबर विंग ने अक्टूबर 5, 2020 को DYFI (डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया) नेता इसा रियाज (Easa Riyaz) समेत 41 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें कई आइटी प्रोफेशनल भी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने छोटे बच्चों की नग्न तस्वीरें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट की।
प्रदेश के एडिशनल डीजीपी मनोज अब्राहम ने बताया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी मामले में उन्होंने 268 मामले दर्ज किए हैं। गिरफ्तार हुए लोगों पर ऐसी सामग्री अपलोड, डाउनलोड और उन्हें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट करने का आरोप है। इन लोगों के पास से पुलिस ने कई इलेक्ट्रानिक डिवाइस और फोन भी जब्त किए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल पुलिस ने अपने इस ऑनलाइन ऑपरेशन को ‘P Hunt 20.2’ का नाम दिया था। इसी ऑपरेशन के तहत यह 41 लोग गिरफ्तार हुए। पुलिस ने बताया कि ये लोग चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री को अपलोड और सर्कुलेट करने के लिए इनक्रिप्टिड अकाउंट का इस्तेमाल करते थे। पुलिस को इनके पास से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और फोन मिले।
#Kerala #DYFI leader Easa Riyaz arrested for circulating nude pictures of children in social media. 40 other people were also arrested for the same crime. The action follows raids conducted by the CounterChildSexuaExploitation Unit of KeralaPolice at several places in the state. pic.twitter.com/snmU29u9XB
— JOTHISH NAIR (@jothishnair1010) October 5, 2020
That's the reason they want Sharia Law badly.
— Dev Mehta (@Dev73513666) October 6, 2020
Near my house one commi arrested .
— Julin (@Julin_kurdi) October 6, 2020
एडिशनल डीजीपी मनोज अब्राहम इस संबंध में बताते हैं कि आरोपितों की पहचान और उनकी गिरफ्तारी ‘साइबरडोम’ (Cyberdome- साइबर पुलिस के स्पेशल विंग), इंटरपोल और अन्य एजेंसियों की मदद से की गई है। पुलिस का कहना है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधी बरामद सामग्री में अधिकांश बच्चे 6 से 15 उम्र के शामिल हैं।
इसके अलावा अधिकारियों ने यह भी पाया है कि कुछ आरोपितों ने अपने फोन को लगातार फॉरमेट किया ताकि उन पर किसी की नजर न पड़े। साथ ही बच्चे की जानकारी चुराने के लिए ‘मालवेयर’ का इस्तेमाल करके पीड़ित का वेबकैम भी चालू किया गया।
साइबर क्राइम में विशेष अधिकारी के तौर पर तैनात मनोज अब्राहम कहते हैं, “महामारी के दौरान स्वास्थ्य के अलावा जिसके ऊपर सबसे बड़ा दुष्प्रभाव पड़ा है वो है- ऑनलाइन क्राइम। लॉकडाउन में डिजिटल इस्तेमाल में काफी बढ़ोत्तरी हुई है और इसी के साथ पोर्नोग्राफी खासकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले बढ़े हैं। कई लोग यह सोचते हैं कि रात के अंधेरे में वो जो कुछ भी नेट पर सर्च करते हैं उस पर किसी की नजर नहीं है, लेकिन ये उनकी भूल है।” अब्राहम के अनुसार कई केसों में देखा गया कि ऐसे लोग बीमार होते हैं जिन्हें इलाज की जरूरत होती है क्योंकि वह बार-बार वही अपराध दोहराते हैं।
बता दें कि हमारे देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधी तस्वीरें, वीडियो और साहित्य देखना, उसे शेयर करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा करने वाले को पाँच साल की जेल और अधिकतम 10 लाख का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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