हाथरस केस में PFI के बाद अब नक्सल कनेक्शन, हाथरस ‘भाभी’ पर चला सरकारी डंडा

                                                                               हाथरस ‘भाभी’
हाथरस गैंगरेप केस में एक बड़ा खुलासा हुआ है। यहां पीएफआइ के बाद अब नक्सल कनेक्शन भी सामने आया है। हाथरस के बूलगढ़ी गांव की मृत दलित लड़की के घर पर 16 सितंबर के बाद से ही सक्रिय फर्जी ‘भाभी’ अब गायब हैं। फर्जी रिश्तेदार बन घर में रहकर पीड़ित परिवार को भड़काने के साथ मीडिया में काफी बयान देने वाली भाभी अब सीन से गायब हैं। हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश का माहौल खराब करने वाली इस महिला का नक्सल कनेक्शन है। देश को दलित राजनीति की आग में झौंकने के लिए यह महिला गांव में दो दिन बाद से ही सक्रिय हो गई थी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा इस महिला के साथ गले मिलकर रोई भी थी।

नक्सली महिला भाभी पहचान छिपाने के लिए हमेशा घूंघट में रहती थी। इस फेक भाभी ने दलित-सवर्ण के बीच संघर्ष के लिए उसकाने के साथ मीडिया में बार-बार इंटरव्यू देकर लोगों को भड़काने का भी काम किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिस महिला ने खुद को हाथरस मृतका की भाभी बताया था, उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर नोटिस भी भेज चुका है, जहाँ वह कार्यरत हैं। मेडिकल कॉलेज के डीन ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि उन्होंने महिला (भाभी) को नोटिस जारी कर दिया है। 

मेडिकल कॉलेज के डीन पीके कसर ने बताया कि फॉरेंसिक विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने 4 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक का अवकाश लिया था। इस दौरान वह बिना कॉलेज प्रशासन को सूचित किए हाथरस मामले में मृतका के परिजनों से मिलने गई थीं। इसके बाद डीन ने बताया कि वह इस तरह के मामलों में होने वाले प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बन सकती हैं क्योंकि वह सरकारी कर्मचारी हैं। 

उनका कहना था, “हमें इस बात की जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के ज़रिए मिली कि राजकुमार बंसल हाथरस घटनाक्रम के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। फ़िलहाल उन्हें हमारी तरफ से नोटिस जारी किया जा चुका है और उनसे एक हफ्ते के भीतर जवाब भी माँगा गया है। राजकुमारी बंसल के जवाब के आधार पर हम इस मामले पर आगे की कार्रवाई करेंगे।”     

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजकुमारी बंसल ने दावा किया था कि वह मेडिकल रिपोर्ट की जाँच करने के लिए हाथरस गई थी क्योंकि वह फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं। इसके अलावा उनका ऐसा भी कहना था कि वह मानवता के नाते मृतका के परिवार वालों से मिलने गई थी। 

राजकुमारी बंसल ने अपने बयान में कहा था कि हाथरस घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्हें दो दिन तक नींद नहीं आई थी। वह परिजनों को सहानुभूति देने और संवेदना व्यक्त करने के लिए हाथरस गई थी और उनके निवेदन पर रुकने का फैसला किया। उनके रुकने के दौरान भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर भी परिजनों से मिलने आए थे। तभी कई मीडिया वालों ने इस मुद्दे पर उसके वीडियो रिकॉर्ड किए थे, जो फ़िलहाल सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। 

इसके बाद राजकुमारी बंसल ने अपने बयान में कहा, “बहुत से लोग मुझे माओवादी बुला रहे हैं, मेरे ऊपर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। जितने भी लोग मेरी छवि को बदनाम करने के लिए मेरे वीडियो वायरल कर रहे हैं, मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं… मैं उन सभी के विरुद्ध मामला दर्ज कराऊँगी।”

19 साल की लड़की का गला दबाया गया था और 29 सितंबर को गम्भीर चोटों और गहरे घावों की वजह से उसकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद से ही हाथरस मामला मीडिया और राजनेताओं के लिए प्रोपेगेंडा का माध्यम बन गया है। ख़बरों के अनुसार नक्सलवादियों से जुड़ी महिला ने खुद को लड़की की भाभी बताया था। वह महिला (भाभी) लड़की के परिजनों के घर रह रही थी और उस पर यह भी आरोप है कि वह उन्हें सिखा रही थी कि मीडिया के सामने क्या और कैसे बोलना है।  

हाथरस रेप को लेकर राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए विदेश से 100 करोड़ रुपये की फंडिग के साथ सिर्फ दो दिन के लिए बनी ‘जस्टिसफॉरहाथरस’ नाम की वेबसाइट की संदिग्ध भूमिका के बाद अब फेक भाभी… यह सब किसी बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं है? वैसे हाथरस रेप मामले की फोरेंसिक रिपोर्ट्स में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार SIT का गठन कर चुकी है। एसआईटी मामले की जांच कर रही है। एसआईटी ने इस नक्सली फेक भाभी को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। इस नक्सली महिला के बारे में खुलासा होने पर सोशल मीडिया पर यूजर्स कांग्रेस और प्रियंका गांधी वाड्रा को निशाना बना रहे हैं। ट्विटर पर #FakeBhabhi और #FakeNaxalBhabhi टॉप ट्रेंड कर रहा है।

पीड़िता की भाभी बनकर रह रही थी प्रियंका वाड्रा से गले मिलने वाली संदिग्ध महिला

ऐसे में प्रश्न उत्पन्न होना स्वाभाविक है कि "क्या प्रियंका वाड्रा और राहुल गाँधी जो बंद कमरे में पीड़ित परिवार से मिलना, षड़यंत्र की पटकथा पूर्व नियोजित थी?" दूसरे, यह कि योगी पुलिस पीड़ित परिवार से सहानुभूति दिखाने की बजाए पूछे कि "किस कारण से किसी अपरिजित को घर में रखा? क्यों किसी प्रलोभन के लालच में प्रदेश का माहौल ख़राब करने का प्रयास किया?" इन संदिग्ध परिस्थितियों में इस घटना की गंभीर ही नहीं अति गंभीरता से जाँच जरुरी हो जाती है।  

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