केजरीवाल द्वारा उमर खालिद UAPA के तहत मुक़दमे पर भड़की आइशी घोष ने कहा- ‘ये विश्वासघात नहीं भुलाया जाएगा’

आइशी घोष ने लगाया केजरीवाल पर विश्वासघात का आरोप
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा उमर खालिद और शरजील इमाम पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत देने पर पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी प्रक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं, जिन्हें सुनने एवं पढ़ने पर हंसी आना स्वाभाविक है, क्योंकि केजरीवाल को समझना बहुत टेडी खीर है। ये कब गिरगिट की तरह रंग बदल ले, कहना कठिन है। ये कोरोना के प्रकोप ने साइन करने को मजबूर किया है। वरना संविधान की शपथ लेने वाला, क्यों देश तोड़ने और साम्प्रदायिक दंगे करवाने वालों की फाइल पर अब तक क्यों साइन न करने पर बहाने तलाश रहा था। इस सच्चाई को सोंचने और समझने की जरुरत है।  
जो केजरीवाल इतने वर्ष कन्हैया कुमार की फाइल दबाए रखे थे, आखिर किस कारण से साइन की, और अब उमर खालिद और शरजील इमाम की फाइल? अपनी नाकामियों को छुपाने दिल्लीवासियों को मुफ्त की रेवड़ियां बांट सत्ता हथियाने का हत्कण्डा अपनाया। खैर, कोरोना से बेहाल होती दिल्ली को बचाने के लिए केन्द्र में मोदी सरकार को कोसने वाले को जब उसी सरकार की मदद की जरुरत लेने की मजबूरी ने कन्हैया कुमार की फाइल पर साइन किए। और पुनः कोरोना से बेकाबू हो रही दिल्ली को बचाने की मजबूरी ने ही उमर और शरजील की फाइल साइन करने को मबजूर किया। यदि उस समय दिल्ली को बचाने के लिए कन्हैया की फाइल साइन नहीं की होती, दिल्ली आज तक बहुत ख़राब स्थिति होती। अगर दिल्ली को केजरीवाल सरकार ने काबू में रखा होता, न कन्हैया की फाइल साइन होती और न ही अब उमर और शरजील की।   
दिल्ली दंगों के आरोपित व जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के लिए केजरीवाल सरकार ने यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। अब यही बात JNU छात्र नेता अध्यक्ष आइशी घोष को आहत कर गई। आइशी घोष ने अपने ट्वीट में सीएम का नाम लिख कर स्पष्ट कहा कि ये धोखेबाजी/ विश्वासघात वो कभी नहीं भूलेंगी।

आइशी ने लाइव लॉ के ट्वीट पर अपना रिप्लाई दिया, जिसमें जानकारी दी गई थी कि केजरीवाल सरकार ने उमर के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत कार्रवाई करने की इजाजत दे दी है। इसी ट्वीट पर आइशी ने लिखा, “श्रीमान अरविंद केजरीवाल प्रत्येक विश्वासघात को कभी भुलाया नहीं जाएगा।”

एक यूजर ने आइशी के इस ट्वीट को पढ़कर अरविंद केजरीवाल के पक्ष में अपनी दलील रखी। श्याम नाम के यूजर ने लिखा, “एलजी को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करके केंद्र सरकार ने प्रॉजिक्यूटर्स नियुक्त किए। आप सरकार ने निर्णय का विरोध भी किया और पैनल को खारिज भी किया लेकिन एलजी ने आप सरकार को ओवर रूल कर लिया। आइशी तुम छात्र राजनीति में कभी कन्हैया की जगह नहीं ले पाओगी। अपने फैक्ट्स को सुधारो।”

आइशी के इस ट्वीट पर कई लोगों ने चुटकी ली है। कुछ ने मुख्यमंत्री को सही ठहराया। वहीं कुछ ने पूछा कि केजरीवाल ने कौन सा विश्वासघात कर दिया? इस पर एक यूजर ने लिखा कि पहले चंदा लिया, वोट लिया और फिर मुकदमा चलाने की भी इजाजत दे दी, आखिर ये धोखा नहीं तो क्या है? इसी तरह कई यूजर्स ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। नेटिजन्स बोले कि पहले इन्हें मैक्रों ने धोखा दिया अब केजरीवाल ने।

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने दिल्ली दंगे मामले में पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए हर केस में प्रॉसिक्यूशन की मंजूरी दे दी है। अब यह कोर्ट को देखना है कि आरोपित कौन हैं। लेकिन ट्विटर पर हर कोई केजरीवाल के इस निर्णय से दगाबाज़ कहने से भी नहीं चूक रहे। अपने आप को ढका सा महसूस कर रहे हैं।

परन्तु कुछ लोग केजरीवाल पर भी व्यंग करने से नहीं चूक रहे।

इस साल के फरवरी माह में हुए दंगों में उमर खालिद को 13 सितंबर को यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दंगों का षड्यंत्र रचने, भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था।  

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