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अब्बू ने खोली शेहला रशीद की पोल, देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने का किया दावा

भारतीय सेना पर आरोप लगाने वाली और टुकड़े-टुकड़े गैंग की सदस्य शेहला रशीद के अब्बू ने उनकी पोल खोल दी है। शेहला रशीद के खिलाफ उनके पिता अब्दुल शोरा ने शिकायत दर्ज कराई है। अब्दुल शोरा का कहना है कि बेटी शेहला उन्हें जान से मारने की धमकी दे रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘शेहला कुख्यात गतिविधियों में शामिल है।’

ऐसे में चर्चा यह भी है कि इतने समय बाद एक बाप अपनी ही बेटी के विरुद्ध पुलिस को सूचित कर रहा है? क्या शेहला के बाप को बेटी पर जाँच एजेंसीज के हाथ पहुँचने की खबर लग गयी थी, जिससे घबरा कर बाप अपना दामन बचाकर अपनी बेटी शेहला पर सारा दोष डाल अपने आपको बचा रहा है? देश की इतनी चिंता थी, तो जब घर में चांदी के सिक्कों की बारिश हो रही थी, तब क्यों नहीं बेटी से पूछा और पुलिस को सूचना दी?चलो देर आए, दुरुस्त आए। 

जम्मू-कश्मीर के डीजीपी को दी अपनी शिकायत में उन्होंने शेहला की कुख्यात गतिविधियों को उजागर किया है। साथ ही शेहला की बैंक अकाउंट की जांच की मांग की है।

अब इस पर प्रश्न उठने लाजमी हैं, देखो इन प्रश्नों का जवाब देने कौन आगे आता है:-  शिकायत पत्र में अब्दुल रशीद शोरा ने दावा किया कि शेहला ने कश्मीर की राजनीति में शामिल होने के लिए कुख्यात लोगों से तीन करोड़ रुपये लिए हैं। उन्होंने मांग की है कि फिरोज पीरजादा, जहूर वटाली (एनआईए द्वारा गिरफ्तार) और रशीद इंजीनियर के बीच वित्तीय डील की जांच की जाए।

जाहिर है कि पिछले दिनों शेहला रशीद के खिलाफ दिल्‍ली पुलिस की स्‍पेशल सेल ने देशद्रोह के साथ कई अन्‍य धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी। शेहला रशीद पर जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने के बाद मौजूदा हालात को लेकर भारतीय सेना के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने का आरोप था। शेहला ने भारतीय सेना पर कश्मीर के लोगों को प्रताड़ित करने और दहशत फैलाने जैसे कई आरोप लगाए थे।

केजरीवाल द्वारा उमर खालिद UAPA के तहत मुक़दमे पर भड़की आइशी घोष ने कहा- ‘ये विश्वासघात नहीं भुलाया जाएगा’

आइशी घोष ने लगाया केजरीवाल पर विश्वासघात का आरोप
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा उमर खालिद और शरजील इमाम पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत देने पर पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी प्रक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं, जिन्हें सुनने एवं पढ़ने पर हंसी आना स्वाभाविक है, क्योंकि केजरीवाल को समझना बहुत टेडी खीर है। ये कब गिरगिट की तरह रंग बदल ले, कहना कठिन है। ये कोरोना के प्रकोप ने साइन करने को मजबूर किया है। वरना संविधान की शपथ लेने वाला, क्यों देश तोड़ने और साम्प्रदायिक दंगे करवाने वालों की फाइल पर अब तक क्यों साइन न करने पर बहाने तलाश रहा था। इस सच्चाई को सोंचने और समझने की जरुरत है।  
जो केजरीवाल इतने वर्ष कन्हैया कुमार की फाइल दबाए रखे थे, आखिर किस कारण से साइन की, और अब उमर खालिद और शरजील इमाम की फाइल? अपनी नाकामियों को छुपाने दिल्लीवासियों को मुफ्त की रेवड़ियां बांट सत्ता हथियाने का हत्कण्डा अपनाया। खैर, कोरोना से बेहाल होती दिल्ली को बचाने के लिए केन्द्र में मोदी सरकार को कोसने वाले को जब उसी सरकार की मदद की जरुरत लेने की मजबूरी ने कन्हैया कुमार की फाइल पर साइन किए। और पुनः कोरोना से बेकाबू हो रही दिल्ली को बचाने की मजबूरी ने ही उमर और शरजील की फाइल साइन करने को मबजूर किया। यदि उस समय दिल्ली को बचाने के लिए कन्हैया की फाइल साइन नहीं की होती, दिल्ली आज तक बहुत ख़राब स्थिति होती। अगर दिल्ली को केजरीवाल सरकार ने काबू में रखा होता, न कन्हैया की फाइल साइन होती और न ही अब उमर और शरजील की।   
दिल्ली दंगों के आरोपित व जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के लिए केजरीवाल सरकार ने यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। अब यही बात JNU छात्र नेता अध्यक्ष आइशी घोष को आहत कर गई। आइशी घोष ने अपने ट्वीट में सीएम का नाम लिख कर स्पष्ट कहा कि ये धोखेबाजी/ विश्वासघात वो कभी नहीं भूलेंगी।

आइशी ने लाइव लॉ के ट्वीट पर अपना रिप्लाई दिया, जिसमें जानकारी दी गई थी कि केजरीवाल सरकार ने उमर के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत कार्रवाई करने की इजाजत दे दी है। इसी ट्वीट पर आइशी ने लिखा, “श्रीमान अरविंद केजरीवाल प्रत्येक विश्वासघात को कभी भुलाया नहीं जाएगा।”

एक यूजर ने आइशी के इस ट्वीट को पढ़कर अरविंद केजरीवाल के पक्ष में अपनी दलील रखी। श्याम नाम के यूजर ने लिखा, “एलजी को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करके केंद्र सरकार ने प्रॉजिक्यूटर्स नियुक्त किए। आप सरकार ने निर्णय का विरोध भी किया और पैनल को खारिज भी किया लेकिन एलजी ने आप सरकार को ओवर रूल कर लिया। आइशी तुम छात्र राजनीति में कभी कन्हैया की जगह नहीं ले पाओगी। अपने फैक्ट्स को सुधारो।”

आइशी के इस ट्वीट पर कई लोगों ने चुटकी ली है। कुछ ने मुख्यमंत्री को सही ठहराया। वहीं कुछ ने पूछा कि केजरीवाल ने कौन सा विश्वासघात कर दिया? इस पर एक यूजर ने लिखा कि पहले चंदा लिया, वोट लिया और फिर मुकदमा चलाने की भी इजाजत दे दी, आखिर ये धोखा नहीं तो क्या है? इसी तरह कई यूजर्स ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। नेटिजन्स बोले कि पहले इन्हें मैक्रों ने धोखा दिया अब केजरीवाल ने।

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने दिल्ली दंगे मामले में पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए हर केस में प्रॉसिक्यूशन की मंजूरी दे दी है। अब यह कोर्ट को देखना है कि आरोपित कौन हैं। लेकिन ट्विटर पर हर कोई केजरीवाल के इस निर्णय से दगाबाज़ कहने से भी नहीं चूक रहे। अपने आप को ढका सा महसूस कर रहे हैं।

परन्तु कुछ लोग केजरीवाल पर भी व्यंग करने से नहीं चूक रहे।

इस साल के फरवरी माह में हुए दंगों में उमर खालिद को 13 सितंबर को यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दंगों का षड्यंत्र रचने, भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था।  

AAP सरकार का दावा: ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ तो एक दूसरे को चिढ़ाने के लिए बोला गया था, कन्हैया का क्या दोष

अरविंद केजरीवाल और कन्हैया कुमार
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे देशद्रोही नारे लगाने के आरोपित कन्हैया कुमार पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार मुकदमा दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं देगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने इस फैसले पर मुहर लगा दी है और इस मामले पर अपनी राय देते हुए बताया है कि पुलिस ने उनके सामने जो सबूत पेश किए हैं, उसके मुताबिक कन्हैया और अन्य लोगों पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता है।
केजरीवाल के जिस गृहमंत्री को JNU में लगते भारत विरोधी नारे लगाने में किस कारण दोष नहीं दिखता? जनता ने इन नारों को आने होश में लाइव देखा था, ना कि किसी सपने में। अगर किसी विदेश में इस तरह के नारे लगे होते, ना जाने कब का इन सभी को जेल में फेंक दिया होता, लेकिन भारत में छद्दम देशभक्त नेताओं को ऐसे देश विरोधी नारे लगाने वालों में अपनी कुर्सी के लिए वोट दिखाई देते हैं। संभव है, इन नारे लगाने वालों को संरक्षण देना अल्प-समय बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारी न पड़ जाए। और जनता को मुफ्त बिजली, पानी और बस यात्रा सुविधाएं बेकार न हो जाएं। 
इसके अलावा गृह विभाग द्वारा जारी किए गए नोट में भी कहा गया है कि JNU में देश विरोधी नारे लगाने के प्रकरण में यह साबित नहीं हो पाया है कि नारे कन्हैया कुमार ने लगाए थे। अब यह पत्र केजरीवाल सरकार के पास जाएगा।
बीते दिनों जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के आरोपित कन्हैया कुमार के खिलाफ़ 1200 पन्नों की चार्जशीट दिल्ली सरकार की अनुमति के बिना ही पुलिस ने कोर्ट में पेश कर दी थी, जिसमें पुष्टि की गई थी कि 2016 में जेएनयू परिसर में हुई घटना एक सोची समझी साजिश थी और ये घटना पूरी प्लॉनिंग के साथ हुई थी। जिस पर बाद में AAP सरकार ने कहा था कि पहले वह इस मामले की जाँच कराएँगे और बाद में इस मामले के संबंध में निर्णय लेंगे।
हालाँकि, कुछ महीने पहले इस मामले में देरी करने के लिए दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार भी लगाई थी और उनसे अपना रुख जल्द से जल्द स्पष्ट करने को कहा था।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद दिल्ली सरकार ने इस मामले में कानूनी राय लेने के लिए इसे लॉ विभाग के पास भेजा था और लॉ विभाग ने अपनी रिपोर्ट को गृह विभाग को भेजा था। बाद में लॉ विभाग की राय को उचित करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट तैयार की गई और कहा गया कि कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता है।
गृह विभाग की इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यह दो छात्र राजनैतिक गुटों का मामला था। जहाँ दोनों गुटों ने एक दूसरे को उकसाने के लिए नारेबाजी की थी।
वहीं इस मामले पर गृह मंत्री का विचार है कि आरोपियों का हिंसा भड़काने का कोई इरादा नहीं था और मार्च के दौरान लगाए गए नारे को आरोपियों से नहीं जोड़ा जा सकता है।
दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक वो देशविरोधी नारे दूसरे गुट को चिढ़ाने के लिए थे न कि राज्य और उसकी संप्रभुता को चुनौती देने के लिए। उनका कहना है कि दो छात्र गुटों के बीच झगड़े के कारण उस दिन घटना हुई थी। वहाँ लगे नारों को आरोपितों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इसलिए पुलिस अपनी FIR में देशद्रोह की धारा छोड़कर अन्य उल्लेख की गई धाराओं के तहत आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
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सच सामने आने पर फारुख ने कबूला जुर्म वैसे आज दाढ़ी रखना भी एक फैशन बन गया है। इससे पूर्व फ्रेंच कट का बहुत फैशन था, उसे...

यहाँ जानकारी के लिए बताते चलें कि पुलिस द्वारा दायर की गई जिस चार्जशीट पर AAP सरकार ने विचार किया है, उस चार्जशीट में पुलिस ने इस मामले से जुड़े 90 गवाहों को साक्ष्य के तौर पर भी रखा था। और कहा था कि इनमें से 30 ऐसे हैं, जो देशद्रोही नारेबाज़ी के प्रत्यक्षदर्शी हैं। इनमें से कुछ वहाँ के स्टाफ और सुरक्षाकर्मी भी हैं। इस चार्ज शीट में इस बात का भी उल्लेख था कि कन्हैया कुमार ने ही उस दिन पूरी भीड़ का नेतृत्व किया था और बतौर छात्रसंघ नेता उसने सबको रोकने की जगह उन सबके साथ मिलकर देश-विरोधी नारेबाज़ी की थी।