बोडोलैंड काउंसिल चुनाव : अजमल को साथ लेकर भी 1 पर सिमटी कांग्रेस, भाजपा को बड़ा फायदा

कांग्रेस में बुद्धिजीवी वर्ग और चुनाव प्रक्रिया को संचालन करने वाले जनता की नब्ज को पढ़ने में पूर्णरूप से बार-बार असफल सिद्ध हो रहे हैं। अपनी विघटन सोंच के कारण देशहित में खड़े होने की बजाए विघटनकारियों के 'हम प्याला हम नवाला' बने हुए हैं। जो पार्टी स्थानीय चुनावों में भी धराशायी हो रही हो, स्पष्ट संकेत दे रही है, कि पुरानी पार्टी की क्षेत्रीय दलों से कहीं अधिक दयनीय हो रही है। बिहार और तेलंगाना में मिली शर्मनाक पराजय के बावजूद कृषि बिल पर अराजक तत्वों को समर्थन देकर जनता को परेशान कर रही हैं। 

दूसरे, कृषि बिल पर किये जा रहे विवाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री 'इंदिरा गाँधी को ठोकने के बाद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ठोकने' की बात का विरोध न किये जाने ने जनता के दिल-ओ-दिमाग में जिस बात को जन्म दे दिया कि इस किसान प्रदर्शन को समर्थन देने वाली पार्टियां 'जब अपने प्रधानमंत्री की नहीं हुई, जनता के साथ हो ही नहीं सकती?' चर्चा यह भी है कि "क्या वर्तमान किसान धरने को समर्थन देने वाली तीनो पार्टियों-कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली दल- के लिए वॉटरलू बनेगा? जो बिहार से लेकर असम तक हुए चुनावों से सिद्ध भी हो रहा है। आम आदमी पार्टी की तो हालत यह हो गयी है कि बिहार चुनाव से दूर रही और हैदराबाद में हुए निकाय चुनावों में औपचारिक उम्मीदवार उतारने की बजाये आज़ाद उम्मीदवार की हैसियत से अपने उम्मीदवार उतारे और सभी की जमानत अन्य राज्यों की भांति तेलंगाना में जब्त हुई।   
बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) के चुनावों में बीजेपी को बड़ी सफलता मिली है। उसने 12 सीटें जीतने वाली यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) के साथ मिलकर बहुमत भी हासिल कर ली है। बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) से हाथ मिलाने के बावजूद कांग्रेस को केवल एक सीट मिली है। वहीं 17 साल से बीटीसी की सत्ता में बनी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) को 17 सीटों पर कामयाबी मिली है। हालाँकि सबसे बड़े दल के बावजूद वह सत्ता बचाने में असफल रही है।

बीटीसी के चुनाव असम विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल माने जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अजमल से हाथ मिलाया था। अजमल मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगलने के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में यह बात भी सामने आई है कि एआईडीयूएफ द्वारा संचालित ‘अजमल फाउंडेशन’ को टेरर फंडिंग वाले विदेशी संगठनों से पैसा मिला है।

BTC चुनावों में भाजपा ने 40 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की है। 2015 में हुए चुनाव में उसे केवल 1 सीट मिली थी। भाजपा को मिली जीत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “एनडीए ने असम बीटीसी चुनाव में बहुमत हासिल किया है। हमारे सहयोगी यूपीपीएल, मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, हिमंत बिस्वा सरमा, रणजीत कुमार दास और असम भाजपा को बधाई। मैं असम के लोगों को एक विकसित उत्तर-पूर्व के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प में उनके निरंतर विश्वास के लिए धन्यवाद देता हूँ।”

कांग्रेस की सहयोगी एआईयूडीएफ इस चुनाव में खाता खोलने में भी नाकाम रही। गण सुरक्षा पार्टी (GSP) को भी इस चुनाव में महज एक सीट ही मिली।

बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद में कुल 46 सीटें हैं। इनमें से 6 नामांकित होते हैं, जबकि 40 पर चुनाव होता है। इन 40 सीटों पर 7 और 10 दिसंबर को चुनाव हुए थे। इस साल की शुरुआत यानी फरवरी 2020 में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद यह पहला चुनाव था।

पिछले 17 साल से बीटीसी पर शासन करने वाली बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट बहुमत के लिए जरूरी 21 सीटें इस बार जीतने में नाकाम रही है। उसे सिर्फ 17 सीटों पर जीत मिली है। 2015 में उसे 20 सीटें मिली थीं, जो इस बार तीन कम हैं।

पिछले चुनाव में बीपीएफ और भाजपा के बीच गठबंधन था। लेकिन इस चुनाव में दोनों पार्टियाँ अलग-अलग चुनाव लड़ रही थीं और भाजपा ने बीपीएफ को कड़ी टक्कर भी दी। इससे पहले, असम भाजपा ने संकेत दिया था कि वह बीपीएफ के साथ 2021 के असम चुनावों में गठबंधन जारी रखना पसंद नहीं करेगी।

भाजपा और यूपीपीएल ने औपचारिक तौर पर तो गठबंधन की घोषणा नहीं की है लेकिन दोनों ने ही स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर चुनाव परिणाम बाद गठबंधन के संकेत दिए थे। यूपीपीएल प्रमुख प्रमोद ब्रह्मा दो सीटों से जीते हैं।

उन्होंने दिसंबर 12, 2020 देर रात बीटीसी चुनाव पर भाजपा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मंगलदोई के सांसद दिलीप सैकिया के साथ विचार-विमर्श किया। परिषद के गठन के संबंध में उनके निर्णय की घोषणा जल्द होने की संभावना है। सरमा ने बताया था कि इस संबंध में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ चर्चा के बाद निर्णय की घोषणा होगी।

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल द्वारा संचालित ‘अजमल फाउंडेशन’ के खिलाफ असम के दिसपुर पुलिस स्टेशन में 4 दिसंबर, 2020 को मामला दर्ज किया गया था। गुवाहाटी के सीपी एमएस गुप्ता ने बताया था कि यह मामला सत्य रंजन बोराह द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद दायर किया गया था, जिसने एनजीओ पर विदेशी फंड प्राप्त करने और संदिग्ध गतिविधियों में इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।

इसके अलावा असम सरकार की दो बच्चों की नीति पर बदरुद्दीन अजमल ने करारा हमला बोला था। अजमल का कहना था कि मुस्लिम बच्चे पैदा करते रहेंगे और वे किसी की नहीं सुनेंगे। अजमल ने कहा था, “मैं निजी तौर पर मानता हूँ और हमारा मजहब भी मानता है कि जो लोग दुनिया में आना चाहते हैं, उन्हें आना चाहिए और उन्हें कोई रोक नहीं सकता है।”

पिछले दिनों बदरुद्दीन अजमल पर निशाना साधते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि ‘अजमल की सेना’ के पुरुष अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर सोशल मीडिया पर लड़कियों से दोस्ती कर रहे हैं और फिर उनसे शादी कर रहे हैं। अगर अजमल की सेना हमारी महिलाओं को छूती है, तो उनके लिए एकमात्र सजा मौत की सजा होगी।

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