राज्य के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का दावा है कि मृतक बच्चों में से 3 मृत लाए गए थे। 3 को जन्मजात बीमारी थी और 3 की मौत फेफड़ों में दूध जाने के कारण हुई। उन्होंने इस मामले पर पूरी रिपोर्ट माँगी है। संभागीय आयुक्त केसी मीणा और जिलाधिकारी उज्जवल राठौड़ ने भी अस्पताल पहुँचकर निरीक्षण किया है और संबंधित अधिकारियों से बात की।
बच्चों की मृत्यु पर विपक्ष का सरकार पर प्रहार
लोकसभा स्पीकर ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार की नाकामयाबी की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करवाया है। उन्होंने कहा है कि चिकित्सा व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार कोशिश नहीं कर रही है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि देश से शिशु मृत्यु दर एकदम खत्म हो जाए।
संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी के प्रवास के दौरान जेके लोन अस्पताल में नवाजत शिशुओं की मृत्यु को लेकर जिला कलक्टर और अस्पताल के अधिकारियों के साथ हालात की समीक्षा की। हर जिन्दगी कीमती है इसलिए अधिकारियों को monitoring बढ़ाने और व्यवस्थाओं में सुधार के लिए हरसंभव कदम उठाने को कहा। pic.twitter.com/x6kthQfIbL
— Om Birla (@ombirlakota) December 11, 2020
उन्होंने अपने ट्विटर पर जानकारी दी कि उन्होंने संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी के प्रवास के दौरान जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मृत्यु को लेकर जिला कलक्टर और अस्पताल के अधिकारियों के साथ हालात की समीक्षा की। उन्होंने लिखा, “हर जिंदगी कीमती है इसलिए अधिकारियों को मॉनीटरिंग बढ़ाने और व्यवस्थाओं में सुधार के लिए हर संभव कदम उठाने को कहा है।”
वहीं राजस्थान की आम आदमी पार्टी ने भी गहलोत सरकार पर सवाल उठाए हैं। AAP राजस्थान ने ट्वीट कर कहा है, “साल बदला, हालात नहीं। 2019 में नवंबर दिसंबर में 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई थी। 8 दिसंबर 2020 को 8 घंटे में 9 मासूमों ने दम तोड़ दिया। मुख्यमंत्री गहलोत, कोटा का जेके लोन: हॉस्पिटल या कब्रगाह?”
साल बदला, हालात नहीं।
— AAP Rajasthan (@AAPRajasthan) December 11, 2020
2019 में नवंबर दिसंबर में 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई थी।
8 दिसंबर 2020 को 8 घंटे में 9 मासूमों ने दम तोड़ दिया।
CM @ashokgehlot51 जी कोटा का जेके लोन: हॉस्पिटल या कब्रगाह? pic.twitter.com/oQ6BPqomsa
भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत लिखते हैं, “कोटा के जेके लोन अस्पताल में 8 घंटे में 9 नवजातों की मृत्यु हृदय विदारक है। अक्षमता की पर्याय बन चुकी राजस्थान सरकार और अस्पताल प्रशासन दोनो इस दुर्घटना के लिए पूर्णतः ज़िम्मेदार है। आशा है, राज्य सरकार पिछली बार से विपरीत इस बार संज्ञान लेगी, कार्यवाही करेगी और सुधार भी!”
कोटा के जेके लोन अस्पताल में 8 घंटे में 9 नवजातों की मृत्यु हृदय विदारक है।
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) December 11, 2020
अक्षमता की पर्याय बन चुकी राजस्थान सरकार और अस्पताल प्रशासन दोनो इस दुर्घटना के लिए पूर्णतः ज़िम्मेदार है।
आशा है, राज्य सरकार पिछली बार से विपरीत इस बार संज्ञान लेगी, कार्यवाही करेगी और सुधार भी!
शुक्र मनाइए वे गौरखपुर में नहीं हुईं अन्यथा सारा किसान आंदोलन बच्चों का रोना रोने लगता।
— Sourabh Singh Bundela (@SourabhSinghBu1) December 11, 2020
कोटा के हॉस्पिटल में सुविधाओं का अभाव
हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक, कोटा में रात का तापमान 12 डिग्री तक पहुँच गया है। लेकिन अस्पताल में वार्मर सिर्फ 71 हैं, जबकि कुल नवजात 98 भर्ती हैं। मौजूद वार्मर में भी 11 खराब हैं। इसके अलावा अस्पताल में नेबुलाइजर की सुविधा भी खराब है। कहा जा रहा है कि अस्पताल में नेबुलाइजर 56 की संख्या में आए थे, मगर इनमें से 20 खराब हैं। इंफ्यूजन पंप भी 89 हैं, लेकिन 25 इसमें से बेकार हैं। इसी तरह सोशल मीडिया पर लोग दावा कर रहे हैं कि अस्पताल में 100 से ज्यादा स्वास्थ्य उपकरण काम नहीं कर रहे हैं।
सरकार को कुछ दिन पहले चेताया था
— Sunil Tak (@SunilTakRawla) December 11, 2020
नवजातों की मौत का यह मामला बेहद गंभीर लापरवाही का नतीजा है । इस घटना के दोषियों को तुरंत चिन्हित करके उनपर कार्यवाही करनी चाहिए ।
नाईट ड्यूटी स्टाफ इसलिए सो रहा था क्योंकि इन पर नियंत्रण रखने वाली राजस्थान की सरकार भी पिछले लगभग 2 साल से सो ही रही
पिछले वर्ष भी कई बच्चों ने तोडा था दम
पिछले साल भी इसी दिसंबर महीने में कोटा के जेकेलॉन अस्पताल में करीबन 110 बच्चों की मृत्यु हुई थी। NCPCR ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अस्पताल की जर्जर हलात और वहाँ पर साफ-सफाई को बरती जा रही लापरवाही बच्चों की मौत का एक अहम कारण है।
अपनी रिपोर्ट में NCPCR ने कहा था कि अस्पताल की ख़िड़कियों में शीशे नहीं हैं, दरवाजे टूटे हुए हैं, जिस कारण अस्पताल में भर्ती बच्चों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। इसके अलावा अस्पताल के कैंपस में सूअर भी घूमते पाए गए।
उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने असंवेदनशील बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हर अस्पताल में रोजाना 3-4 मौतें होती हैं। यह कोई नई बात नहीं है। लगे हाथ उन्होंने यह भी दावा किया कि इस साल केवल 900 मौतें हुई हैं जो बीते 6 साल में सबसे कम है।
मीडिया के सामने मुख्यमंत्री ने कहा
“6 साल में सबसे कम मौतें हुई हैं। एक भी बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन 1500, 1300 मौतें भी बीते सालों के दौरान हुई है। इस साल यह आँकड़ा 900 है। देश और राज्य के हरेक अस्पताल में रोज कुछ मौतें होती ही हैं। कदम उठाए जाएँगे।”
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