किसान आंदोलन में शामिल संत राम सिंह ने खुद को मारी गोली

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी है। इस बीच खबर आ रही है कि सिंघु बार्डर पर किसानों के धरने में शामिल संत राम सिंह ने खुद को कथित तौर पर गोली मार ली है, जिससे उनकी मौत हो गई है। बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाबी में लिखा एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। बताया जा रहा है कि संत राम सिंह दिल्ली बॉर्डर पर किसानों को कंबल बाँटने गए थे।

इस आत्महत्या पर लोगों को यह भी शंका है कि "क्या यह आत्महत्या किसी षड़यंत्र का हिस्सा है?" कोई कम्बल बाँटने आये और आत्महत्या कर ले, समझ से बाहर है। क्योकि जिस वक़्त वह अपने आपको गोली मार रहा था, वहां उपस्थित लोगों ने क्या रोकने का प्रयास किया था? फिर जहाँ धरने के नाम पर पिकनिक का वातावरण हो, वहां आत्महत्या, सरकार पर दबाब बनाने का कोई षड़यंत्र ही जान पड़ता है। जबकि नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में हुए शाहीन बाग़-1 में तो बिरयानी, चाय और नाश्ता  था, जबकि यहाँ पिज़्ज़ा, मेवा, परांठे, नैपकिन, मसाज, फल आदि मिल रहे हैं, ऐसे में आत्महत्या, वह भी सार्वजनिक? ये वही कहानी हो गयी कि जिस तरह जंतर मंतर पर अरविन्द केजरीवाल की मीटिंग में पेड़ पर लटक कर गजेंद्र नाम का किसान आत्महत्या कर लेता है।    

मृतक राम सिंह ने प्रदर्शन के दौरान कुंडली बॉर्डर पर गाड़ी में बैठकर कर पिस्टल से खुद को गोली मारी। जिसके बाद वहाँ मौजूद लोगों ने उन्हें पानीपत के पार्क अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्होंने सुसाइड नोट में किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए किसानों के हक की बात कही है।

इस आत्महत्या पर लोगों ने अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं:-

संत बाबा राम सिंह हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे। पीटीसी न्यूज के अनुसार, सुसाइड नोट में बाबा राम सिंह ने लिखा है कि वे किसानों की हालत नहीं देख सकते हैं। उन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार विरोध को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए वे किसानों, बच्चों और महिलाओं को लेकर चिंतित हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जाँच में जुटी है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने खुदकुशी पर दुख जाहिर किया है।

बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है, “किसानों का दुख देखा, वो अपने हक लेने के लिए सड़कों पर हैं। बहुत दिल दुखा है। सरकार न्याय नहीं दे रही। जुल्म है, जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है। और उसे बर्दाश्त करना भी पाप है, मैं किसान भाइयों से कहना चाहता हूँ कि मैं इस स्थिति को देख नहीं पा रहा हूँ।”

सुसाइड नोट में आगे लिखा है, “किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ अपने सम्मान लौटाए किसी ने पुरस्कार वापस किया। आज मैं किसानों के हक में और सरकारी जुल्म के रोष में आत्महत्या करता हूँ। यह ज़ुल्म के खिलाफ आवाज है और किसान के हक में आवाज है। वाहेगुरु जी का खालसा ते वाहेगुरु जी की फतेह।”

No comments: