संसद भवन निर्माण ठेके में जताई घोटाले की आशंका पर डॉ सुब्रमण्यम स्वामी पर भाजपा प्रवक्ता बग्गा का कुठाराघात

               सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा घोटाले की आशंका पर प्रवक्ता तजिंदर पल सिंह बग्गा का प्रहार 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन निर्माण के भूमिपूजन ने सिर्फ सत्ता विरोधियों और वामपंथियों को ही नहीं बल्कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी जख्म दिए हैं। यही वजह है कि भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद भवन निर्माण की जिम्मेदारी टाटा समूह (टाटा प्रोजेक्ट्स) को दिए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। यही नहीं, स्वामी ने इसमें यूपीए काल के कुख्यात 2G स्पैक्ट्रम घोटाले का जिक्र करते हुए ट्वीट किया है।

राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि कहीं नए संसद भवन के निर्माण के ठेके में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले जैसा तो कुछ नहीं हुआ है? भाजपा नेता ने अपने ट्वीट में लिखा, “क्या किसी को पता है कि टाटा को नए संसद परिसर के निर्माण के लिए कैसे चुना गया था? क्या इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई थीं या फिर इसे 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दे दिया गया?”

स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, “उत्तर प्रदेश सरकार के राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड ने भी नए संसद भवन के लिए बोली लगाई थी, लेकिन वह जीत नहीं पाई। उनसे पता करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ?”

भाजपा के राज्यसभा सांसद के इस ट्वीट का जवाब भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने दिया है। तजिंदर पाल ने स्वामी को अपने ट्वीट में टैग करते हुए लिखा, “हैलो गद्दार!”

इसके साथ ही तजिंदर पाल ने कुछ खबरों के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। इन्हीं में से एक स्क्रीनशॉट में समाचार पत्र इकोनॉमिक टाइम्स की भी एक खबर दी गई है जिसमें बताया गया है कि आखिर किस तरह टाटा प्रोजेक्ट्स ने ‘लार्सन एंड टर्बो’ (L&T) को हराकर 861.90 करोड़ रुपए की बोली लगाने के साथ ही भारत के नए संसद भवन के निर्माण का ठेका जीत लिया।

भाजपा के प्रवक्ता और सांसद के बीच हुए इस घमासान पर लोगों की प्रक्रियाएं, विचारणीय हैं, प्रवक्ता बग्गा ने किस आवेश में आकर सच्चाई जाने बिना प्रहार किया, वह भी मनन करनी चाहिए:-

इस खबर के अनुसार, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने सितंबर 16, 2020 को नए संसद भवन के निर्माण के लिए वित्तीय बोलियाँ खोली थीं। टाटा प्रोजेक्ट्स ने सबसे कम बोली 861.90 करोड़ रुपए लगाई थी, जबकि लार्सन एंड टर्बो की बोली 865 करोड़ रुपए थी, जो कि लार्सन एंड टर्बो की 865 करोड़ रुपए की बोली से केवल 3.1 करोड़ रुपए कम है।

इस प्रोजेक्ट के लिए शुरुआत में सात कंपनियों ने ठेका हासिल करने के लिए बोली लगाई थी। आखिरी चरण में तीन कंपनियों को चुना गया, जिसमें लार्सन एंड टर्बो, टाटा प्रोजेक्ट्स और एक अन्य कंपनी शामिल थी।

टाटा प्रोजेक्ट को सबसे कम बोली (861 करोड़) लगाने के कारण यह प्रोजेक्ट दिया गया। यह नए संसद भवन का निर्माण कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की महत्वाकांक्षी ‘सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना’ का ही एक हिस्सा है।

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