संविधान की शपथ लेकर सदन में बिल को फाड़ते अरविन्द केजरीवाल
दिल्ली के विवादित और अराजक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर संविधान की मर्यादा तार-तार की है। आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए एक बार फिर घटिया हथकंडा अपनाया है। गुरुवार, 17 दिसंबर को दिल्ली विधानसभा के एकदिवसीय विशेष सत्र के दौरान अरविंद केजरीवाल ने सदन में केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ दी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों की प्रति फाड़ी। किसी भी काग़ज़ को सदन के भीतर फाड़ने वाले संभवतः देश के इतिहास में पहले मुख्यमंत्री बने। pic.twitter.com/8sungmsniJ
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) December 17, 2020
किसान नहीं, भाजपा भ्रमित हैं।#KejriwalAgainstFarmBills pic.twitter.com/chnaqyLotV
— AAP (@AamAadmiParty) December 17, 2020
केजरीवाल एक गद्दार आदमी है उसको देश चलाना नहीं है देश मोदी जी को चलाना है केजरीवाल बुद्धिहीन आदमी हैं गांव का सरपंच होने का लायक नहीं है दिल्ली वालों ने उसको मुख्यमंत्री बना दिया वही दिल्ली का दुर्भाग्य है कॉफी पड़े ना पड़े कुछ होने वाला नहीं है और किसान बिल वापस भी नहीं होगा
— jani shailesh (@janishailesh904) December 17, 2020
इत्तेफाक देखिए जब किसान आंदोलन की शुरुआत हुई तब ठीक था अब जैसे ही समय बीता दिल्ली में आतंकवादी पकड़े गए ।
— अनुपम शर्मा अधिवक्ता (@AnupamSharmaAdv) December 17, 2020
दिल्ली में केजरीवाल का नाटक शुरू ।
पाकिस्तान में चीन के साथ बैठक शुरू ।
क्या यह एक षड़यंत्र है जो भारत पर चारों ओर से हमला हो रहा ।
— Aatmanirbhar Bharat (@KafirModiShah) December 17, 2020
— Charanjeetsingh (@Charanj82569886) December 17, 2020
— Charanjeetsingh (@Charanj82569886) December 17, 2020
What was the hurry to get Farm Laws passed in Parliament during pandemic? It has happened for 1st time that 3 laws were passed without voting in Rajya Sabha...I hereby tear 3 Farm laws in this assembly & appeal Centre not to become worst than Britishers: Delhi CM Arvind Kejriwal https://t.co/zvc2Dx1w3E pic.twitter.com/rUOACIQwp3
— ANI (@ANI) December 17, 2020
What was the hurry to get Farm Laws passed in Parliament during pandemic? It has happened for 1st time that 3 laws were passed without voting in Rajya Sabha...I hereby tear 3 Farm laws in this assembly & appeal Centre not to become worst than Britishers: Delhi CM Arvind Kejriwal https://t.co/zvc2Dx1w3E pic.twitter.com/rUOACIQwp3
— ANI (@ANI) December 17, 2020
There may be a role for corporates, but it has to be on Farmers terms, with the safeguards they want such as against the posibility of Adani/Ambani monopoly. Scrap the current bill and consult engage the Farmers.
— Harpreet Gill (@Harpree11280723) December 17, 2020
हरामखोर संविधान की शपथ लेकर संसद में पारित कानून की प्रति फाड़ रहा। pic.twitter.com/gpugRoLyDY
— शिवजी सिंह विशेन (@wC2GP2UidCGOWGj) December 17, 2020
साला संविधान की शपथ लेकर भारतीय संसद में पारित सरकारी बिल फाड़ रहा। pic.twitter.com/HLlFJw7udV
— शिवजी सिंह विशेन (@wC2GP2UidCGOWGj) December 17, 2020<जनता ने तो शायद पहले ही कहा था कि दिल्ली ने मुख्यमंत्री के नाम पर एक सनकी व्यक्ति को चुना है। यह दिल्ली ही नहीं, देश का दुर्भाग्य है कि हमारे लोकतंत्र में ऐसे लोग भी हैं जो संसद, विधायिका, संविधान आदि का अपमान करते हुए तनिक भी नहीं झिझकते हैं।@PMOIndia @narendramodi @rsprasad
— रजनीश Dixit | इंजीनियर |लेखक | समीक्षक |अनुवादक | (@RDTQM) December 17, 2020We have a bigger joker in delhi!
— Pablo Chocobar (@pablo_tulsidaas) December 17, 2020
The supreme dadhi wala joker!नौटंकी बाज सर जी
— @jju गुप्ता (@ajaysdl1993) December 17, 2020
माहौल विपरीत होते देख पल्ला झाड़ लिया
लेकिन इससे उनकी पुरानी सहमति थोड़ी ना बदल जाएगीयही भाई साहब पंजाब चुनाव के समय सेम चीज का समर्थन किए थे pic.twitter.com/hpkGUn7hma
— Amol Ranjan (@amolranjanpand1) December 17, 2020Sahi bola bhaiya ye banda bht bada wala dramebaz h
— Shivank Dixit (@Shivank52336003) December 17, 2020
‘हां, मैं अराजक हूं, और जरूरत पड़ी तो मैं गणतंत्र दिवस परेड भी नहीं होने दूंगा।‘
दिल्ली का मुख्यमंत्री होते हुए भी 21 जनवरी, 2014 को दिया गया अरविंद केजरीवाल का ये ‘अराजक’ बयान उनके पूरे व्यक्तित्व को बताता है। अब ये अराजकता उनकी कार्यशैली में साफ दिखती है। दरअसल 2013 में जब वे पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे तब लोगों को उनसे बदलाव की राजनीति की एक नई शैली की उम्मीद थी। लेकिन दिल्ली के लोगों ने उनकी टकराव, जिद, धमकी और मनमानी वाली राजनीति ही देखी है। शुचिता और ईमानदारी की बात करते-करते ‘अराजक’ केजरीवाल भ्रष्टाचार, झूठ, फरेब और भाई भतीजावाद की राजनीति को प्रश्रय देने वाले राजनेता का उदाहरण बन गए। उनकी वादाखिलाफी, अहंकार और अक्खड़पन ने न सिर्फ दिल्ली की जनता के सपनों को तोड़ा है, बल्कि उस भरोसे को भी तोड़कर रख दिया जिस बुनियाद पर लोग व्यवस्था परिवर्तन की उम्मीद करते हैं।
रेल भवन के सामने सड़क पर धरना
अरविंद केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने सैकड़ों समर्थकों के साथ 20 जनवरी, 2014 को दक्षिण दिल्ली में एक कथित ड्रग और वेश्यावृत्ति रैकेट पर छापा मारने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए रेल भवन के बाहर धरना दिया था। पुलिस ने उनके खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया कि 19 जनवरी, 2014 को सहायक पुलिस आयुक्त ने रेल भवन और संसद मार्ग के पास नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, विजय चौक इलाकों में निषेधाज्ञा लागू की थी, जिसके खिलाफ जाकर उन्होंने यह विरोध प्रदर्शन किया। उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए अपने 6 मंत्रियों के साथ केजरीवाल ने अपना विरोध जताने के लिए नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय की तरफ जाने की कोशिश की।
जब एलजी ऑफिस में हड़ताल पर बैठे केजरीवाल
जून 2018 में अरविंद केजरीवाल की अराजकता फिर देखने को मिली जब वह अपने सहयोगी मंत्रियों के साथ तत्कालीन एलजी अनिल बैजल के ऑफिस में हड़ताल पर बैठ गए। केजरीवाल और उनके मंत्री अपनी मांगों के समर्थन में 11 जून, 2018 की शाम से 20 जून, 2018 तक एलजी अनिल बैजल के कार्यालय में धरना देते रहे।
“दिल्ली की जनता एलजी की गुलाम है”
2 जुलाई, 2019 को दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आम आदमी पार्टी ने महासम्मेलन का आयोजन किया। आप के सांसदों, मंत्री और विधायकों की मौजूदगी में इस महासम्मेलन को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, ”हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाकर ही दम लेंगे।” केजरीवाल ने यह भी कहा कि दिल्ली पहले मुगलों की गुलाम रही। फिर अंग्रेजों की हुई और अब एलजी की गुलाम है। बहरहाल यह जानना आवश्यक है कि कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का मांग दिए जाने की मांग पुरानी है, लेकिन केंद्र सरकार ने बार-बार साफ कर दिया है कि यह संभव नहीं है। ऐसे में केजरीवाल एंड कंपनी दिल्ली के आम जनों का काम नहीं कर पूर्ण राज्य के मुद्दे को तूल देने में लग गई है।
जेएनयू में देश विरोधी नारों का समर्थन
देश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय जेएनयू में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे-इंशाल्लाह, इंशाल्लाह’ ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जारी’, ‘इंडियन आर्मी मुर्दाबाद’ और ‘कितने अफजल मारोगे-हर घर से अफजल निकलेगा’ ये देशविरोधी नारे लगाए जाते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऐसे नारा लगाने वालों के साथ खड़े नजर आते हैं। एक सरकार के मुखिया का ऐसे नारों का समर्थन करने पर देश और दिल्ली की जनता में आक्रोश है। केजरीवाल सरकार जेएनयू के पूर्व छात्र अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ केस चलाने के मामले में महीनों से रोड़ा बनी है। वहीं विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि बीते 22 फरवरी और 23 अगस्त 2019 को विधानसभा में टुकड़े-टुकड़े गैंग का मामला उठाया था, लेकिन सीएम केजरीवाल ने मार्शल बुलाकर भाजपा के विधायकों को सदन से बाहर निकलवा दिया। वह सिर्फ टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करना चाहते हैं। गुप्ता ने कहा कि मुकदमा चलाने की अनुमति न देकर मुख्यमंत्री केजरीवाल कानून को काम करने से रोक रहे हैं और गलत उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
मनीष सिसोदिया ने पुलिस पर लगाया झूठा आरोप
जब नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली जल रह थी और जामिया में हिंसक भीड़ बसों में आग लगा रही थी, तब केजरीवाल सरकार के डिप्टी सीएम आग भड़काने में लगे थे। यहां तक उन्होंने घटना की सच्चाई जाने बिना ट्वीट कर पुलिस पर ही बस को जलाने का गंभीर आरोप लगा दिया। इसके अलावा जलती बस का एक वीडियो वायरल करने से हिंसा अन्य इलाकों और विश्वविद्यालयों में भी फैल गई। बाद में दिल्ली पुलिस ने एक अन्य वीडियो जारी किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि पुलिस ने बस को आग नहीं लगाई गई थी। सिसोदिया ने हिंसा को रोकने की अपील करने के बजाय पुलिस को कसूरवार ठहरा दिया और हिंसा करने वाले के साथ खड़े नजर आए।
हिंसा में शामिल AAP विधायक पर मामला दर्ज
आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह खान भी जामिया छात्रों के हिंसापूर्ण प्रदर्शन में शामिल थे। दिल्ली पुलिस ने अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस के प्राथमिकियों में आगजनी, तोड़फोड़, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के आरोप शामिल हैं।
केजरीवाल की शह पर गुंडागर्दी करते हैं आप विधायक
19 फरवरी, 2018 की रात 12 बजे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के घर पर विधायकों की बैठक थी। इसमें शामिल होने के लिए राज्य के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को भी बुलाया गया था, लेकिन उसी दौरान आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से धक्का-मुक्की और बदसलूकी की। सवाल है कि सीएम के इशारे के बिना क्या कोई विधायक उनकी मौजूदगी में ऐसी हरकत करने की हिम्मत कर सकता है? अगर ऐसा नहीं था तो केजरीवाल को स्वयं इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करवानी चाहिए थी। वे राज्य के संवैधानिक पद पर बैठे हैं इसलिए उनकी जिम्मेवारी थी कि कम से कम पुलिस को इस बात की सूचना खुद देते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अधिकारियों को गुलाम समझती है केजरी एंड कंपनी
4 अक्टूबर, 2017 को अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कहा था, ”दिल्ली के मालिक हम हैं”। आप समझ सकते हैं जिस व्यक्ति ने जनता का सेवक बनने का वादा कर सत्ता हासिल की वे स्वयं को दिल्ली का मालिक कहते हैं। जाहिर है मूल सोच में ही जब खोट हो तो उसके परिणाम भी घातक ही होंगे। दिल्ली में कुछ ऐसा ही हो रहा है। अधिकारियों को सरेआम बेईमान कहना, उन्हें गालियां देना और मनमानी करने वाला बताना, कम से कम एक सीएम को तो शोभा नहीं देता है। केजरीवाल एंड कंपनी ने जब से सत्ता का स्वाद चखा है उनका व्यवहार सामंती हो चला है। वे दिल्ली के मालिक बन बैठे हैं और अधिकारियों को वे गुलाम समझते हैं।
बीजेपी नेताओं से बदसलूकी
कुछ दिन पहले की ही घटना है जब दिल्ली में चल रहे सीलिंग मुद्दे पर बैठक के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पहुंचे बीजेपी नेताओं के साथ केजरीवाल के गुंडों पर मारपीट का आरोप लगा था। इस घटना के बाद दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और अन्य नेताओं ने थाने पहुंचकर केजरीवाल एवं उनके गुर्गों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। मनोज तिवारी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी के नेता जरनैल सिंह ने उनके एक नेता से ऐसी धक्का-मुक्की की कि उनके हाथ में चोट आ गई। मनोज तिवारी ने ये भी आरोप लगाया कि वे समय लेकर वहां पहुंचे थे, लेकिन केजरीवाल ने उनसे अभद्र भाषा में बात की और अपमान किया।
गणतंत्र दिवस का बहिष्कार
क्या आप गणतंत्र दिवस के बहिष्कार की बात सोच सकते हैं? नहीं ना? ऐसा वही सोच सकते हैं जिन्हें भारतीय लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। जैसे- आतंकवादी, नक्सलवादी। लेकिन आपकी सोच गलत है। ऐसा खुद को अराजकतावादी कहने वाले अरविंद केजरीवाल भी कर सकते हैं। केजरीवाल ने कहा था कि 26 जनवरी का उत्सव संसाधनों की बर्बादी है। जो इंसान मुख्यमंत्री रहते संविधान दिवस तक की परवाह नहीं करे, वो वाकई अराजकतावादी ही हो सकता है।
सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल
29 सितम्बर, 2016 को पाकिस्तान के खिलाफ सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सवालिया निशान लगाते हुए बयान दिया कि पाकिस्तान किसी भी तरह की सर्जिकल स्ट्राइक से इंकार कर रहा है, इसलिए सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत देने चाहिए।
मुख्यमंत्री आवास के आसपास धारा 144 लागू करना
धरने और प्रदर्शन की राजनीति से सत्ता पर काबिज होने वाले केजरीवाल को जनता के धरने ओर प्रदर्शन से इतना डर लगने लगा कि उन्होंने 3 अगस्त 2016 को यह फरमान जारी कर दिया कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर धारा 144 लागू रहेगी। दूसरे ही दिन उपराज्यपाल ने इस आदेश को रद्द कर दिया। क्योंकि पुलिस कानून के तहत सीआरपीसी की धारा 144 लगाने का अधिकार डीसीपी या उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों के पास होता है और दिल्ली पुलिस उपराज्यपाल के अधीन काम करती है।
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