पटना के सदाकत आश्रम में फिर भिड़े कांग्रेसी, खूब चलीं कुर्सियां

                     बिहार मे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच टकराव (वीडियो से लिए गए स्क्रीनशॉट)
बिहार की राजधानी पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प का मामला सामने आया है। एक बैठक के दौरान पार्टी के लोगों में आपस में ही कहासुनी हो गई। समाचार एजेंसी एएनआई ने पूरी घटना की वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ”पटना में कांग्रेस इंचार्ज भक्त चरण दास की बैठक में तनातनी का माहौल हो गया।”
बिहार में जो कुछ भी हो रहा है कोई ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं, क्योकि दिल्ली से लेकर कश्मीर और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कांग्रेस में लड़ाई चल रही है। कहीं परिवार के विरुद्ध तो कहीं किसी अन्य मुद्दे पर। दरअसल, पार्टी में मनमुटाव तो सोनिया गाँधी को अध्यक्षा बनाने के लिए सीता राम केसरी को पार्टी ऑफिस से फेंक दिया गया था, दूसरे भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए पार्टी ऑफिस के दरवाज़े तक नहीं खोले गए थे। तीसरे, नरेंद्र मोदी लहर को रोकने, तमाम विरोधों के बावजूद आम आदमी पार्टी बनाना। सोनिया की तानाशाही के कारण बनी आम आदमी पार्टी ने ही पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया और उसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ। अब जिस तरह कांग्रेस में गुटबाज़ी, परिवार से मनमुटाव और लड़ाइयां सामने आ रही हैं, वह 2024 तक कांग्रेस के टूटने की उस सम्भावना को बल दे रही है।      

पटना स्थित सदाकत आश्रम कांग्रेसी नेताओं के लिए अखाड़ा है, जिसमें सभी नेता अपनी-अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते रहते हैं। इस दौरान पूरा आश्रम जंग के मैदान में तब्दिल हो जाता है और एक-दूसरे पर मुक्कों और कुर्सियों की बौछार शुरू हो जाती है। ऐसा ही नजारा 12 जनवरी को भी देखने को मिला जब कांग्रेस पार्टी की बिहार इकाई ने अपने नये प्रभारी का  हंगामेदार स्वागत किया और दो गुट आपस में ही भिड़ गए। दोनों तरफ से लात-घूसे के साथ कुर्सियां तक फेंक कर हमला किया गया।

एजेंसी के अनुसार, ये आपसी झड़प विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार और टिकट डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर शुरू हुई। बाद में मामला हाथापाई तक पहुँच गया और बैठक में मौजूद लोग एक दूसरे से गाली गलौच करने लगे। मंच से सबको चुप कराने का भी प्रयास हुआ लेकिन बात और बिगड़ गई।

वीडियो में देख सकते हैं कि आपसी कहासुनी के बीच वहाँ मौजूद लोग धक्का-मुक्की करने लगते हैं। इस दौरान मंच की ओर कुर्सी भी फेंकी जाती है। नारेबाजी होती है। तभी एक व्यक्ति बीच में आकर कहता है, “कांग्रेस के दलालों होश में आ जाओ।”

दरअसल बिहार के नवनियुक्त प्रभारी भक्त चरण दास की मौजूदगी में बैठक के दौरान पार्टी के दो गुटों के नेताओं के बीच एक बार फिर मारपीट की नौबत आ गयी। बागी नेताओं में शामिल किसान नेता राजकुमार राजन ने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर मनमानी करने और विधानसभा चुनावों में टिकटों की खरीद बिक्री करने को लेकर आरोप लगाने शुरू कर दिए। उन्होंने अभी बोलना शुरू ही किया था कि प्रदेश नेतृत्व के कई नेताओं ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद कांग्रेसियों ने बैठक में जमकर बवाल काटा। एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकी और धक्‍का-मुक्‍की भी खूब हुई।

पार्टी प्रभारी बनने के बाद भक्त चरण दास अपनी तीन दिवसीय बिहार यात्रा पर बिहार की राजधानी पटना में मौजूद हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को भी वह सदाकत आश्रम में किसान मोर्चा के साथ बैठक करने गए।

बैठक के शुरू होते ही वहाँ मौजूद कार्यकर्ताओं की आपस में कहा सुनी हो गई। देखते ही देखते मामला इतना बिगड़ गया कि भक्त चरण दास सबसे शांत होने की अपील करते लगे लेकिन अन्य सभी लोग आपसी बहस में उलझ गए। इस बीच मंच पर मौजूद भक्त चरण दास, प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, अजीत शर्मा जैसे नेता लगातार नेताओं को शांत कराने की कोशिश करते नजर आए। मगर नेता शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे। बीच-बचाव में कई और नेता कूदे तब जाकर बागी शांत हुए। इसके बाद बैठक की कार्यवाही आगे बढ़ सकी। यह पहला मौका नहीं जब कांग्रेस के दो गुट आपस मे भिड़े हैं। एक दिन पहले भी सोमवार को बागी खेमे ने प्रभारी की मौजूदगी में हंगामा किया था। 

इससे पूर्व, कल भी एक बैठक के दौरान भक्त चरण दास के सामने पार्टी के कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा था। सभी कार्यकर्ता कॉन्ग्रेस को मिली हार के कारण प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। यही कारण था कि सोमवार मौका मिलते ही उन्होंने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को बदलने की माँग की।

वहीं, अपनी बैठक में कार्यकर्ताओं को हंगामा करता देख भक्त चरण दास ने पहले उन्हें शांत कराया और फिर उनकी समस्याओं को सुनते हुए हर मसले पर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास कांग्रेस के साथ भी धक्का-मुक्की की गयी। हालांकि उन्हें किसी तरह से बाहर निकाल लिया गया। भक्तचरण दास ने हंगामे पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि बाहरी तत्वों ने हंगामा किया। ये तत्व बैठक में व्यवधान उत्पन्न करना चाह रहे थे। हंगामें शामिल लोगा किसान संगठन के सदस्य नहीं थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में ये सब बाते कॉमन है। पार्टी में कौन लोग अनुशासित नहीं है। इस बारे में पहचान की जा रही है, पहचान होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

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