किसानों के हिंसक प्रदर्शन के लिए कॉन्ग्रेस नेता ने पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
एक व्यक्ति होता है, जो गलती से कुछ सीखता है, लेकिन कांग्रेस, वामपंथ और आम आदमी पार्टी ऐसी पार्टियां हैं, जो सीखने की बजाए अपनी गलतियों पर गौरवविंत होकर स्वयं ही अराजक होने का प्रमाण दे रही हैं। पहले 'टुकड़े-टुकड़े गैंग', फिर 'नागरिकता संशोधक कानून' के विरोधियों के समर्थन के बाद अब तथाकथित किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े होकर। ये तीनों ही पार्टियां राष्ट्र को जवाब दें कि यदि कृषि कानून किसान विरोधी हैं, फिर किस आधार पर इनके नेता संसद में खड़े होकर किसान की खुशहाली के लिए दलाली प्रथा ख़त्म करने के लिए बोलने के साथ-साथ अपने-अपने घोषणा-पत्रों में इन कानूनों को लाने का उल्लेख कर रहे थे।
दूसरे, कांग्रेस के पास अपनी छवि सुधारने के इतने अवसर आये,लेकिन तुष्टिकरण पुजारी होने के कारण सभी हाथ से गँवा दिए। अयोध्या,काशी और मथुरा के अलावा जिस खालिस्तान समर्थकों ने उनकी नेता यानि देश की प्रथानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या की, उसी खालिस्तान समर्थित किसान आंदोलन के पक्ष में खड़ी हो गयी, फिर किस मुंह से इंदिरा की हत्या को बलिदान का नाम देकर वोट मांगती है। मुंबई हमले के गुनहगार इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने के "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर हिन्दुओं को बदनाम करते रहे। बेगुनाह हिन्दू साधु/संत और साध्वियों को आतंकवादी करार कर जेलों में डालती रही। पकडे गए आतंकियों को बिरयानी और बेकसूर हिन्दू साधु और साध्वियों पर अत्याचार, क्या कांग्रेस के शब्दकोष में इसी को धर्म-निरपेक्ष कहते हैं?
तीसरे, जब ये कृषि कानून किसान विरोधी थे, फिर किस कारण मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इन्हें दिल्ली में लागु किया था। लेकिन यू-टर्न विशेषज्ञ ने पंजाब चुनाव को देखते एकदम पलटी मार विरोध में खड़े हो गए, यानि जो पार्टी अपने निर्णय पर नहीं टिक नहीं सकती उसे भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं।
26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में खूब बवाल मचाया। सबसे शर्मनाक बात ये थी कि दंगाई किसानों ने लाल किले के प्राचीर पर चढ़कर एक विशेष धार्मिक संगठन का झंडा लगा दिया गया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। इस मामले में कांग्रेस ने भी अब मैदान में कूदते हुए इस पूरी घटना पर दिल्ली पुलिस को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में किसान उग्र नहीं हुए थे, दिल्ली पुलिस उग्र हुई थी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने तय गाजीपुर सीमा बदल दी और वहाँ बैरियर लगा दिए, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।
#WATCH | ...At the Ghazipur border, the police barricaded the route which was the planned route for the tractor rally. Then police used tear gas which precipitated the violence that ensued." Congress leader Digvijaya Singh pic.twitter.com/j6e5ZtsRgZ
— ANI (@ANI) January 27, 2021
मुंबई आतंकवादी हमले को RSS की साजिश बताने वाले दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आँसू गैस और लाठी-डंडे चलाए। उससे विवाद बढ़ा और वही कारण बना। यानी, उनके मुताबिक, इसी वजह से तथाकथित किसान प्रदर्शनकारियों को मुगल स्मारक, लाल किले पर तिरंगें का अपमान करते हुए सिख ध्वज फैलाने पर मजबूर होना पड़ा।
ज्ञात हो, लाल किला मुग़ल स्मारक नहीं बल्कि हिन्दू स्मारक है, जिसे अनन्तपाल तोमर ने बनवाया था। अगर गलत इतिहास लिखवाकर उसे मुग़ल नाम दे दिया गया है, कसूर कांग्रेस और वामपंथी इतिहासकार हैं।
दिल्ली की सरकारी सम्पत्ति का जो नुक़सान 26 जनवरी को उपद्रवियों ने किया, उसकी भरपाई राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और अन्य किसान नेताओं की सम्पत्ति ज़ब्त करके होनी चाहिए। लाश ढकने के लिए इन्हें तिरंगा चाहिए और लाल किले पर लगाने के लिए खालिस्तान का झंडा pic.twitter.com/a2DrYwbu7Z ट्वीट डिलीट क्यों करदी @rssurjewala ? @jawaharyadavbjp ji please file FIR against him pic.twitter.com/EojD59IFGx देखिए किस तरह से सिंघु बॉर्डर पर रिपोर्टिंग के दौरान किसान के भेष में आए इन खालिस्तानी आतंकियों ने मुझपर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की। महादेव ने रक्षा की। 🙏 pic.twitter.com/1oM4RjVT9v
RT if you agree
पुलिस की लाठी के बाद किसानों ने तलवार उठाई।#RepublicDay #TractorParadeOn26Jan pic.twitter.com/woGMsajrHg
— Utkarsh Singh (@UtkarshSingh_) January 26, 2021
दिल्ली पर आतंकी हमला : 26 जनवरी सुबह 8 बजे खुलेआम एलान हुआ था कि बेरिकेड तोड़ने है, पुलिस को मारना है और लाल किले जाना है #TerrorAttackOnDelhi pic.twitter.com/8KUHlyMrYg
— Kreately (@KreatelyMedia) January 27, 2021
अगर दीप सिद्धू मोदी का आदमी है तो राकेश टिकैत कांग्रेस का आदमी हैं... pic.twitter.com/MXmvVXyhYA
— Ravi Bhadoria (@ravibhadoria) January 27, 2021
पता नहीं क्यों किसान इस राकेश डकैत की सच्चाई नहीं देख पा रहे!
— मीनू हिन्दुस्तानी (@meenu13hindu) January 27, 2021
इसके 3 कार शोरूम हैं,ईंटों के भट्ठे हैं,काँग्रेसी राज में इसने ब्लैकमेल करके 4पेट्रोल पंप लिए हैं, 1गैस एजेंसी है इसका लड़का अमेरिका में पढ़ रहा है!
इसका पूरा परिवार बेहद ऐशो आराम की जिंदगी जी रहा है और यह धूर्त कई
1/n pic.twitter.com/4c2atKQf0X
ये सारे हिंसक प्रदर्शन केजरी सरकार के राज्य दिल्ली मे क्यु होते है??
— Sapna Agarwal (@iSapnaAgarwal) January 27, 2021
जैसे शाहीनबाग, nrc दंगे अब किसान??
खैर हम यूपी वालो को क्या, मेरा प्रदेश हिंसक मुक्त है। यहाँ दंगे करने का कोई सोच भी नही सकता 😜😝
देश की राजधानी में हिंसक विरोध प्रदर्शन, राष्ट्र के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व और बेरहमी से घायल किए गए 300 से अधिक पुलिस कर्मियों को देखते हुए भी कांग्रेस ने अपनी नीच राजनीति नहीं छोड़ी। दिग्विजय सिंह के अनुसार, 26 जनवरी को हुआ यह दंगा दिल्ली पुलिस की वजह से हुआ, जिसने उनके अनुसार प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स लगाकर उकसाया और कथित रूप से रैली मार्गों में फेरबदल किया।
हालाँकि, यह पूरी तरह सच नहीं है। दिल्ली पुलिस ने न केवल एक, बल्कि उन सभी चार सीमाओं को भी ब्लॉक कर दिया था, जहाँ प्रदर्शनकारियों ने डेरा डाला था। गणतंत्र दिवस पर हिंसा की आशंका और मध्य दिल्ली क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों द्वारा किसी भी प्रकार के हंगामें को रोकने की वजह से दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र परेड के समापन तक चार मार्गों को ब्लॉक कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने पहले ही इस बात पर जोर देकर कहा था कि गणतंत्र दिवस की परेड के समापन के बाद ही नाकाबंदी खोली जाएगी।
इसके बावजूद तथाकथित किसानों ने अपनी रैली शुरू करने के लिए तय समय सीमा से पहले ही दिल्ली में प्रवेश करने में पूरी ताकत लगा दी थी। जिसके चलते किसानों ने तय समय सीमा 12 बजे से पहले पुलिस बैरियर को जबरन तोड़ना शुरू कर दिया और राष्ट्रीय राजधानी में उन मार्गों से प्रवेश किया जिनकी अनुमति दिल्ली पुलिस द्वारा नहीं दी गई थी।
दिल्ली पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें देखा गया कि गणतंत्र दिवस खत्म होने से पहले ही कैसे प्रदर्शनकारी आईटीओ तक पहुँच गए थे।
वहीं कुछ वीडियो में प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों के ऊपर तेजी से ट्रैक्टर चलाने की कोशिश करते हुए देखे गए। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने तलवार और डंडों से पुलिस कर्मियों पर हमला बोल दिया।
‘टाइम्स नाउ’ द्वारा साझा किए गए एक अन्य वीडियो में एक प्रदर्शनकारी को एक ऑटोमैटिक राइफल लहराते हुए देखा गया, जब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। हालाँकि वे इस पर नहीं रुके और उन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला जारी रखते हुए गणतंत्र दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करते हुए कथित खालिस्तानी झंडे को फहराने के लिए लाल किला पहुँच गए।
ट्रैक्टर रैली से 1 दिन पहले कथित तौर पर किसानों को बरगलाने और उकसाने वाली वाली कांग्रेस अब हिंसा के बाद इस पूरी घटना दोष दिल्ली पुलिस के मत्थे मढ़ने पर तुली है। जबकि खुद इस हिंसा में दिल्ली पुलिस तथाकथित किसानों के हाथों बड़े पैमाने पर शिकार हुए है।
#WATCH | Confrontation between farmers & Delhi Police reported in several points during the tractor rally.
— TIMES NOW (@TimesNow) January 26, 2021
Mohit Sharma, Waji, Parvina with ground details. pic.twitter.com/UaIRZllyi9
जैसे ही गणतंत्र दिवस पर दंगाइयों ने राजधानी को घेर लिया, कांग्रेस पार्टी की खुशी का तो मानो ठिकाना ही न रहा हो। कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को एक जश्न के तौर पर मनाया।
यह देखिए पंजाब का यह किसान नेता हरियाणा के जाटों को जमकर कोस रहा है और दंगों के लिए अकेले हरियाणा के जाटों को जिम्मेदार बता कर पूरा ठीकरा उनके सर मढ़ रहा है इंडिया टीवी रिपोर्टर @manishindiatv को कल लाल किले पर उपद्रवियों ने गोदी मीडिया बताकर बुरी तरह पीटा।उसका कसूर सिर्फ इतना कि उसने ये पूछ लिया कि 'क्या आपलोगों ने जो किया सही किया?"।अपना एजेंडा छिपाने के लिए 'गोदी मीडिया' नाम का प्रोपैगैंडा खड़ा करनेवालों ने पैदा किए हैं ये हालात। https://t.co/yE1fUzoaJI इतने वीडियो इतने फोटो इतने साक्ष्यों के बावजूद यदि कोई कल की घटना का समर्थन करता है तो वह वैचारिक #खालिस्तानी है वो चाहे मीलाड ही क्यू न हो😡😡
हरियाणा के जाट भाइयों इसे पहचानो और इसे दौड़ा-दौड़ा कर इसकी चुम्मीयाँ लो...!!🤣🤣 pic.twitter.com/8CmG70lS8m
🚩जय श्री राम🚩🙏
Peaceful with Such Arms??
— AKS (@sAKSena001) January 26, 2021
Police peaceful rehne hi nhi de rahi , why blocking roads when you have agreed to let them go through it first?
— Sunpreet Singh (@Sunny_Seashell) January 26, 2021
Kejriwal should immediately resign without wasting time he is responsible for the chaos and
— rajendranahak (@nahakrajendra) January 26, 2021
Have you ever faced police force in a protest?
— NK (@NK75430984) January 26, 2021
Then should the protesters sit and pray?
What should they do? Why police stop their peaceful march?#India #FarmersProstests
Why protest. Who are farmers! These are paid rioters.
— . (@PatitapabanDa16) January 26, 2021
Rioting, ransoming , demolishing property by tractors is not acceptable in any https://t.co/ZlOkOx6Je4 do not teach the reasons.
— . (@PatitapabanDa16) January 27, 2021
Kejriwal should immediately resign without wasting time he is responsible for the chaos and
— rajendranahak (@nahakrajendra) January 26, 2021
Yeh bhi dekh le Bhai
— Zeeshan Akhtar Khan (@zeeshan1491) January 26, 2021
Waah bhai ajeeb jalbe hai apke pahle like karteho iske baad birudh me bolteho
— Nantu Das (@Nantu44) January 26, 2021
Except NDTV which channel aired this? But every channel blaming only farmers. This has also happened today. pic.twitter.com/haVNyGCTfr
— Facts check (@Facts_chek) January 27, 2021
this is shameful.... but I can say by watching that these are not farmers... but they shouldn't have done this 😕😕
— Amanat (@Amanat527) January 27, 2021
दंगे को राजनीतिक रंग देते हुए कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक हैंडल ने सोशल मीडिया पर ट्रैक्टर परेड की एक तस्वीर साझा की और कैप्शन दिया कि, “कभी भी एक गणतंत्र की शक्ति को कम मत समझो”। यह उल्लेख करना आवश्यक है कि ट्वीट दोपहर 1:45 बजे किया गया था, जब दिल्ली में भीड़ ने एक हिंसक रूप धारण कर लिया था।
हिंसक प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने पुलिस पर लाठी, तलवारों से हमला किया और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया। कुछ उपद्रवियों ने पुलिस अधिकारियों को भड़काने का भी प्रयास किया। भीड़ यहीं नहीं रुकी। इसके बाद उन्होंने लाल किले में जाकर अपना सिख ध्वज फहराया।
वहीं इस दौरान कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार पर भी हमला बोला क्योंकि उसे इससे चुनावी फायदा मिलने की उम्मीद है। इससे पहले सीएए विरोधी दंगों के दौरान, कांग्रेस नेताओं ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में प्रचार प्रसार किया था और उसी के संबंध में विरोध प्रदर्शन भी किया था।

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