त्रिवेंद्र सिंह रावत को 4 साल बाद क्यों इस्तीफा देना पड़ा?

70 में से 59 सीटें लेनी वाली भाजपा को आखिर किस कारण चुनाव से एक साल पूर्व अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा? आखिर किस दबाव में है उत्तराखंड भाजपा?क्या पार्टी में बगावत की सुगबुगाहट चल रही है? लेकिन विपक्ष के गिरते ग्राफ के कारण किसी अन्य पार्टी के जाने पर अपनी छवि ख़राब होने की वजह से अपनी ऐशोआराम पर पड़ते प्रभाव से दुखी होकर किसी अन्य पार्टी में न जा सकने के कारण मजबूरी में पार्टी में ही रहना पड़ रहा है। 

त्रिमूर्ति मोदी-योगी-अमित के कंधे बैठ सामान्य एवं कमर्ठ कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ करना भाजपा को भारी पड़ रहा है। शीर्ष नेतृत्व को इस गंभीर समस्या पर मंथन करना होगा। अगर रावत राज्य में आशानुरूप काम नहीं कर रहे थे, चुनाव से एक साल पहले क्यों होश आया? परदे के पीछे हो रही बगावत की ओर इशारा कर रही है।  

उत्तराखंड भाजपा में चल रहे घमासान के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मार्च 9, 2021 शाम राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा। 

ऐसा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने के बाद पर्यवेक्षकों की देखरेख में विधायकों की बैठक में नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा। त्रिवेंद्र सिंह रावत के पद छोड़ने की अटकलों के साथ ही इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के तौर पर तीन नाम सामने आ रहे हैं। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का नाम मुख्यमंत्री की रेस में आगे है। तीनों में से किसी एक को नया मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। हालाँकि, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने इस सिलसिले में संघ के प्रमुख नेताओं से मुलाकात भी की थी। कहा जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री के लिए सतपाल महाराज के नाम पर भी चर्चा चल रही है।

रावत ने मार्च 8, 2021 को दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की। भाजपा उपाध्यक्ष रमन सिंह और पार्टी महासचिव दुष्यंत सिंह गौतम ने राज्य के दौरे से वापस आने के बाद पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। दोनों केंद्रीय नेताओं ने राज्य में भाजपा कोर समूह के सदस्यों से बातचीत की थी। मुख्यमंत्री रावत सांसद अनिल बलूनी के आवास पर भी गए थे।

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