नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में बने शाहीन बागों में 'कागज नहीं दिखाएंगे' आदि नारे लगाने वाले कौन थे, उसे साबित कर रही हैं असम की कांग्रेस उम्मीदवार सिबमोनी बोरा। जिन्होंने BDO रहते घुसपैठियों के नाम वोटर लिस्ट में नाम डाल दिए। जनसेवा के नाम पर वोट लेने वाले जब सरकारी नौकरी करते अपनी निष्ठा नहीं निभा पाए, ऐसे नेता बनने वाले देश का क्या भला करेंगे? कल्पना करना ही मूर्खता है, बल्कि उनके इस कथन पर चुनाव आयोग को संज्ञान लेकर नामांकन रद्द करने के साथ-साथ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।
असम में कांग्रेस की एक उम्मीदवार ने खुद ही उस आरोप को सिद्ध कर दिया, जो भाजपा उस पर कई वर्षों से लगाती रही है और राज्य में कई लोगों का भी ऐसा मानना है। दरअसल, नगाँव के बटद्रवा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सिबमोनी बोरा ने साबित कर दिया कि बिना वेरिफिकेशन के वोटर लिस्ट में कई लोगों का नाम जोड़वाने में सरकारी अधिकारियों ने मदद की है। बोरा पहले BDO रही हैं।
उन्होंने बतौर सरकारी अधिकारी अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि जब वो BDO हुआ करती थीं तो उन्हें चुनावी ड्यूटी भी मिलती थी और उस दौरान वो बिना किसी वेरिफिकेशन के लोगों को वोट डालने के लिए अंदर भेज देती थीं। उन्होंने कहा, “इस तरह मैं क्षेत्र के लोगों की सेवा राजनीति जॉइन करने से पहले से ही करती आ रही हूँ, जब मैं सरकारी अधिकारी थी।” इसी धांधली के कारण असम में लगातार 15 वर्ष कांग्रेस की सरकार थी।
सर्वानंद सोनवाल के मुख्यमंत्री बनने से पहले दिवंगत कांग्रेस नेता तरुण गोगोई ने वहाँ हैट्रिक लगाई थी। एक न्यूज़ चैनल द्वारा शेयर किए गए वीडियो में सिबमोनी बोरा को कहते हुए सुना जा सकता है, “मैं और मेरे पिता जनता के लिए वर्षों से काम कर रहे हैं। मैं दावा कर सकती हूँ कि आप में से अधिकतर को मेरे कारण वोट डालने का अधिकार मिला। जब मैं यहाँ BDO थीं तो वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन/अपडेट के लिए कई बार सुनवाई हुई।”
उन्होंने आगे कहा, “तब मैं बिना किसी के घर गए या जाँच-पड़ताल किए ही सभी आवेदनों को स्वीकार कर लेती थी और वोटर लिस्ट को अपडेट कर देती थी। जो यहाँ आज वोट देने आएँगे, उन्हें मैंने इस लायक बनाया है। अगर मैंने उस वक़्त ऐसा नहीं किया होता तो आप सभी के मताधिकार छिन गए होते।” उन्होंने कहा कि ऐसे वोटरों को अब डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनेगी।
उन्होंने रैली में आए लोगों को डराया कि अगर कांग्रेस-AIDUF सरकार सत्ता में नहीं आती है तो उन सभी को अपने मताधिकार से वंचित होना पड़ेगा। बता दें कि असम में वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए अधिकारियों की मौजूदगी में सार्वजनिक सुनवाई होती है, जिसमें साबित करना होता है कि उक्त नागरिक मतदाता है और अवैध घुसपैठिया नहीं। चुनाव आयोग इसके लिए राज्य के ही सरकारी अधिकारियों की मदद लेता है।
कांग्रेस उम्मीदवार के इस बयान से साफ़ हो गया है कि अधिकारियों की मदद से अवैध घुसपैठियों को भी मताधिकार देने का खेल लंबे समय से चल रहा है। सिबमोनी का मुकाबला भाजपा नेत्री और असम सिनेमा की पूर्व अभिनेत्री अंगूरलता डेका से है, जो वहाँ की वर्तमान विधायक हैं। बटद्वारा असम में वैष्णव संप्रदाय के जनक शंकरदेव की जन्मस्थली है। बांग्लादेश से बड़ी संख्या में घुसपैठिए यहाँ आकर बसे हुए हैं।
असम में भाजपा को सत्ता में न लौटने देने के लिए कॉन्ग्रेस CAA और NRC के मुद्दे उछाल रही है। असम में 27 मार्च से 6 अप्रैल तक होने वाले 15वें विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ को भी हथियार बनाया है। पार्टी ने ‘CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर असम पुलिस द्वारा गोली चलाने’ का वीडियो शेयर किया, लेकिन वो 2017 का वीडियो निकला जो झारखंड पुलिस का मॉक-ड्रिल था।
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