कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य के बिल को राष्ट्रपति की संस्तुति नहीं मिलने पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह किसानों और बिचौलियों के बीच के सदियों पुराने रिश्ते को तोड़ने की कोशिश कर रही है। अपने बयान में पंजाब के मुख्यमंत्री ने आढ़तियों और किसानों के बीच के संबंध को पुराना और आजमाया हुआ बताया।
उन्होंने कहा, “अगर भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद राज्य संशोधन विधेयकों को स्वीकृति नहीं देते हैं, तो हम सर्वोच्च न्यायालय में जाएँगे।” कैप्टन ने कहा कि राज्यपाल ने अभी भी राज्य संशोधित विधेयकों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा है। विधानसभा ने इसे पारित किया है, लेकिन यह दुखद है कि शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे पर राजनीतिक खेल खेलना शुरू कर दिया है।
अमरिंदर सिंह का यह बयान साफ बताता है कि वह खुले तौर पर आढ़तियों के पक्ष से बात कर रहे हैं। उनकी पार्टी कांग्रेस जो कुछ समय पहले तक किसान हित का राग अलाप रही थी, उसके लिए भी किसान हित दूसरे नंबर की बात हो गई है। पूरी पार्टी आढ़तियों के पक्ष से बोलने लगी है। पंजाब के फूड एंड सप्लाई मिनिस्टर भरत भूषण आशु ने 13 मार्च को कहा था कि किसानों को ‘आढ़तियों के जरिए डायरेक्ट पेमेंट’ जाएगी।
As per rules of APMC Act, we are making payments to farmers through arthiyas. The CM has also made it clear that payments will directly reach the farmers through arhtiyas: Punjab Food & Supply Minister Bharat Bhushan Ashu pic.twitter.com/vsNYlesYGl
— ANI (@ANI) March 13, 2021
जीजा का क्या होगा
— AMIT MISHRA (@siramitmishra) March 13, 2021
Inko banaya hi kyo in first place. Har jagah commission khaane waale bitha diye the Congress ne
— Prateek Singh 🇮🇳 (@prat_guru) March 13, 2021
ये सलीम योगेंद्र यादव केजरी का बड़ा पप्पा है।इनको मतलब देश में अराजकता फैलाना है। भिखारी से ले कर भड़वे तक का ये नेता बन जाता है। मल्टी टेलेंटेंड इंसान हे। इनका सही इलाज योगी बाबा की पुलिस ही कर सकती हे। क्योंकि अदालत में तो इनके पास प्रशांत भूषण और दूसरे दल्ले बेठे हे।
— RAMSINH ZALA (@RAMSINHZALA14) March 14, 2021
U have no information about this man ..in punjab &haryana artiyas are the backbone of farmers ..sara saal arti se advance paise leke kisan khata hai ..shadi krni ho ja koi aur bada kharcha ho aarti advance paise deta hai agr arti nhi hoga toh paise kaun dega
— @godimedia (@Sandeep27649326) March 13, 2021
देश अब दलालो का पहचान रहा है , जगह जगह पंजाब के दलाल घूम रहे है, पंजाब के दलालो को उनकी वेशभूषा से पहचान सकते है
— vicky Jain (@vicky99715) March 13, 2021
मोदी जी ने दलालो को तगड़ा झटका दिया है , दलाल बिलबिलाते घूम रहे है
देश मोदीजी के साथ खड़ा है गुजरात,तेलंगाना बिहार के चुनाव ने दिखा दिया है pic.twitter.com/NdElrQ9PEa
Sanghi bhakt like you don't know real issue. City people will never understand how things move in villages. Arthiyas are like bank for farmers. If they don't pay, Arthya have hard recovery system, so no bad debts. That's how efficient this system is. But bhakt won't understand it
— BheeshmPitamah (@BheeshmPitamah) March 13, 2021
So now everything is crystal clear.
— Mohil Malhotra🇮🇳मोहिल मल्होत्रा (@TheMohil8) March 13, 2021
Congress government of Punjab that's why does not want these farm laws to be implemented.
साल 2012 में भी केंद्र में बैठी यूपीए सरकार ने किसानों को प्रत्यक्ष भुगतान करने की बात का सुझाव दिया था। हालाँकि, स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने तब भी इसका विरोध किया था। उस समय राज्य में SAD-BJP की गठबंधन सरकार थी। तब केंद्रीय मंत्री व पटियाला की सांसद परणीत कौर, संगरूर के सांसद विजयेंद्र सिंगला और अन्य कांग्रेस सांसदों ने राज्य आढ़ती संघ के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए उपभोक्ता मामलों के तत्कालीन केंद्रीय मंत्री केवी थॉमस से मुलाकात की थी। उस समय भी इन सबने मिलकर केंद्रीय सरकार के सामने आढ़तियों के पक्ष में आवाज उठाई थी। तब कहा गया था कि बिना आढ़तियों के पंजाब में खाद्यान्नों की खरीद के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। वर्तमान व्यवस्था को समाप्त करने से केवल किसानों को परेशानी होगी।
आज 9 साल बाद ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ भी नहीं बदला है। बस बदला है तो किसान संघ का मत। किसान यूनियन ने उस समय कांग्रेस नेताओं के विरुद्ध आवाज उठाई थी, क्योंकि वे आढ़तियों के समर्थन में थे।
भारतीय किसान यूनियन के राज्य अध्यक्ष बूटा सिंह ने कहा था, “कांग्रेस को स्पष्ट होना चाहिए। ये पलटा-पलटी क्यों? कई बार पार्टी ने सिस्टम को खत्म करने के लिए आवाज उठाई। अब ये उन्हीं आढ़तियों का समर्थन कर रहे जो कमीशन के नाम पर किसानों को लूटते हैं।”
किसान संघ के राज्य अध्यक्ष सतनाम सिंह ने कहा था, “जब कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि वे किसानों के साथ दु:ख-दर्द दूर करने की बात करेंगे। पिछले दिनों भी कांग्रेस ने समर्थन दिया था। अब ये यू-टर्न जरूर आढ़तियों की लॉबी के कारण लिया गया है, क्योंकि उनके पास पैसे की ताकत है।”
मालूम हो कि साल 2016 में चुनाव कैंपेन के समय अमरिंदर सिंह ने कहा था कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने पर आढ़ती सिस्टम को समाप्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सरकार कोई ऐसा फैसला नहीं लेगी और न ही व्यापार के साथ अन्य समुदायों से जनादेश लिए बिना नई नीति बनाएगी।
2018 में पंजाब सरकार आढ़तियों को रेगुलेट करने के लिए एक विधेयक लाई थी, जिससे पार्टी में काफी बहस हुई। हालाँकि, अब अमरिंदर सिंह किसानों और आढ़तियों के बीच के संबंध को पुराना व आजमाया हुआ बता रहे हैं, जबकि उनके एक विधायक ने खुद कहा था कि एक समय में किसानों और कमीशन एजेंट्स में अच्छी तालमेल थी, लेकिन अब परिदृश्य बदल चुके हैं।
जब से नए कृषि कानूनों पर विरोध शुरू हुआ है, कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से आढ़तियों के साथ है। पंजाब के मुख्यमंत्री तो केंद्र सरकार पर इल्जाम लगा चुके हैं कि वह आढ़तियों पर आईटी रेड जैसे नए-नए हथकंडे आजमाकर उन्हें डरा रही है।
आढ़तियों को लेकर किसानों में गुस्सा और नाराजगी बहुत पुरानी बातें हैं। नोटबंदी के समय इन्हीं आढ़तियों को लेकर एक किसान ने कहा था, “ जब हम अपने पैसे के लिए या ऋण या अग्रिम भुगतान के लिए इन आढ़तियों के पास जाते हैं, तो वे हमें पूरे दिन बैठाए रखते हैं चाहे बात 5,000 रुपए की ही हो। वे हमसे उम्मीद कैसे करते हैं कि हम उनके काले धन को रातोंरात सफेद में बदल दें?”
आज भले ही किसान के नाम पर किसान आंदोलन भड़काया जा रहा हो। लेकिन हकीकत यही है कि ये प्रदर्शन सिर्फ़ और सिर्फ़ बिचौलियों के लिए किया जा रहा है। हाल में आया पंजाब मुख्यमंत्री का बयान केवल इस प्रदर्शन का एक विस्तार है।
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