फुरफुरा शरीफ का पीर मौलाना अब्बास सिद्दीकी (साभार: दि हिंदू)
पश्चिम बंगाल के फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीर मौलाना अब्बास सिद्दीकी राजनीतिक रूप से काफी महत्वाकांक्षी हैं। बंगाल में इनके बड़े फॉलोवर्स हैं। मौलाना अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस और वामपंथियों के साथ मिलकर 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
द हिंदू को दिए इंटरव्यू में मौलाना सिद्दीकी ने कहा, “मैं केवल मुसलमानों को नहीं, बल्कि सभी गरीबों और वर्तमान राजनीतिक ढाँचे से खुद को ठगा महसूस कर रहे लोगों को संबोधित कर रहा हूँ। मैं उन सभी के साथ गठबंधन के लिए तैयार था, जो मेरी शर्तों को मानने के साथ मुझे सीटें देता, लेकिन ममता बनर्जी तैयार नहीं हुईं, जबकि कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने मेरी शर्तों को माना।”
“The administration stalled Durga Visarjan because of Muharram. Who demanded this? Not us. @AITCofficial’s politics spoilt the ‘bhaichara’ between communities,” says Abbas Siddique of Furfura Sharif to me - https://t.co/ABDWVYM7di
— Nistula Hebbar (@nistula) April 14, 2021
Comrade Netaji Subhash Chandra Bose zindabad
— THE DISSENTER (@IamSamSanyal) April 15, 2021
Syamaprasad Mukherjee murdabad
मौलाना सिद्दीकी का पश्चिम बंगाल में बड़ा जनाधार है। राज्य के कम से कम पाँच जिलों, उत्तर और दक्षिण परगना, हावड़ा, हुगली, नादिया और पूर्वी मिदनापुर के कुछ हिस्सों तक में उसके फॉलोवर्स की भारी तादात है।
सिद्दीकी ने भाजपा के लिए रास्ता आसान करने के सवाल पर जोर देकर कहा कि वह नबाना या राज्य सचिवालय में बीजेपी की पहुँच को आसान नहीं होने देंगे। बंगाल का चुनाव अब तक के सर्वाधिक ध्रुवीकरण के दौर में है। अब्बास सिद्दीकी कहते हैं, “अगर कोई मुझे जाहिल और असभ्य कहता है तो मैं उससे पूछता हूँ कि जब 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा जीती थी तो उस वक्त तो मैं था ही नहीं।” अब्बास सिद्दीकी ने ममता बनर्जी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा:
“ममता बनर्जी के कार्यों के कारण भाईचारे का अंत हो रहा है। प्रशासन ने मुहर्रम के कारण दुर्गा विसर्जन को रोक दिया था। इसकी माँग किसने की? कहा गया था कि इमामों को 2,500 रुपए मिलेंगे, लेकिन इस बात का खुलासा नहीं किया गया कि वो पैसा वक्फ बोर्ड से आया था। जब ममता का जनाधार खिसकने लगा तो उन्होंने मंदिरों के पुजारियों को भी पैसे देने की बात कही। हम केवल वही चाहते हैं, जो संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार हैं। इस तरह की राजनीति के कारण सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि समुदायों के बीच भाईचारा प्रभावित हुआ है। बंगाल में भाजपा के आगमन के लिए खुद ममता बनर्जी ही जिम्मेदार हैं। वह वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री थीं और मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भाजपा केवल मजबूत हुई है।”
50 करोड़ के मरने की मांगी थी दुआ
पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान भाईचारे का राग अलाप रहे मौलाना फुरफुरा शरीफ के वही पीरजादा हैं, जिन्होंने अप्रैल 2020 में वायरस से 50 करोड़ के मरने की दुआ माँगी थी। उन्होंने वायरल वीडियो में कहा था, “बहुत जल्द मेरे पास खबर आई है कि पिछले दो दिनों से मस्जिदों में आग लगाई जा रही है, माइक जलाए जा रहे हैं। मुझे लगता है कि एक महीने के अंदर ही कुछ होने वाला है। अल्लाह हमारी दुआ कबूल करे। अल्लाह हमारे भारतवर्ष में एक ऐसा भयानक वायरस दे कि भारत में दस-बीस या पचास करोड़ लोग मर जाएँ। क्या कुछ गलत बोल रहा मैं? बिलकुल आनंद आ गया इस बात में।” इसके बाद वहाँ मौजूद भीड़ ने भी मौलवी की कही बात पर खूब शोर के साथ अपनी सहमति दर्ज कराई थी।
And they call us Islamophobic pic.twitter.com/fY5HJY9xZC
— desi mojito (@desimojito) April 1, 2020
पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव का ऐलान होने से कुछ ही घंटों पहले ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस सरकार ने फुरफुरा शरीफ के विकास के लिए 1 मार्च 2021 को 2.60 करोड़ रुपए आवंटित किया था। गौरतलब है कि बंगाल में ममता मुस्लिम वोटों के सहारे ही सत्ता पर काबिज होती आई हैं।
सिद्दीकी के दोगले रवैये पर ट्विटर पर लोगों ने क्लास लगाने पर अब तक इसकी गिरफ़्तारी न होने पर भी प्रश्न लगा दिया है। लगता है बंगाल में बदलते परिवेश के डर से सिद्दीकी सियासत में कूदा है। जो आदमी विनाशक बीमारी से 50 करोड़ के मरने की दुआ मांगता हो, ऐसे आदमी को वोट देने वाले भी इंसानियत के सबसे बड़े दुश्मन हैं, और ऐसे विनाशक का अनुसरण करने वाले भी ऐसी ही श्रेणी में आता है। फिर ऐसे लोगों को इनके समर्थक "गरीब, मजलूम, नसमझ" आदि से बचाव करने उतर आते हैं। काश ! यही बात किसी भाजपाई ने बोल दी होती सारे छद्दम धर्म-निरपेक्ष और मीडिया ने चीख-चीखकर आसमान सिर पर उठा लिया होता। अब तक पता नहीं, राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने भी कितनी दफाएं लगा कर मुकदमें दर्ज किये होते।
he is rejoicing to the fact that the almighty has created a virus and wishing that if it would kill 50 crores of people of this country (needless to say, all non-muslims).
— AYAN DAS (@ayanba147) April 1, 2020
Shameless cowards
— maria jain (@mjain22) April 18, 2020
Wow. They all got beards and muslim clothes.#how_stupid
— 1 Moderate Muslim 👤 📝📈📊 (@1ModerateMuslim) April 2, 2020
I request you and other enlightened individuals to interface with the misguided in your community. You can do a much better job of convincing them than I ever could. Nobody is blaming the entire religion. However, we are angry that the Tablighi Jamaat has let us all down.
— Dakshinapanthi (@dakshinapanthi) April 4, 2020
Pahle CAA aur corona , ye log khul k samne aa gye hain.
— Talented Rohit.. 🚩 (@MaaKi_Aankh) April 2, 2020
https://t.co/u8vWo9qil6
— PUNEET JINDAL😎 (@epuneetjindal) April 2, 2020
Send this every single person you know. We must expose them
This minority politics is a double edged sword.
— Sinister Gaze (@gaze_sinister) April 14, 2021
Did you also tried to check and understand the background if this Abbas Siddique, before putting up a popularistic head line.
— Indranil Mukherjee (@INMUKH1981) April 15, 2021
Are you also aware of the riots like situations took place in Bengal then.
Decision is not taken based on anyone's demand but to prevent possible riot.
तुम तो इतने शरीफ़ हो की तुमने हमारी भूमि भी पाकिस्तान बनाने के लिए नहीं नोची थी। आज तक कभी भी हमारी पूजा यात्रा जब तुम्हारे जैसे शरीफ़ों के स्थान से निकलती है तो आसमान से पत्थर बरसने लगते हैं , तुम तो शरीफ़ों की तरह शांत भाव से देखते हो मात्र ।
— namita nagpal (@namitanagpal18) April 15, 2021
बारां (राजस्थान) मे मामूली विवाद पर जिहादियो ने हिंदुओ के घर और दुकान जला दिये, उपर से पुलिस भी जिहादियो का ही समर्थन कर रही है, खैर कांग्रेस से उम्मीद भी क्या कर सकते है लेकिन अभी तक इस समाचार को किसी मीडिया ने नही दिखाया। pic.twitter.com/rKbhaF5snC
— JAI SHREE RAM (@SatishK40011283) April 15, 2021
खुद को ओवैसी का बड़ा फैन बताने वाले मौलाना सिद्दीकी चुनाव के समय गरीबों और दलितों की बात कर रहे हैं, लेकिन बीते साल 28 नवंबर 2020 में उन्होंने कहा था, “हम मुस्लिम यहाँ पर बहुसंख्यक हैं। आदिवासी, मथुआ और दलित हिन्दू नहीं हैं, इसीलिए यहाँ हम मेजॉरिटी में हैं।”
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