कुशल राजनीतिज्ञ चाणक्य का कहना है कि जब विरोधी पक्ष में हाहाकार मच रहा हो, समझ लो, राजा सख्त है। नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में शाहीन बाग बनाए गए, हिन्दू विरोधी दंगे और फिर जैसाकि 6 माह पूर्व शुरू हुए कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे किसान आन्दोलन के बारे में कहा जा रहा था, किसान हित में हुए इस जमावड़े का कृषि कानूनों का विरोध नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध है, जो कई बार उजागर भी हो चूका है, जिसे आम जनमानस समझ नहीं पाया। ये आन्दोलनजीवी धरना स्थल को छोड़, बंगाल चुनाव में भाजपा के विरोध में पहुँच गए। और अब इनका लक्ष्य दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पदमुक्त करना है, जो सबसे प्रमाण है कि ये बिके हुए आन्दोलनजीवी केवल मोदी विरोधी पार्टियों के समर्थन से किसान हित में धरने के नाम पर देश को गुमराह कर रहे हैं।
दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन के 6 महीने पूरे होने के बाद अब ‘किसान आंदोलन’ ने उत्तर प्रदेश को अपना लक्ष्य बनाया है। किसान संगठनों का अगला लक्ष्य अब ‘मिशन उत्तर प्रदेश’ है। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में इसके पीछे की राजनीति समझी जा सकती है। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने उत्तर प्रदेश में केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ करने की तैयारी शुरू कर दी है।
ओह हो यह कुंभ मेला होता तो ज़रूर भारत का FOOL KID इस पर TOOL KIT का ट्वीट दाग देता https://t.co/kHRwMKx1Ud
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) May 24, 2021
किसान संगठनों ने कहा है कि वो उत्तर प्रदेश सहित जिन भी राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, वहाँ भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे। पश्चिम बंगाल में वो ऐसा कर भी चुके हैं, जहाँ योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत जैसों ने जाकर ममता बनर्जी की पार्टी TMC के लिए चुनाव प्रचार किया था। ‘ऑल इंडिया किसान सभा’ के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल चुनावी हार की भाषा समझते हैं, इसलिए किसानों के सामने अब यही एक विकल्प है।
#Hunkaar: किसान आंदोलन के आगे का रास्ता क्या है?
— ABP News (@ABPNews) May 25, 2021
किसान नेता @RakeshTikaitBKU EXCLUSIVE
देखिए, 'हुंकार' @romanaisarkhan के साथ LIVE pic.twitter.com/6KI64PnFlw
Rakeshji kyu bhag gaye aapko hi bolne ka hak he kya😂 pic.twitter.com/np4Uv2T4WN
— Ravi Radia (@radiaofficial) May 27, 2021
Tikait ji itne he bahubali ho to election m q apni jamanat japt karwa li thodi sharm Ani chahiye atankwadiyo k sath milkar jaato ko or desh ko badnaam kr rahe ho thu h ese hindu per
— monu pandit (@MonuarelaMonu) May 26, 2021
विदेशी फंड आ ही रहा है तो बातचीत का रास्ता क्यों चुना जाए।।सारे भुगोल का समाधान शायद यही है।ये वैज्ञानिक किसान है जो सब समझ कर बैठे हैं।
— अवधेश कुमार भारतीय (@H84pX9rIr84JkyD) May 25, 2021
किसान 🤔🤔🤔 pic.twitter.com/AmEgcjeXQY
— D (@D13811704) May 25, 2021
right
— Deepak (@Deepak86390414) May 25, 2021
हन्नान मोल्लाह CPI (मार्क्सिस्ट) के नेता हैं और हावड़ा के उलूबेरिया से लगातार 8 बार सांसद रह चुके हैं। लगातार 29 साल सांसद रहने वाले मोल्लाह ‘किसान आंदोलन’ में खासे सक्रिय रहे हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) एक एक्शन प्लान भी बना रहा है। राज्य भर में कई ‘महापंचायत’ आयोजित कर के किसानों की भीड़ जुटाई जाएगी और भाजपा को हराने का नारा दिया जाएगा।
मोल्लाह ने गुरुवार (मई 27, 2021) को TOI से कहा, “हम किसानों को ये नहीं कह रहे कि उन्हें किस पार्टी को वोट देना है, क्योंकि ये उनका व्यक्तिगत निर्णय होगा। हमारा अभियान तो इन ‘कठोर’ कृषि कानूनों के खिलाफ है, ये पक्षपाती नहीं है।” वहीं SKM के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अब ये अभियान सरकार को उखाड़ फेंकने का अभियान बन गया है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था और शासन को बदलना ही उसका मुख्य लक्ष्य है।
वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को धमकाते हुए कहा कि वो इस ग़लतफ़हमी में न रहे कि ‘किसान आंदोलन’ ख़त्म हो जाएगा, क्योंकि किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराए जाने के लिए मन बना लिया है। उन्होंने दावा किया कि ये आंदोलन और मजबूत होता चला जाएगा। हालिया पंचायत चुनावों में भाजपा द्वारा अपेक्षित प्रदर्शन न करने से किसान नेता उत्साहित हैं। अब तक ये आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित था।
राकेश टिकैत ने पंचायत चुनाव के नतीजों पर भी ‘किसान आंदोलन’ का असर होने का दावा करते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग भी अब MSP जैसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ हैं। इस साल पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ प्रचार करने वाले किसान नेताओं ने मई 26 को ‘काला दिवस‘ के रूप में मनाया। इसी दिन नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।
अवलोकन करें:-
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, जो अपने कामों का लेखा-जोखा लेकर अगले साल के विधानसभा चुनाव में उतरेगी। भाजपा सालों बाद यूपी में सीएम के चेहरे के साथ चुनाव लड़ने जा रही है, ऐसे में इ उसके लिए प्रतिष्ठा का विषय है। दिल्ली-यूपी सीमा पर पहले ही किसानों ने कब्ज़ा कर रखा था, जहाँ वो अब भी बैठे हुए हैं। हालाँकि, ‘किसान आंदोलन’ को मिलने वाला जनसमर्थन कम हो गया है।
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