हिन्दू धर्म और RSS का उड़ाया मजाक, सीमा चिस्ती (बाएँ)
पत्रकारिता, देश और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए आवश्यक है। इसलिए पत्रकारिता को संविधान में एक विशेष स्थान दिया गया है। लेकिन आज के दौर के पत्रकार निहित राजनीतिक स्वार्थों के जाल में उलझ कर नकारात्मक पत्रकारिता को अपना मकसद बना लिया है।
भाजपा (तत्कालीन भारतीय जनसंघ), आरएसएस और हिन्दू धर्म का विरोध करना तो लगता है कि यह इनका जन्मसिद्ध अधिकार है, इन विरोधियों का जन्म भी शायद इसीलिए हुआ है, अन्यथा मृत्युलोक पहुंचकर भी इनकी आत्मा भटकती रहेगी। बल्कि हिन्दू धर्म पर शताब्दियों से एक से बढ़कर एक प्रहार होते आ रहे हैं, जिनका नाम केवल इन विरोधियों के कारण जीवित है, वरना विश्व में कोई उनके खानदान तक को नहीं जानता।
नकारात्मक पत्रकारिता से पत्रकार या मीडिया संस्थानों को वाहवाही तो मिल जाती है, लेकिन देश के आत्मविश्वास और कुछ करने की क्षमता पर जबरदस्त कुठाराघात होता है। देश के कुछ पत्रकारों का गिरोह, हमें शर्मसार करने के लिए ऐसी ही पत्रकारिता करता है। सीमा चिश्ती उनमें से ही एक ऐसी पत्रकार हैं, जो अपनी नकारात्मक पत्रकारिता से हमें शर्मसार करती रहती हैं।
Really? This perfidy must be called out. #MuktBharat pic.twitter.com/5aMv3sk3mC
— Seema Chishti (@seemay) May 16, 2021
Sun liya..ab.. wahi kah raha hai.. jo chale Gaye wo mukt ho gaye.. bhagwan isse kab mukti degas..
— Suraj Chouhan (@SurajCh56269588) May 16, 2021
सीमा चिश्ती, इंडियन एक्सप्रेस और बीबीसी से जुड़ी हुई थीं, फिलहाल किसी और मीडिया ग्रुप के साथ हैं लेकिन हैं गिरोह वाली ही। अब इनका कारनामा देखिए। सीमा चिश्ती ने रविवार (मई 16, 2021) को जनसत्ता की एक खबर का स्क्रीनशॉट शेयर किया। बता दें कि जनसत्ता की जिस खबर को सीमा चिश्ती ने शेयर किया, उसकी हेडलाइन में लिखा था, “जो लोग चले गए, वे मुक्त हो गए, बोले RSS प्रमुख।” इसके साथ ही हेडलाइन के नीचे लिखा था, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आज एक कार्यक्रम में कहा कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हुई है, वह एक तरीके से मुक्त हो गए हैं।”
हालाँकि जनसत्ता ने अपनी खबर की हेडलाइन को बाद में एडिट कर दिया, लेकिन खबर का सबहेड वही रहा। जनसत्ता ने हेडलाइन एडिट करके लिखा, “जो लोग चले गए, वे मुक्त हो गए, ‘पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ कार्यक्रम में बोले RSS प्रमुख- परिस्थिति कठिन है।” इसके साथ ही उन्होंने इसमें ‘मुक्त भारत’ का हैशटैग लगाया है। इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए सीमा चिश्ती ने आश्चर्य जताया कि क्या कॉन्ग्रेस-मुक्त-भारत में ‘मुक्त’ वास्तव में ‘मौत’ के लिए इस्तेमाल किया गया है।
RSS के मानने वालों, आपके आराध्य मोहन भागवत के अनुसार इस महामारी से आपमें से कौन-कौन मुक्त होना चाहता है? pic.twitter.com/pNT1EyHRr1
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) May 16, 2021
चिश्ती ने न केवल भागवत के उद्धरण को विकृत किया, बल्कि उन्होंने हिंदू धर्म का मजाक उड़ाने के लिए आरएसएस को ढाल के रूप में भी इस्तेमाल किया। बता दें कि नश्वर दुनिया से मुक्ति को परिभाषित करने के लिए हिंदू धर्म में ‘मुक्त’ या ‘मुक्ति’ का उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि श्मशान घाट को अक्सर ‘मुक्तिधाम’ के रूप में जाना जाता है। मुक्ति का मतलब जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति है और हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध और जैन धर्म भी इसी दर्शन को मानते हैं।
24 मिनट 16 सेकंड का पूरा वीडियो, आरएसएस प्रमुख ने क्या बोला-क्या नहीं बोला –
सब स्पष्ट है लेकिन गिरोह को प्रपंच फैलाना है
जब भाजपा और उसके समर्थकों ने ‘कॉन्ग्रेस-मुक्त भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया, तो उसमें ‘मुक्त’ का मतलब ‘मुक्त’ था, न कि मौत, जैसा कि चिश्ती चाहती है कि हर कोई मुक्त का मतलब वही समझे, जो उनका गिरोह समझाना चाहता है।
राष्ट्रीय जनता दल ने भी जनसत्ता की इस खबर को शेयर करते हुए लिखा, “RSS के मानने वालों, आपके आराध्य मोहन भागवत के अनुसार इस महामारी से आप में से कौन-कौन मुक्त होना चाहता है?”
हम आपको बताते हैं कि आरएसएस प्रमुख ने यह बातें किस संदर्भ में कहाँ और क्या बोला था। मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा ‘पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ शीर्षक से 11 मई से 15 मई तक आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान की एक श्रृंखला में पॉजिटिविटी का मंत्र दे रहे थे। संघ के इस व्याख्यान का उद्देश्य महामारी संकट के बीच लोगों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता फैलाना था। इस व्याख्यान का आयोजन आरएसएस की कोविड रिस्पॉन्स टीम द्वारा किया गया, जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, विप्रो समूह के अध्यक्ष अजीम प्रेमजी, आध्यात्मिक गुरू जग्गी वासुदेव प्रमुख वक्ता के तौर पर शामिल हुए।
शनिवार को अपने व्याख्यान में भागवत ने कहा, “सकारात्मकता के बारे में बात करने के लिए मुझे कहा है। कठिन है, क्योंकि समय बहुत कठिन चल रहा है। अनेक जगह, अनेक परिवारों में कोई अपने कोई आत्मीय बिछड़ गए हैं। अनेक परिवारों में तो भरण-पोषण करने वाला परिवार का सदस्य, अचानक चला गया। दस दिन में जो था, वो नहीं था ऐसे हो गया। और इसलिए अपने वाले के जाने का दुःख और भविष्य में खड़े होने वाली समस्याओं की चिंता ऐसी दुविधा में तो परामर्श देना, सलाह देना, इसके बजाय पहले तो सांत्वना देना। लेकिन ये सांत्वना के परे दुःख है। इसमें तो अपने को अपने आप को ही सँभालना पड़ता है। हम अपनी सह संवेदना बता सकते हैं, बता रहे हैं और यहाँ पर्दे पर केवल कोई संभावना नहीं बता रहे। संघ के स्वयंसेवक सर्व दूर, इस परिस्थिति में समाज की जो भी आवश्यकता है, उसकी पूर्ति करने के लिए अपने-अपने क्षमता के अनुसार सक्रिय हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “परन्तु ये कठिन समय है। अपने लोग चले गए। उनको ऐसे असमय चले जाना नहीं था। परन्तु अब तो गए, कुछ नहीं कर सकते। अब जो परिस्थिति है, उसमें हम हैं। और जो चले गए, वो तो एक तरह से मुक्त हो गए। उनको इस परिस्थिति का सामना अब नहीं करना है। हमको करना है। पीछे हम लोग हैं, हमको अपने आप को और अपने सब को सुरक्षित रखना है। कुछ नहीं हुआ, सब कुछ ठीक है। ऐसा हम नहीं कह रहे। परिस्थिति कठिन है। दुःखमय है। मनुष्य को व्याकुल करने वाली है। निराश करने वाली है। लेकिन यह परिस्थिति है, इसको स्वीकार करते हुए हम अपने मन को निगेटिव नहीं होने देंगे। हमको अपने मन को पॉजिटिव रखना है। शरीर को कोरोना निगेटिव रखना है और मन को पॉजिटिव रखना है।”
Community Kitchen run by RSS is preparing 32,000 food packets daily for needy people in Delhi. pic.twitter.com/T3IryGOcrG
संघ ने ऐसे समय इस कार्यक्रम का आयोजन किया, जब देश में कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की बड़ी संख्या में मौत हो रही है। हाल में सरकार ने पॉजिटिव खबरों और उपलब्धियों के प्रभावी प्रचार के जरिए लोगों की धारणा बदलकर अपनी पॉजिटिव छवि बनाने के उद्देश्य से सरकारी अधिकारियों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया था।
Kuch ne to ye sun ke Kabutar ch0d diya hoga🤣🤣🤣🤣
— पहाड़ी हिंदू। (@pahadi_chu) May 16, 2021
She is not journalist and the work ex unclude Congress Era... so don't push urself hard to make them legit ..
— Singh quarantine (@quarantinehoon) May 16, 2021
After conversion she just know dead people rot in coffins
— राम (@dharma0077) May 16, 2021
(साभार)
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