‘महात्मा गोडसे ने बलिदान देकर हिंदुस्तान को मुस्लिम बनने से बचा लिया, गजवा-ए-हिन्द फेल कर दिया’: कालीचरण महाराज के वो बयान

महात्मा गाँधी पर सच्चाई सामने आने पर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का उत्तेजित होना स्वाभाविक है, क्योकि गाँधी की तुष्टिकरण नीति के ही कारण कांग्रेस इतने वर्ष राज करती रही। शायद यही कारण था कि गोली लगने के बाद हुई मृत्यु पर चितपावन ब्राह्मणों के हुए भयंकर नरसंहार पर आज तक सभी नेता खामोश हैं, कोई जाँच तक की बात नहीं करता, क्यों? 1984 सिख दंगों की हो सकती है, चितपावन ब्राह्मणों के हुए नरसंहार नहीं, क्यों? क्या कोई नेता इसका जवाब देगा? दूसरे, ब्रिटिश सरकार के साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विरुद्ध हुए समझौते पर महात्मा गाँधी हस्ताक्षर क्यों किए थे? अब चर्चा यह भी होनी शुरू हो गयी है कि क्या छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का यह कदम कांग्रेस के पतन का कारण बनेगा? 

महात्मा गाँधी की आलोचना करने के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने कालीचरण महाराज को 30 दिसंबर 2021 को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर गाँधी की आलोचना करने और नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करने का आऱोप है। मीडिया रिपोर्टों को मुताबिक, उन्हें मध्य प्रदेश के खजुराहो (Khajuraho) से गिरफ्तार किया गया है। उनपर आरोप है कि रायपुर में धर्म संसद के दौरान उन्होंने महात्मा गाँधी को लेकर विवादित बयान दिए। उनके भाषण का वो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

नाथूराम गोडसे को दिया धन्यवाद

रायपुर की धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने देश के हालात पर टिप्पणी करते हुए कहा, “हमारी आँखों के सामने दो-दो कब्जे देश पर हुए। ईरान, इराक और अफगानिस्तान तो पहले ही कब्जा चुके थे। बांग्लादेश और पाकिस्तान को उन्होंने हमारी आँखों के सामने कब्जाया। इन दोनों हिस्सों को देश से अलग करने के लिए राजनीति का इस्तेमाल हुआ। उस ह#$मी मोहनदास करमचंद गाँधी ने भारत को तबाह कर दिया। नाथूराम गोडसे जी को नमस्कार है। मार डाला उस ह#$मी को।”

वीडियो में कालीचरण महाराज आगे कहते हैं, “देखो ऑपरेशन करना बहुत जरूरी होता है, इन फोड़े-फुन्सियों का नहीं तो ये कैंसर बन जाते हैं। आपको मैं दंगे-धोपे करने को नहीं बोल रहा हूँ। इसकी जरूरत नहीं है और आप इसके लिए तैयार भी नहीं हो। मुस्लिम जरूर तैयार हैं, लेकिन आप नहीं। ये पुलिसवाले नहीं होते तो अपना सत्यानाश हो चुका था। इसमें धर्मात्मा लोग भी हैं, लेकिन ये हमारी साइड कभी नहीं लेते।”

उन्होंने आगे कहा, “ये पुलिसवाले हमारी साइड नहीं लेते हैं। ये हमें ही समझाते हैं कि तुम ज्यादा जुलूस मत निकालो। चिल्ला-पुकारा मत करो। मुस्लिमों के इलाके से भगवा रैली मत निकालो। इसमें पुलिसवालों का कसूर लगता है क्या आपको? नहीं! पुलिस भी गुलाम है। पुलिस को कौन नियंत्रित कर सकते। मैं पूरी-पूरी राजनीतिक बात कर रहा हूँ। अगर आप राजनीति से घृणा करोगे तो आप धर्म का नाश करोगे।”

‘गाँधी राष्ट्रपिता कहलाने लायक नहीं’: कालीचरण महाराज

कालीचरण महाराज के इस भाषण के बाद इस हंगामा मचा। इसके बाद उन्होंने एक और वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा था उन्हें महात्मा गाँधी के खिलाफ इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करने पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने बताया कि किस तरह 14 वोट प्रधानमंत्री पद के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल को मिले, लेकिन शून्य वोट वाले जवाहरलाल नेहरू को पीएम बना कर उन्होंने वंशवाद फैलाया।
उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेल के हाथों में भारत की सत्ता गई होती तो हमारा देश आज जगद्गुरु होता और अमेरिका से भी आगे होता, लेकिन जनता के साथ विश्वासघात हुआ। उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे प्रतिभावान लोगों को कॉन्ग्रेस में इसी कारण काम करने का अवसर नहीं मिला। उन्होंने कहा कि ‘साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, दे दी आज़ादी हमें बिना खडग बिना ढाल’ गाना लिखने वाले को जूते मारने चाहिए। उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए पूछा कि क्या इन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया?
उन्होंने बताया कि किस तरह जिन क्रांतिकारियों को फाँसी पड़ी, जिनमें 80% सिख थे, 20 प्रतिशत अन्य क्रान्तिकारी थे। ये गाना लिखने वालों ने उन्हें श्रेय नहीं दिया। उन्होंने पूछा कि क्या कभी महात्मा गाँधी ने एक लाठी भी खाई? उन्होंने कहा कि गाँधी चाहते तो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी रुकवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने गाँधी का तिरस्कार करने की बात करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपनी लाश पर भारत का बँटवारा होने की बात कही थी, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश बन गया।
बँटवारे के बारे में बात करते हुए कालीचरण महाराज ने कहा, “गाँधी कहते थे कि बँटवारा मेरी लाश पर होगा। लेकिन जब बँटवारा हुआ तो वह जिंदा थे। बँटवारे के बाद हुए दंगों में लाखों हिंदू और सिख मारे गए थे। जिन्ना के ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ पर 27 लाख हिंदुओं का नरसंहार किया गया। पाकिस्तान से ट्रेनों के जरिए हिंदुओं के शव भेजे जा रहे थे। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। उनके स्तन कटे हुए थे। स्तन को बोरों में भरकर भेजा गया था। दूसरी ओर गाँधी भारत को पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने के लिए मजबूर करने के लिए आमरण अनशन पर बैठे थे।”
“जब दंगा पीड़ित सिखों ने ठंड में मस्जिदों में शरण लिया, तब उन्हें बाहर निकाल कर मुस्लिमों को मस्जिदें सौंपने के लिए गाँधी ने अनशन किया। इसीलिए, मैं नफरत करता हूँ गाँधी से। इसलिए मैं गाँधी से नफरत करता हूँ।” उन्होंने कहा कि ‘गजवा-ए-हिन्द’ के तहत भारत के इस्लामीकरण के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ने वाले हजारों वर्ग किलोमीटर का कॉरिडोर मुस्लिमों ने माँगा और उसे देने के लिए भी गाँधी अनशन करने वाले थे। उन्होंने बताया कि जब स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने हिन्दू वर्ण व्यवस्था को तोड़ कर एक होने की बात कही तो गाँधी ने नकार दिया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की बात कही, तब गाँधी ने इसके लिए अनशन नहीं किया।
कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने पूछा कि जो राष्ट्र करोड़ों वर्षों से है, उसका राष्ट्रपिता कोई 200 वर्ष पहले आया व्यक्ति कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्र का पिता बनाना अनिवार्य ही है तो छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, आचार्य चाणक्य या महाराणा प्रताप को बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी के महापुरुषों को बनाना है तो राष्ट्र को एक करने वाले सरदार पटेल को बनाया जाना चाहिए, जिन्होंने छोटे-छोटे रियासतों को एक कर के टुकड़ों में बँटे देश को एक किया।
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कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने कहा, “अगर पाकिस्तान-बांग्लादेश को भारत में कॉरिडोर मिल जाता तो हिंदुस्तान कब का मुस्लिम बन गया होता। महात्मा नाथूराम गोडसे को कोटि-कोटि धन्यवाद है। उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम है। उन्होंने अपना बलिदान देकर हिंदुस्तान को मुस्लिम बनने से बचा लिया। ‘गजवा-ए-हिन्द’ फेल कर दिया। सच बोलने की सज़ा मृत्यु है तो स्वीकार है। वीरों ने कुल के लिए बलिदान दे दिया तो मेरे जैसे करोड़ों कालीचरण धर्म के लिए मर सकते हैं। हम हिंदुत्व के लिए मृत्युदंड पाने के लिए भी तैयार हैं।”

देशवासियों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाने वाले, बिना किसी हिंसा के अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने में अपना अहम योगदान रखने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का आज 150 वां जन्म दिवस है। आज सिर्फ भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया मोहनदास करमचंद गांधी को भारत के राष्ट्रपिता और महात्मा गांधी के नाम से जानती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें राष्ट्रपिता की ये उपाधि आखिर कैसे मिली। तो चलिए आज गांधी जयंती के इस खास मौके पर हम आपको बताते हैं, उनके बारे में जिन्होंने पहली बार महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।

1944 में सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर पहली बार संबोधित किया। वहीं गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू नें रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि ‘राष्ट्रपिता अब नहीं रहे’। इस प्रकार समूचे देश ने गांधी जी को दी गयी “राष्ट्रपिता” की उपाधि को स्वीकार लिया।

वहीं एक बार लखनऊ की 11 वर्षीय स्कूली छात्रा ने महात्मा गांधी के बारे में जब एक पाठ पढ़ा था, तो उसने कई बार यह जानने की कोशिश की गांधी जी को राष्ट्रपिता क्यों बोला जाता है लेकिन उसे इस बारे में कुछ नहीं मिला। फिर उसने इस बारे में जानकारी निकालने के लिए अपने माता-पिता के सुझाव से प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सूचना के अधिकार (आरटीआई) में याचिका भेजी। जिसका उत्तर यह मिला की इस संदर्भ में सरकार के पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।

लालकृष्ण आडवाणी नें कहा -

"मैं स्पष्ट कर सकता हूं कि हालांकि महात्मा गांधी को "राष्ट्रपिता" के रूप में जाना जाता है, लेकिन सरकार द्वारा इस तरह का कोई शीर्षक कभी औपचारिक रूप से प्रदान नहीं किया गया था।"

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