अरविन्द केजरीवाल आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ने वाले, हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO से AAP के क्या हैं संबंध?

AAP इन दिनों गुजरात में जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रही है। AAP के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित उनके करीबी नेता आए दिन गुजरात पहुंचकर वहां की जनता से झूठे वादे कर रहे हैं। इसी तरह के वादे उन्होंने दिल्ली और पंजाब में लोगों से किए थे जो आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं। गुजरात में घूम-घूम कर तमाम तरह की गारंटी बांटने वाले केजरीवाल और उनकी पार्टी का संबंध आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ने वाले, हिंदू विरोधी और भारत विरोधी NGO और इससे जुड़े लोगों से है। 

गौर करने की बात यह है कि कांग्रेस से लेकर लगभग सभी गैर-भाजपाई पार्टियां आम आदमी पार्टी को भाजपा की B टीम बताकर जनता को भ्रमित किये हुए हैं और जनता भी इनकी रसगुल्ले वाली भाषा में फंस विश्वास कर रहे हैं, जबकि यह इन्ही सब पार्टियों का मिश्रण है। एक अपवाद दिल्ली को छोड़, आप वहीं असर दिखा रही है, जहाँ कांग्रेस सहित समस्त गैर-भाजपाई कमजोर हो रही है, विशेषकर कांग्रेस। हर चुनाव में कांग्रेस की जो हालत रही, यही स्थिति रही, कांग्रेस केवल नाम की पार्टी रहकर अपना राष्ट्रीय अस्तित्व समाप्त कर देगी। हालाँकि कांग्रेस को कई वर्षो बाद परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है, लेकिन वह नया अध्यक्ष भी उसी तरह रिमोट से चलने वाला है, जिस तरह मनमोहन सिंह। जब तक कांग्रेस परिवार के मकड़जाल से बाहर नहीं आएगी, आप मजबूत होती जाएगी जिस कारण भारत विरोधी गतिविधियां और अधिक प्रभावशाली होती जाएँगी।  

यह बात सामने आने के बाद इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि केजरीवाल अपने छुपे एजेंडे पर काम कर रहे हैं। आखिर उनका छुपा एजेंडा क्या है और इन देश विरोधी लोगों से संबंध क्या है, इस पर केजरीवाल को जवाब देना चाहिए। गुजरात के लोगों को विदेशी फंड से चलने वाली हिंदू विरोधी और भारत विरोधी एनजीओ और उनके संस्थापकों के साथ उनके संबंधों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए। ये लोग हैं शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी-वित्त पोषित प्रचार कार्यकर्ता। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। इन दिनों कई रिपोर्ट इस तरह की भी आई हैं कि कुछ विदेशी ताकतें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना चाहती है। क्योंकि मोदी के रहते भारत में उनकी दाल नहीं गल रही है। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम को नफरत फैलाने का जिम्मा सौंपा है और केजरीवाल एवं उनके करीबी गोपाल इटालिया इसके अगुवा बने हुए हैं।

केजरीवाल के संबंध आतंकवादी का केस लड़ने वालों से क्यों?

केजरीवाल के संबंध शबनम हाशमी, गगन सेठी, हर्ष मंदर, और अन्य विदेशी फंड से चलने वाली एनजीओ के सदस्यों से है। ये सभी लोग विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्टेल चलाते हैं, जिसमें उन्हें फोर्ड फाउंडेशन, सोरोस, क्रिश्चियन चर्च और अन्य पश्चिमी संस्थाओं से फंड मिलता है। विदेशी फंड की मदद से ये लोग आतंकवादी का केस लड़ते हैं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का विरोध करते हैं और देश की विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं और उसमें अड़ंगा डालते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि इस तरह के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों से केजरीवाल के संबंध क्यों हैं? वह भारत की बेहतरी के लिए कार्य कर रहे हैं या देश को कमजोर करने के लिए?

शबनम हाशमी के एनजीओ ने आतंकवादी इशरत जहां का केस लड़ा

शबनम हाशमी का एनजीओ आतंकवादी इशरत जहां के लिए केस लड़ रहा था। वही इशरत जहां जो गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को मारने के लिए आई थी! 15 जून 2004 को मुंबई के नजदीक मुंब्रा की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी। इस मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्रग्णेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे। पुलिस ने कहा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश रच रहे थे।

कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी है इनका संपर्क

इससे जाहिर होता है कि इन लोगों का सीधा संपर्क कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी है! क्या यही वजह है कि गुजरात की राजनीति में कांग्रेस सक्रिय नहीं है? क्या यही कारण है कि कांग्रेस ने गुजरात में अभी तक अपना अभियान शुरू नहीं किया है? क्या कांग्रेस और आप के बीच डील हो चुकी है?

शहरी नक्सली मेधा पाटकर ने कच्छ को पांच दशक तक पानी से वंचित रखा

ये लोग विकास परियोजनाओं का विरोध करते हैं। इसलिए जो देश उन्हें फंड देते हैं वे विकास कर सकते हैं लेकिन भारत नहीं कर सकता। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा था कि अब जब नर्मदा का पानी कच्छ पहुंच गया है, तो हमें यह भी याद रखना चाहिए कि वे लोग कौन थे जिन्होंने करीब पांच दशकों से कच्छ को इस पानी से वंचित रखा था। हम सभी जानते हैं कि नर्मदा बांध परियोजना का विरोध करने वाले शहरी नक्सली कौन थे। उन शहरी नक्सलियों में से सबसे आगे थी मेधा पाटकर। हम सभी जानते हैं कि ये लोग किस राजनीतिक दल से जुड़े हैं और इनकी पॉलिटिकल सोच क्या है शबनम हाशमी को आम आदमी पार्टी से जुड़ी मेधा पाटकर के साथ देखा सकता है। इससे इनके बीच गठजोड़ का पता चलता है और साथ ही यह भी पता चलता है कि भारत के विकास के खिलाफ साजिश में किस तरह ये लोग एक एकजुट हैं। शबनम हाशमी का एनजीओ और वह स्वयं सभी आंदोलनजीवी लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं!

एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक हैं मनीष सिसोदिया

एक और विदेशी वित्त पोषित एनजीओ ‘कबीर’ के सह-संस्थापक मनीष सिसोदिया हैं। ऐसा लगता है कि वे लोग बहुत बारीकी से काम करते हैं। वह अगले कुछ दिनों में विक्टिम कार्ड खेलने वाला है लेकिन मीडिया उससे इस बारे में नहीं पूछेगा! सिसोदिया ही नहीं, ऐसा लगता है कि आप का शबनम हाशमी और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ चलाने वाले ऐसे ही लोगों के साथ बहुत खास सहयोग है!

शबनम हाशमी के एक अन्य एनजीओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मनीष सिसोदिया और आतिशी मार्लेना!

ऐसा लगता है कि आप गुजरात में अध्यक्ष के रूप में शामिल होने से पहले, गोपाल इटालिया, शबनम हाशमी और उनके एनजीओ के साथ प्रशिक्षण ले रहे थे।

गोपाल इटालिया लेफ्ट लिबरल गैंग और विदेशी फंड से चलने वाले एनजीओ का हैं हिस्सा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी और आम आदमी पार्टी (आप) की गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष गोपाल इटालिया इन दिनों अपनी बदजुबानी के लिए चर्चा में हैं। गुजरात में चुनाव है और वहां पीएम मोदी और भारत को कमजोर वाली ताकतें सक्रिय हो गई हैं और उन्होंने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस के साथ ही अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी गोपाल इटालिया को यह काम सौंप दिया है। गोपाल इटालिया यूं ही नहीं पीएम मोदी को ‘नीच’ और उनकी मां को नौटंकीबाज कह रहे हैं। गुजरात की महिलाओं का अपमान, महिलाओं को ‘सी’ शब्द से संबोधित करना, मंदिर और कथाओं में जाने वालों का अपमान करना, सनातन धर्म का अपमान करना… ये सब एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। यह रणनीति उस लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम का है जो विदेशी ताकतों के इशारे पर नाचते हैं। आजादी के बाद से कांग्रेस जहां वर्षों तक विदेशी ताकतों का पिछलग्गू बनी रही है, वहीं पीएम मोदी के सत्ता संभालने के बाद ये ताकतें असहाय महसूस कर रही हैं। इसीलिए इन ताकतों ने अब लेफ्ट लिबरल इकोसिस्टम नफरत फैलाने का नया जिम्मा सौंपा है और केजरीवाल और गोपाल इटालिया इसके अगुवा बने हुए हैं।

अर्बन नक्सलियों का एजेंडा है भारत तोड़ो

ट्विटर यूजर विजय पटेल ने इटालिया की लेफ्ट लिबरल गैंग के साथ सांठ-गांठ पर ट्वीट की एक श्रृंखला प्रकाशित की है जो उनके भारत तोड़ो, गुजरात दंगों, शाहीन बाग, अर्बन नक्सलियों से गठजोड़ का खुलासा करते हैं। 2018 में हिंदू विरोधी और विदेशी फंड से एनजीओ चलाने वाली शबनम हाशमी और उनके एनजीओ ने “डिसमेंटलिंग इंडिया” नाम से एक कार्यक्रम आयोजित किया। अहमदाबाद में गोपाल इटालिया और ऑल्टन्यूज़ की मालिक निर्झरी सिन्हा कुछ अन्य कम्युनिस्टों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

शबनम हाशमी हमेशा मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के खिलाफ आवाज़ें उठाती रही थीं। पीएम मोदी जब केंद्र की सत्ता में आए तब उन्होंने कहा था, “आवाज़ें उठती रहेंगी जैसे पहले उठती थीं। असहमति और विरोध रहेंगे लेकिन इसे दबाने की कोशिशें अब बहुत ज़्यादा बढ़ जाएंगी और अब दमन अधिक बढ़ जाएगा। लेकिन आवाज़ें तो हिटलर के खिलाफ़ भी उठी थीं। उसके जो भी नतीजे हों आवाज़ें तो उठती रहेंगी।”

“डिसमेंटलिंग इंडिया” एक पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट थी जिसके लेखक एन रामदास (AAP के पूर्व लोकपाल और फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े), हर्ष मंदर, कम्युनिस्ट कविता कृष्णन, विदेश से वित्त पोषित कॉलिन गोंजाल्विस और कई अन्य कम्युनिस्ट और उनके समर्थक हैं।

शबनम हाशमी और केजरीवाल एक ही इकोसिस्टम का हिस्सा

शबनम हाशमी अनहद एनजीओ की संस्थापक हैं, जिसने अतीत में कई ईसाई गैर सरकारी संगठनों से धन प्राप्त किया है। उनका एनजीओ मेधा पाटकर और तीस्ता सीतलवाड़ जैसे विदेशी वित्त पोषित कार्यकर्ताओं के साथ भी काम करता है। शबनम हाशमी ने सीएए का विरोध किया था और किसान आंदोलन के दौरान अराजकता फैलाने वालों का समर्थन किया था। वह गहरे वामपंथी और विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों का हिस्सा हैं। कृषि कानूनों की वापसी और अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार से सहमति होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किसान आंदोलन स्थगित किए जाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुशी जताई थी। उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए इसके लिए पूरे देश को बधाई दे दी थी। इससे यह साफ होता है कि शबनम हाशमी और केजरीवाल एक ही इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।

अगर आपको लगता है कि गोपाल इटालिया ने शबनम हाशमी के साथ सिर्फ एक इवेंट में हिस्सा लिया है, तो आप गलत हैं। 2018 में वह सक्रिय रूप से शबनम हाशमी और उनके एनजीओ के साथ काम कर रहे थे। इस प्री-प्लांड इंटरव्यू में आप उन्हें शबनम हाशमी के साथ देख सकते हैं।

फोर्ड फाउंडेशन से केजरीवाल और गगन सेठी के क्या हैं रिश्ते?

अब मिलिए एक और शख्स गगन सेठी से। सेठी फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्टेल के लिए काम करता है। वह ऑक्सफैम के लिए भी काम करता है। गगन सेठी जनविकास एनजीओ के संस्थापक हैं, जिसे फोर्ड फाउंडेशन और अन्य विदेशी गैर सरकारी संगठनों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। क्या यह महज इत्तेफाक है कि अरविंद केजरीवाल को भी फोर्ड फाउंडेशन से फंड और अवॉर्ड मिल चुके हैं? क्या यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल ने इटालिया को आप गुजरात का अध्यक्ष और सीएम उम्मीदवारों में से एक बनाया है? सोचिए अगर आप गुजरात में सत्ता में आती है तो सरकार कौन चलाएगा? शबनम हाशमी, मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़, हर्ष मंदर और अन्य सभी कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं जैसे विदेशी वित्त पोषित लोग, जिन्होंने गुजरात में हर बड़ी बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ एक बड़ी भूमिका निभाई है।

एनजीओ अनहद के ट्रस्टी और गोपाल इटालिया के दोस्त हैं देव देसाई

अब देव देसाई से मिलिए। वह एनजीओ अनहद के ट्रस्टी हैं। वह कई वर्षों से विदेशी वित्त पोषित और हिंदू विरोधी एनजीओ अनहद के साथ काम कर रहे हैं। वह आप गुजरात अध्यक्ष गोपाल इटालिया के बहुत अच्छे दोस्त हैं। आप उन्हें गोपाल इटालिया के साथ कई आयोजनों में देख सकते हैं! वह केवल दोस्त नहीं हैं बल्कि उस एनजीओ के लिए भी काम कर रहा था।

हिंदू विरोधी तंत्र से गहरे जुड़े हैं देव देसाई

अब देखिए इटालिया के मित्र देव देसाई की हिंदू विरोधी वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र से कितनी गहरी जड़ें हैं! यहां आप उन्हें उमर खालिद, शैला रसीद, संजीव भट्ट और मेधा पाटकर जैसे लोगों के साथ देख सकते हैं!

जिग्नेश मेवाणी भी इसी गठजोड़ का हैं हिस्सा

जिग्नेश मेवाणी से उनकी खास दोस्ती है। मेवाणी इस समय कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। हालांकि, पार्टी की सदस्यता के बिना ही जिग्नेश मेवाणी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर भी कई तरह के सवाल भी उठे।

सलमान निजवी से भी है उनकी कुछ ऐसी ही खास दोस्ती!

कन्हैया कुमार भी इसी इकोसिस्टम से जुड़े हैं

एक और शख्स कन्हैया कुमार को उसके दोस्तों में शामिल कर सकते हैं। कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं। कन्हैया ने आतंकवादी अफजल गुरु और मकबूल भट की फांसी की सजा के खिलाफ प्रदर्शन किया था। जेएनयू में कन्हैया कुमार की ओर से ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ के नारे लगाये गये थे।


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