बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब बनाने का काम जारी है और उसे पीकर मरने वालों का आँकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। इन सबके बीच जहरीली शराब पीकर मरे लोगों को मुआवजे की माँग पर राजनीति तेज हो गई है। जदयू के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने मृतकों की तुलना बम बनाने वालों से की है। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार मौत के मामलों की जाँच करेगी।
आज देश की राजनीति का स्तर इतना गिर गया है, जहां तर्कसंगत विरोध करना अपमान समझा जा है। बिहार में शराब पीकर मरने वालों के परिवार वालों को मुआफजा देने की मांग करने की बजाए, सरकार को शराब मुक्त राज्य में शराब बनाने, बेचने एवं इस माफिया को संरक्षण देने वालों को फांसी की मांग होनी चाहिए। इस बात की भी गंभीरता से जाँच होनी चाहिए यह शराब क्या उन्हें मुफ्त में मिली थी या खरीद कर पी थी, समाचार है कि मरने वाले के परिवारों के पास अंतिम संस्कार करने के भी पैसे नहीं, फिर शराब पीने के लिए कहाँ से आए? अगर खरीदकर पी थी, फिर उसके पैसे किसने दिए थे? इतना ही नहीं, इस कांड में सम्मिलित सरकारी कर्मचारी अथवा अधिकारियों को मिलने वाली हर सरकारी सुविधा जैसे पेंशन आदि तुरंत छीन लेनी चाहिए। गुजरात में भी चुनाव से पूर्व शराब कांड हो चुका है।
बिहार में जहरीली शराब पीकर लगातार हो रही मौतों का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लिया है। आयोग ने जहरीली शराब से हुई मौतों की जाँच के लिए एक टीम बिहार भेजने का निर्णय लिया है। आयोग ने कहा कि इसके सदस्य की अध्यक्षता वाली एक जाँच टीम बनाई जाएगी।
उधर, JDU नेता उपेंद्र कुशवाहा ने जहरीली शराब पीकर मरने वाले लोगों की तुलना बम बनाने वालों से करते हुए कहा कि बम बनाते वक्त विस्फोट में किसी की मौत हो तो सरकार मुआवज़ा देती है? उन्होंने मृतकों को मुआवजे देने की विपक्ष की माँग को सिरे से खारिज कर दिया।
#Bihar में जहरीली शराब कांड पर टिप्पणी करते हुए JDU नेता उपेंद्र कुशवाहा ने बम बनाने वालों से की ज़हरीली शराब से मरने वालों की तुलना। मुआवजे की मांग पर कहा: बम बनाते वक्त विस्फोट में किसी की मौत हो तो सरकार मुआवज़ा देती है?#BiharHoochTragedy #UpendraKushwaha #वायरल_बिहारतक pic.twitter.com/naWDZ2XMbQ
— Bihar Tak (@BiharTakChannel) December 18, 2022
माननीय आप लोग संवेदनहीन बयान ना दे जिसने गलती करी वह तो मर गया पर अपने पीछे जिस परिवार को छोड़ गया उसके पास अंतिम संस्कार के पैसे तक नहीं है वह पूरा परिवार अपना जीवन यापन कैसे करेंगे यह देखना भी सरकार की जिम्मेवारी है!
— Kundan Kumar Thakur(BHARDWAJ) (@kundanthakur90) December 19, 2022
सरकार उन गरीब परिवारों की मदद करें!
उन असहायों की गलती नहीं!
बिहार में जहरीली शराब पीने से मृतकों की संख्या बढ़ रही है। इसुआपुर से शुरू शुरू हुआ मौत का सिलसिला मशरख, मढ़ौरा, तरैया, अमनौर, बनियापुर तक जा पहुँचा। अब तक 72 लोगों की मौत की बात सामने आई है। वहीं, कई लोगों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि जहरीली शराब पीने के कारण मृतकों के शरीर में फॉलिक एसिड बढ़ गई है, जिसके कारण शरीर कम अंग काम करना बंद कर दे रहे हैं। मौत से पहले सभी मृतकों के ब्लड प्रेशर में लगातार बदलाव भी देखने को मिल रहा है। मरीजों में बेचैनी, उल्टी, पेट दर्द, साँस लेने में परेशानी, आँखों से धुँधला दिखाई देने जैसे कई तरह की समस्याएँ देखने को मिल रही हैं।
उधर लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कहा कि जहरीली शराब पीने से लगभग 200 मौतें हुई हैं। सरकार बिना पोस्टमार्टम के मृतकों का अंतिम संस्कार करा रही है और मृतकों की संख्या छिपाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल से मिलकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की माँग करेंगे।
मृतकों को लेकर राज्य की नीतीश सरकार की छिछालेदर होने के बाद सारण के SP ने इसुआपुर थाना के अध्यक्ष संजय कुमार राम, चौकीदार और दफदार को निलंबित कर अपने काम की इतिश्री कर ली है। पुलिस ऑपरेशन क्लीन के तहत छापेमारी कर शराब के कारोबार से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी कर रही है। हालाँकि, इसमें बड़ी मछलियाँ पहले भी बचती रही हैं और आशंका है कि इस बार भी बच जाएँगी।
जब विधानसभा में विपक्ष ने जहरीली शराब पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को घेरना शुरू किया तो वे बिफर उठे थे। कुर्सी और सदन की मर्यादा को तार-तार करते हुए वे विपक्ष पर चिल्लाने लगे थे। उन्होंने कहा था कि जो नकली शराब पीएगा, वो मरेगा ही।
नीतीश कुमार ने राज्य में शराब की तस्करी और अवैध निर्माण को रोकने में लाचार रहने के बावजूद मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने से साफ इनकार कर दिया। दरअसल, मुआवजे की माँग को नकार कर नीतीश कुमार जहरीली शराब मामले में सरकार की लापरवाही को नजरअंदाज करना चाहते हैं।
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