बिहार : 'तुलसीदास रचित रामचरितमानस’ पर विष फ़ैलाने वाले ठोंगी हिन्दू चंद्रशेखर का परिवार सहित सामाजिक बहिष्कार कब?

भारतीय संस्कृति एवं हिन्दू धर्म को जितना अपमानित ठोंगी हिन्दुओं ने किया है, किसी अन्य ने नहीं। इन्हीं ठोंगी हिन्दुओं को ढाल बनाकर हिन्दू विरोधी अति प्राचीन सनातन धर्म को कलंकित करने का दुस्साहस करते हैं। जनता को चाहिए कि ऐसे ठोंगी हिन्दु नेता और इनको संरक्षण देने वाली पार्टियों को चुनावों में औंधे मुंह गिराने के साथ इनके परिवार का भी सामाजिक बहिष्कार करें। जब तक हिन्दू इन कुर्सी के भूखे नेताओं और पार्टियों के विरुद्ध एकजुट नहीं होंगे, सनातन धर्म को अपमानित करने वाले होश में नहीं आएंगे। आखिर कब तक सनातन धर्म को अपमानित किया जाता रहेगा, कोई सीमा होती है? 

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ करार दिया है। ‘नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी’ के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए RJD नेता रामचरितमानस को समाज को बाँटने वाला ग्रंथ बता दिया। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस दलितों-पिछड़ों को शिक्षा ग्रहण करने से रोकता है। संबोधन के बाद मीडिया के सामने भी बिहार के शिक्षा मंत्री अपने बयान पर कायम नजर आए।

पटना ज्ञान भवन में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में चंद्रशेखर ने छात्र छात्राओं को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने रामचरितमानस के एक दोहे “अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए” का जिक्र करते हुए कहा कि यह समाज में नफरत फैलानेवाला ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि दोहे में अधम का अर्थ नीच होता है जिसे उन्होंने जाति से जोड़ते हुए कहा कि इस दोहे के अनुसार नीच जाति अर्थात दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था।

अपने संबोधन की शुरुआत में बिहार के शिक्षा मंत्री ने सभागार में उपस्थित बच्चों से पूछा कि भारत को ताकतवर नफरत से बनाएँगे या मोहब्बत से? सभागार में उपस्थित बच्चों ने ‘मोहब्बत से’ जवाब दिया। शिक्षा मंत्री ने अपने भाषण को जारी रखा। फिर उन्होंने कहा कि देश में कुछ विचार ऐसे चले हैं जो नफरत फैलाना चाहते हैं और यह विचार आज के नहीं हैं बल्कि तीन हजार साल पहले जब मनुस्मृति लिखी गई, यह विचार वहीं से आए हैं।

संबोधन के बाद पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए भी उन्होंने अपनी बात दोहराई। उन्होंने कहा कि किसी जमाने में मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया, उसके बाद रामचरितमानस ने समाज में नफरत पैदा की। बकौल चंद्रशेखर, आज के समय में गुरु गोलवलकर के विचार समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि समाज में जितनी जातियाँ हैं, उतनी ही नफरत की दीवारें हैं। जब तक यह दीवारें समाज में मौजूद रहेंगी, भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता है।

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