दिल्ली शिक्षा मॉडल का खस्ता हाल, कॉलेज अध्यापकों को चार महीने से नहीं मिला वेतन, जूता पॉलिस कर जता रहे विरोध


मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हर जगह दिल्ली शिक्षा मॉडल की डफली बजाते फिरते हैं। उनके डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और उन्नति के दावे करने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। लेकिन उनके इस शिक्षा मॉडल की पोल खुलती जा रही है। केजरीवाल के ‘रेवड़ी कल्चर’ ने दिल्ली सरकार का खजाना खाली कर दिया है। इसकी वजह से कॉलेज अध्यापकों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। उनके सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई। केजरीवाल सरकार की बेरुखी ने उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। इससे परेशान होकर अध्यापक सड़क पर जूते पॉलिश कर अपना विरोध जता रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में छात्र भी अध्यापकों का साथ दे रहे हैं।

केजरीवाल के राज में अध्यापक जूता पॉलिस करने के लिए मजबूर 

दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आने वाले 12 कॉलेजों में से एक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापक आज सड़क पर है। कॉलेज के प्रोफेसरों ने कॉलेज के बाहर ही दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने और अपनी बदहाली पर ध्यान आकर्षित करने के लिए लोगों के जूते पॉलिश कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा इस कॉलजे का शत-प्रतिशत वित्तपोषण किया जाता है। लेकिन सरकार का खजाना खाली होने से कॉलेज के शिक्षकों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

स्कूल फीस,लोन की किश्तों का भुगतान और बीमारी का इलाज हुआ मुश्किल

प्रोफेसर पीके शर्मा के मुताबिक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों और कर्मचारियों को चार महीनों से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने की स्थिति में कर्मचारी और अध्यापक अपने बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, ये अपने लोन के भुगतान की किश्तें भी नहीं दे पाए हैं। अध्यापकों का आरोप है कि पिछले तीन सालों से इन कॉलेजों को मिलने वाले अनुदान में कमी की गई है और इनका समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। बीमारी और कई के परिवार में किसी मृत्यु की स्थिति में उधार मांगकर क्रिया-कर्म निपटाने जैसे मामले भी सामने आए हैं।

स्थायी समाधान तक आर-पार की लड़ाई के मूड में अध्यापक

दिल्ली सरकार बेरुखी और आर्थिक तंगी से परेशान होकर अध्यापकों ने आंदोलन करने का फैसला लिया ताकि सरकार कुछ ठोस कदम उठाए। अब अध्यापक आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती है और स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक नए नए तरीकों से आंदोलन जारी रहेगा। अध्यापकों ने हर महीने वेतन का नियमित भुगतान संतोषजनक तरीके से करने की मांग की है।

कॉलेज के अध्यापकों के आरोप

  1. महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापकों को चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा है।
  2. तदर्थ शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के एरियर भी अभी तक नहीं मिले हैं।
  3. पिछले तीन सालों से शिक्षकों को चिकित्सा बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
  4. एलटीसी सुविधा का भुगतान और बाल शिक्षा भत्ता भी नहीं मिल रहा है
दिल्ली शिक्षा मॉडल में भुखमरी के कगार पर पहुंचे कॉलेज अध्यापक
सम्मानजनक पेशे से जुड़े अध्यापक खुद को एकदम बेबस और अपमानित महसूस कर रहे हैं और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। इससे परेशान अध्यापकों ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी हमला बोला है। शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर बखान करने वाली दिल्ली सरकार ने उन्हें भुखमरी के कगार पर ला दिया है। दिल्ली सरकार को बजट की समस्या से हो रही है जिसकी वजह से उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। सरकार सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दे रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शिक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली शिक्षा मॉडल को देश में सबसे बेस्ट बताते हैं। गुजरात चुनाव के दौरान उन्होंने अपने शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के लिए यहां तक कह दिया कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम के लिए उनको भारत रत्न मिलना चाहिए। अब वही केजरीवाल फिनलैंड के शिक्षा मॉडल का अध्ययन करने के लिए टीम वहां भेजना चाहते हैं। यहां यह सवाल उठता है कि अगर दिल्ली का शिक्षा मॉडल बेस्ट है तो दिल्ली को फिनलैंड जाने की क्या जरूरत है फिर तो फिनलैंड को दिल्ली आकर अध्ययन करना चाहिए। आश्चर्य की बात यह है कि फिनलैंड की टीम खुद पिछले साल केरल शिक्षा मॉडल का अध्ययन करने भारत आई थी। सवाल यहां फिर उठता है कि है कि फिनलैंड की टीम जब शिक्षा मॉडल का अध्ययन करने भारत आई तो दिल्ली क्यों नहीं आई। दिल्ली के उपराज्यपाल ने जब फिनलैंड जाने की मंजूरी नहीं दी तो केजरीवाल अराजक हो गए। 
फिनलैंड ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने के लिए विशेषज्ञ नियुक्त किया
फिनलैंड ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली में एक फिनिश शिक्षा विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति की है। फिनलैंड में शिक्षा विभाग के राज्य सचिव डैन कोइवलासो ने कहा कि भारत को शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने वाले प्रमुख देशों में से एक के रूप में देखा जाता है। नोबेल पीस सेंटर के कार्यकारी निदेशक जेर्स्टी फ्लगस्टैड ने कहा कि विश्व शांति बैठक आयोजित करने के सरकार के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

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