उत्तर प्रदेश : लखनऊ में जलाई गई रामचरितमानस की प्रतियाँ, स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा ने बनाया महासचिव

                  स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी महासभा ने जलाई रामचरित मानस की प्रतियाँ 
रामचरितमानस को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ओबीसी महासभा ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियाँ जलाईं। स्वामी प्रसाद ने रामचरित मानस को बकवास बताते हुए प्रतिबंध लगाने की माँग की थी।

भाजपा विरोधी जितना अधिक रामायणचरितमानस की आड़ में सनातन धर्म पर प्रहार करेंगे, उतना ही भाजपा को मजबूत कर रहे हैं। लेकिन जिस बात का डर था, अब वह मुखरित हो गया कि संत राजू दास का मौर्या का 'सर तन से जुदा' वाले को 21 लाख रूपए का ईनाम घोषित कर दिया है। संत तुलसीदास रचित रामचरितमानस पर सैंकड़ों वर्षों बाद विवाद करना स्पष्ट प्रमाणित कर रहा है कि इस काम के लिए हिन्दू विरोधी ताकतों के खिलौना बने ठोंगी हिन्दू देश का माहौल ख़राब कर रहे हैं, उन्हें केवल महंत धीरेन्द्र शास्त्री के विरुद्ध मुस्लिम कट्टरपंथियों में मचे घमासान को हिन्दुओं को हिन्दुओं से ही विरुद्ध लड़ा कर वोटबैंक साधना है। लेकिन ये बुद्धिविहीन कट्टरपंथियों के षड्यंत्र को समझने में असफल हैं, हिन्दू से हिन्दू की लड़ाई का शत-प्रतिशत लाभ इन्ही को मिलेगा।  

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार (29 जनवरी 2023) को लखनऊ के वृंदावन योजना में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियाँ जलाईं। ओबीसी महासभा के लोगों ने कहा है कि उन्होंने रामचरितमानस की विवादित अंश की प्रतियाँ जलाई हैं।

ओबीसी महासभा के एक सदस्य ने कहा है, “इसमें नारी शक्ति, शूद्रों, दलित समाज और ओबीसी समाज के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी हैं। हम इन टिप्पणियों को रामचरितमानस से निकलवाना चाहते हैं। जब निकाला जाएगा तभी ये विरोध प्रदर्शन शांत होगा। नहीं तो जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होगा।” उधर स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा ने महासचिव बना दिया है।

रामचरित मानस की प्रतियाँ जलाने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा है  “जब दुनिया चाँद पर जा रही है तब हिंदुस्तान का तथाकथित 15 फीसदी समाज 85 फीसदी समाज को बेवकूफ बनाकर पीछे ले जाना चाह रहा था। कई सदियों से वो पीछे लेकर जा रहा है। सनातन धर्म का सबसे बड़ा रामचरितमानस को बताया गया है। इसमें सर्व समाज को बेवकूफ बनाया गया है। नारियों के लिए अपशब्द कहे गए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो कहा है हम उसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं। संविधान में संशोधन हो सकता है तो रामचरितमानस में क्यों नहीं।”

वहीं, इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी ने इस स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी महासचिव बनाया दिया। इस फैसले के बाद भाजपा सपा पर हमलावर है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि यह सपा के ताबूत में आखिरी कील है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी समाजवादी पार्टी ने अपना हिंदू विरोधी चरित्र उजागर कर दिया है। श्रीरामचरित मानस को अपमानित करने वाले को सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर खुद सपा के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। विनाशक काले विपरीत बुद्धि। जय श्रीराम।”

स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी 2023 को रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अब करोड़ों लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, इसमें सब बकवास है। स्वामी प्रसाद ने सरकार से रामचरितमानस में कुछ अंश को आपत्तिजनक बताते हुए उसे हटाने की माँग की। उन्होंने कहा था कि अगर वो अंश न हट पाएँ तो पूरी किताब को ही बैन कर देना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा था कि वो रामचरितमानस को धर्म ग्रंथ नहीं मानते क्योकि इस किताब को तुलसीदास ने अपनी खुद की खुशी के लिए लिखा था। स्वामी प्रसाद ने आरोप लगाया कि रामचरितमानस में कुछ ऐसी चौपाइयाँ हैं, जिनमें शूद्रों को अधम होने का सर्टिफिकेट दिया गया है। उन्होंने उन चौपाइयों को एक वर्ग के लिए गाली जैसे बताया।

उन्होंने कहा था रामचरितमानस के हिसाब से ब्राह्मण भले ही कितना गलत करे वो सही और शूद्र कितना भी सही करे वो गलत होता है। मौर्य के अनुसार, अगर उसे ही धर्म कहते हैं वो ऐसे धर्म का सत्यानाश हो और ऐसे धर्म को वो दूर से नमस्कार करते हैं।

इस बयान के बाद शिवेंद्र मिश्रा नामक व्यक्ति ने सोमवार (24 जनवरी 2023) को समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। स्वामी प्रसाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए, 295 ए, 298, 504 505 (2) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।

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