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मध्य प्रदेश : कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का कांग्रेसियों ने ही फूँका पुतला; पूर्व मुख्यमंत्री के बँगले के सामने ही कार्यकर्ताओं ने कराया मुंडन

                                                                                                            साभार- दैनिक जागरण और NBT
कांग्रेस में टिकट वितरण से दुखी कई नेताओं ने शुक्रवार (20 अक्टूबर, 2023) को भोपाल में प्रदेश 
कांग्रेस कार्यालय और कमल नाथ के बंगले के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के बंगले के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया। वहीं बोंडगाँव में कमलनाथ का पुतला दहन भी किया गया।

दरअसल, जब से कांग्रेस ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए अपनी दूसरी सूची में 88 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है, उसके बाद से ही कांग्रेसी भड़के हुए हैं। उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसी सिलसिले में बैरसिया से उम्मीदवार बनाई गईं जयश्री हरिकरण के विरोध में कांग्रेस के ही कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ के बंगले के सामने मुंडन कराकर विरोध जताया। साथ ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का पुतला भी फूँका।

मध्य प्रदेश में उम्मीदवारों की सूचि से कांग्रेस नेता ही खुश नजर नहीं आ रहे। विधानसभा प्रत्याशियों की दूसरी सूची आने के बाद भोपाल स्थित प्रदेश कार्यालय के बाहर भड़का विरोध अब कमल नाथ के बंगले तक पहुँच गया है। बैरसिया से आए कार्यकर्ताओं ने बंगले के गेट पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए बैरसिया के प्रत्याशी का टिकट बदलने की माँग की। वहीं पीसीसी के सामने दिग्विजय सिंह का पुतला भी जलाया गया।

मौके पर विरोध प्रदर्शन को इकट्ठे कांग्रेस कार्यकर्ता बंगले में घुसना चाह रहे थे, लेकिन वहाँ मौजूद गार्डों ने उन्हें रोक दिया। हालाँकि, प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ता दिग्विजय सिंह के समर्थक बताए जा रहे हैं। और यह आरोप लगाया जा रहा है कि टिकट वितरण में कमल नाथ ने अपने समर्थकों को टिकट दिलवा दिया। इसी बात से कार्यकर्ता नाराज हैं। वहीं, दतिया जिले की सेवड़ा विधानसभा से आए नेताओं ने भी कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का पुतला फूँका। 

वहीं विधानसभा क्षेत्र हरदा-खिरकिया क्रमांक 135 में कांग्रेस द्वारा डॅा. रामकिशोर दोगने को प्रत्याशी घोषित करने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। इस मामले में कांग्रेस नेता मंजीत सिंह ने शुक्रवार(20 अक्टूबर, 2023) को अपने गृह ग्राम बोंडगाँव में कमल नाथ और हरदा प्रत्याशी डॅा. दोगने का पुतला दहन किया।

कांग्रेस नेता मंजीत सिंह ने राजपूत समाज की अनदेखी का आरोप लगाते हुए हरदा विधानसभा क्षेत्र का घोषित प्रत्याशी बदलने की माँग की है। बता दें कि कांग्रेस नेता मंजीत सिंह बघेल ने हरदा विधानसभा क्षेत्र से राजपूत समाज के व्यक्ति को टिकट देने की माँग की थी।

इस पूरे मामले में राजपूत समाज के कई नेताओं ने कहा कि राजपूत समाज के नेता को टिकट देने की माँग वाली फेसबुक पोस्ट मंजीत सिंह की व्यक्तिगत सोच है, समाज का उस पोस्ट से कोई लेना-देना नहीं है। यहाँ तक कि राजपूत समाज का राजनीतिक पार्टियों से कोई लेना-देना नहीं है।

नालंदा के 830 साल बाद फ्रांस में धू-धू कर जली लाइब्रेरी, घुसपैठियों को गले लगा कर फँसा यूरोप?

बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को उसके विशाल पुस्तकालय समेत जला दिया था, अब फ्रांस में भड़के दंगों के बीच लाइब्रेरी जला दी गई 
पूरा फ्रांस दंगों की आग में जल रहा है। जिसे भारत में संविधान की शपथ लेने वाले कुर्सी के भूखे नेता और पार्टियों को ध्यान से देख, कुर्सी की खातिर घुसपैठियों को समर्थन देने पर गंभीरता से विचार करना होगा। देश सुरक्षा को संकट से बचाने के लिए घुसपैठियों-रोहिंग्या, पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों- को देश से बाहर करने के लिए समस्त पार्टियों को एकजुट होना पड़ेगा, क्योकि संविधान किसी भी अवैध घुसपैठियों को संरक्षण देने की अनुमति नहीं देता। लेकिन यहाँ अपनी कुर्सी की खातिर अवैध घुसपैठियों को हर सरकारी सुविधा दी जा रही है। जिसे खुलेआम संविधान की धज्जियाँ उड़ाना नाम देना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 
27 जून, 2023 को पुलिस की गोली लगने से नहेल नाम के एक 17 वर्षीय मुस्लिम युवक की मौत हो गई, जिसके बाद ये हिंसा शुरू हुई। नहेल मूल रूप से अल्जीरिया का रहने वाला था। पुलिस का कहना है कि वो कार से लोगों को कुचल सकता था, इसीलिए गोली चलाई गई। उक्त पुलिस अधिकारी को हिरासत में लेकर जाँच शुरू कर दी गई है। लेकिन, इधर दंगाइयों ने कई बसों और कारों समेत मार्सेय के सबसे बड़े पुस्तकालय को फूँक दिया।

17 वर्ष की उम्र में फ्रांस में ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं मिलता है और नहेल पर गलत तरीके से गाड़ी चलाने का भी आरोप है। वो बस लेन में मर्सिडीज ड्राइव कर रहा था। पुलिस बार-बार कहती रही कि वो कार को रोक कर पार्क करे, लेकिन वो कार को भगाने लगा। नहेल अफ़्रीकी मूल का था, ऐसे में फ्रांस में बसे प्रवासियों ने दंगे शुरू कर दिए। नियम तोड़ने वाले फ्रांस के उस लड़के की बात नहीं हो रही, लेकिन पुलिस की आलोचना हो रही है।

पूरे फ्रांस में सैकड़ों सरकारी इमारतों को नुकसान पहुँचाया गया है। 40,000 पुलिसकर्मियों को कानून-व्यवस्था काबू में करने के लिए लगाया गया है। 600 से भी अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। 2000 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है। वहाँ के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों एक कंसर्ट में अपनी पत्नी के साथ डांस करते हुए देखे गए। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को वहाँ भेज दिया जाए, वो 24 घंटे के भीतर दंगों को नियंत्रित कर सकते हैं।

बतौर राष्ट्रपति अपने दूसरे कार्यकाल में उन्हें बड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है क्योंकि पेंशन योजना में बदलाव के कारण उनके खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हुए थे। 2005 में फ्रांस ऐसी ही स्थिति को झेल चुका है, जब पुलिस से छिपते हुए दो किशोरों की मौत के बाद 21 दिनों तक दंगे होते रहे थे और पुलिस को ‘स्टेट ऑफ इमरजेंसी’ घोषित करनी पड़ी थी। फ्रांस में कई बड़े कार्यक्रमों को बैन कर दिया गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लोगों को अपने बच्चों पर नजर रखने को कहा है, उन्हें घर में रखने को कहा है।

उन्होंने TikTok और स्नैपचैट को संवेदनशील कंटेंट्स हटाने के लिए भी कहा है। दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन फ्रांस में मुस्लिमों के साथ भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र तक ने फ्रांस की पुलिस को कार्रवाई में भेदभाव न करने के आरोप लगा दिए। फ्रांस में हमने ये भी देखा था कि कैसे पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने के कारण जनवरी 2015 में शार्ली-हेब्दो मैगजीन के 12 कर्मचारियों को मार डाला गया था। इस कार्टून की बात करने पर एक मुस्लिम छात्र ने शिक्षक सैमुएल पैटी का गला रेत दिया था।

विद्यालयों-पुस्तकालयों को फूँकने वाली वो कौन सी मानसिकता है?

आखिर वो कौन सी मानसिकता है, जो विद्या के मंदिरों को भी फूँक देती है। विद्यालयों और पुस्तकालयों को जलाने वाले ये लोग कौन होते हैं? इसे जानने के लिए हमें 830 वर्ष पहले सन् 1193 में चलना पड़ेगा, जब इस्लामी आक्रांता बख्तियार खिलजी ने पूरे नालंदा विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया था। साथ ही उसके 9 मंजिला पुस्तकालय को आग के हवाले कर दिया था। कहते हैं, वहाँ दुर्लभ प्राचीन पांडुलिपियों समेत लाखों पुस्तकें थीं जो धू-धू कर ऐसी जली कि महीनों तक जलती रही।
जब नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी, उसके अगले हजार वर्षों तक यूरोप में कोई यूनिवर्सिटी नहीं थी। संस्कृत व्याकरण से लेकर दर्शनशास्त्र और राजनीतिक शास्त्र की शिक्षा का गढ़ था नालंदा, जहाँ की कई इमारतें राजा-महाराजाओं और अमीर व्यापारियों ने अपने दान से बनवाई थी। दूर-दूर से छात्र यहाँ शिक्षा अर्जन के लिए आते थे। खुदाई में नालंदा को जलाए जाने के सबूत मिले, पता चला कि यहाँ कभी विशाल लाइब्रेरी हुआ करती थी। बौद्ध इतिहास का अध्ययन करने वालों ने भी इसे माना है।
दिल्ली सल्तनत के इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने अपनी फ़ारसी पुस्तक ‘तबकात-ए-नासिरी’ में लिखा है कि वहाँ पर कई ब्राह्मण थे, जिनके सिर मूँड़े हुए थे और फिर उनकी हत्या कर दी गई। उसने कई अन्य हिन्दुओं के नरसंहार की बात भी लिखी है। इस्लामी आक्रांताओं को कई पुस्तकें वहाँ मिली, इसका जिक्र भी इस किताब में है। नालंदा और इसके आसपास कई बौद्ध विहार थे, उन सबको भी बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था।
सवाल ये है कि आखिर ये कौन सी मानसिकता है जो विद्या का सम्मान नहीं करती? सनातन धर्म में तो कहा गया है कि ‘अविद्यस्य कुतः धनम्’, अर्थात जिसके बाद विद्या नहीं है उसके पास धन कैसे आ सकता है। यानी, शिक्षा को सबसे ऊपर रखा गया है। तभी हमारे यहाँ राजा-महाराजाओं से भी ज्यादा ऋषि-मुनि लोकप्रिय हुए। विश्वामित्र-वशिष्ठ की धरती पर साधु-संतों को सबसे ज्यादा सम्मान मिला क्योंकि वो विद्वान थे, इन्होंने सिखाया कि कैसे शिक्षा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाती है और ये क्रम अनवरत ही चलता रहता है।
क्या यूरोप ने घुसपैठियों के लिए जो दरवाजे खोले हैं, उसके बाद इस तरह की समस्याएँ बढ़ गई हैं? 2021 में 23 लाख घुसपैठियों ने यूरोपियन यूनियन के देशों को अपना ठिकाना बनाया, वहीं 2022 में भी ये आँकड़ा इतना ही रहा। जर्मनी, फ्रांस और स्पेन वो तीन देश हैं, जो सबसे ज्यादा घुसपैठियों के ठिकाने बने। अब स्थिति ये है कि इतने कम समय में यूरोप की जनसंख्या का 6% हिस्सा प्रवासियों का हो गया है। उनकी जनसंख्या ढाई करोड़ के पार चली गई है।
समुद्री रास्तों से ये प्रवासी यहाँ आते हैं। यूरोपियन समुदाय हमेशा से खुले समाज के रूप में जाना जाता रहा है और वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा औद्योगिक सफलता के कारण ये महाद्वीप खासा समृद्ध है। इंग्लैंड ने तो एक समय दुनिया के अधिकतर हिस्से पर राज किया। अब स्थिति ये है कि किसी वीडियो में देखने को मिलता है कि बीच का आनंद लेती महिलाओं के सामने ही समुद्र से सीधे घुसपैठियों की खेल पहुँचती है तो कभी घुसपैठियों द्वारा महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की खबरें आती हैं।
इटली में 2013 में एक रिपोर्ट में सामने आया था कि वहाँ हो रहे अधिकतर अपराधों में विदेशी घुसपैठिए ही शामिल थे। इसी तरह जर्मनी में 2017 में 27 घुसपैठियों ने हत्या या हत्या का प्रयास किया। स्थिति ये है कि फ़्रांस ने जब मोरक्को को FIFA वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल में हरा दिया तो फ्रांस में दंगे शुरू हो गए। कारण साफ़ है, 99% सुन्नी मुस्लिमों वाला देश है मोरक्को और मुस्लिम जहाँ भी रहें, उनकी वफादारी अपने ‘उम्माह’ के प्रति रहती है, मातृभूमि नहीं इस्लाम के प्रति रहती है।

उत्तर प्रदेश : लखनऊ में जलाई गई रामचरितमानस की प्रतियाँ, स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा ने बनाया महासचिव

                  स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में ओबीसी महासभा ने जलाई रामचरित मानस की प्रतियाँ 
रामचरितमानस को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ओबीसी महासभा ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियाँ जलाईं। स्वामी प्रसाद ने रामचरित मानस को बकवास बताते हुए प्रतिबंध लगाने की माँग की थी।

भाजपा विरोधी जितना अधिक रामायणचरितमानस की आड़ में सनातन धर्म पर प्रहार करेंगे, उतना ही भाजपा को मजबूत कर रहे हैं। लेकिन जिस बात का डर था, अब वह मुखरित हो गया कि संत राजू दास का मौर्या का 'सर तन से जुदा' वाले को 21 लाख रूपए का ईनाम घोषित कर दिया है। संत तुलसीदास रचित रामचरितमानस पर सैंकड़ों वर्षों बाद विवाद करना स्पष्ट प्रमाणित कर रहा है कि इस काम के लिए हिन्दू विरोधी ताकतों के खिलौना बने ठोंगी हिन्दू देश का माहौल ख़राब कर रहे हैं, उन्हें केवल महंत धीरेन्द्र शास्त्री के विरुद्ध मुस्लिम कट्टरपंथियों में मचे घमासान को हिन्दुओं को हिन्दुओं से ही विरुद्ध लड़ा कर वोटबैंक साधना है। लेकिन ये बुद्धिविहीन कट्टरपंथियों के षड्यंत्र को समझने में असफल हैं, हिन्दू से हिन्दू की लड़ाई का शत-प्रतिशत लाभ इन्ही को मिलेगा।  

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार (29 जनवरी 2023) को लखनऊ के वृंदावन योजना में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियाँ जलाईं। ओबीसी महासभा के लोगों ने कहा है कि उन्होंने रामचरितमानस की विवादित अंश की प्रतियाँ जलाई हैं।

ओबीसी महासभा के एक सदस्य ने कहा है, “इसमें नारी शक्ति, शूद्रों, दलित समाज और ओबीसी समाज के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी हैं। हम इन टिप्पणियों को रामचरितमानस से निकलवाना चाहते हैं। जब निकाला जाएगा तभी ये विरोध प्रदर्शन शांत होगा। नहीं तो जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होगा।” उधर स्वामी प्रसाद मौर्य को सपा ने महासचिव बना दिया है।

रामचरित मानस की प्रतियाँ जलाने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा है  “जब दुनिया चाँद पर जा रही है तब हिंदुस्तान का तथाकथित 15 फीसदी समाज 85 फीसदी समाज को बेवकूफ बनाकर पीछे ले जाना चाह रहा था। कई सदियों से वो पीछे लेकर जा रहा है। सनातन धर्म का सबसे बड़ा रामचरितमानस को बताया गया है। इसमें सर्व समाज को बेवकूफ बनाया गया है। नारियों के लिए अपशब्द कहे गए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो कहा है हम उसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं। संविधान में संशोधन हो सकता है तो रामचरितमानस में क्यों नहीं।”

वहीं, इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी ने इस स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी महासचिव बनाया दिया। इस फैसले के बाद भाजपा सपा पर हमलावर है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि यह सपा के ताबूत में आखिरी कील है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी समाजवादी पार्टी ने अपना हिंदू विरोधी चरित्र उजागर कर दिया है। श्रीरामचरित मानस को अपमानित करने वाले को सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव बनाकर खुद सपा के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। विनाशक काले विपरीत बुद्धि। जय श्रीराम।”

स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी 2023 को रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अब करोड़ों लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, इसमें सब बकवास है। स्वामी प्रसाद ने सरकार से रामचरितमानस में कुछ अंश को आपत्तिजनक बताते हुए उसे हटाने की माँग की। उन्होंने कहा था कि अगर वो अंश न हट पाएँ तो पूरी किताब को ही बैन कर देना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा था कि वो रामचरितमानस को धर्म ग्रंथ नहीं मानते क्योकि इस किताब को तुलसीदास ने अपनी खुद की खुशी के लिए लिखा था। स्वामी प्रसाद ने आरोप लगाया कि रामचरितमानस में कुछ ऐसी चौपाइयाँ हैं, जिनमें शूद्रों को अधम होने का सर्टिफिकेट दिया गया है। उन्होंने उन चौपाइयों को एक वर्ग के लिए गाली जैसे बताया।

उन्होंने कहा था रामचरितमानस के हिसाब से ब्राह्मण भले ही कितना गलत करे वो सही और शूद्र कितना भी सही करे वो गलत होता है। मौर्य के अनुसार, अगर उसे ही धर्म कहते हैं वो ऐसे धर्म का सत्यानाश हो और ऐसे धर्म को वो दूर से नमस्कार करते हैं।

इस बयान के बाद शिवेंद्र मिश्रा नामक व्यक्ति ने सोमवार (24 जनवरी 2023) को समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। स्वामी प्रसाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए, 295 ए, 298, 504 505 (2) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।