दिल्ली : बंगला विवाद : एलजी ने चीफ सेक्रेटरी से 15 दिन में मांगी रिपोर्ट, अब तक विपक्ष से लेकर उपराज्यपाल क्यों ऑंखें बंद कर बैठे रहे?


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बहुरुपिया हैं। टाइम्‍स नाउ नवभारत के ‘ऑपरेशन शीशमहल’ ने केजरीवाल के चेहरे पर से सादगी का मुखौटा हटा दिया है। जनता के सामने सादगी की प्रतिमूर्ति बनकर आने वाले केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपये खर्च किया है। इसे सुनकर हर कोई हैरान है। किसी को भरोसा नहीं हो रहा है कि बड़ा बंगला, गाड़ी और सुरक्षा नहीं लेने की बात करने वाले केजरीवाल जनता के पैसे पर एक शीशमहल में रहते हैं। इस मामले में अब केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने मीडिया में आई खबर का संज्ञान लेते हुए रेनोवेशन में हुई वित्तीय अनियमितता की जांच का आदेश दिया है और 15 दिनों में रिपोर्ट देने को कहा है।

ज्वलन्त प्रश्न यह है कि जब कारवां लूट रहा था, विपक्ष से लेकर उपराज्यपाल तक क्यों आंखें बंद किये बैठे रहे? शराब घोटाला हो, स्कूल घोटाला हो या फिर अन्य विपक्ष क्या कर रहा था? अब केजरीवाल का दोषी पाए जाने पर बंगले पर खर्च हुए धन की भरपाई कौन करेगा? चुनाव समाप्त होते ही मामला ठंठे बस्ते में चला जाएगा।  

 

एलजी ऑफिस की ओर से जारी बयान के मुताबिक एलजी वीके सक्सेना के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने मुख्य सचिव को लेटर लिखकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में कथित घोर अनियमितताओं से जुड़े दस्तावेजों और फाइलों को सुरक्षित रखने और प्रोटेक्टिव कस्टडी में लेने का निर्देश दिया है। इन दस्तावेजों और रिकॉर्ड के आधार पर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी विभाग में अधिकारियों और मंत्रियों की भूमिका की जांच करेंगे। इस मामले में जांच की जाएगी कि क्या रेनोवेशन के लिए मंजूरी देने में नियमों की अनदेखी की गई है?

इससे पहले बीजेपी ने केजरीवाल पर सरकारी आवास के रेनोवेशन में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। साथ ही बीजेपी ने कहा था कि उपराज्यपाल की छानबीन से बचने के लिए विभिन्न मदों में किए गए व्यय को 10 करोड़ रुपये से नीचे रखा गया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दिल्ली सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों के अनुसार 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की परियोजना से संबंधित फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी जानी होती है जबकि विभागीय प्रमुख या मंत्री को उससे कम के खर्च को मंजूरी देने का अधिकार है। इसलिए खर्च को 9.99 करोड़ रुपये तक सीमित रखा गया।

केजरीवाल के सरकारी आवास के रेनोवेशन में भ्रष्टाचार से संबंधित खुलासा होने बाद पोस्टर वार भी शुरू हो चुका है। दिल्ली के कई इलाकों में केजरीवाल के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं। जिसमें लिखा गया है-केजरीवाल के घर का रेनोवेशन 45 करोड़ का, घर का इंटीरियर 11 करोड़ का… ये पैसा तो है मेरे टैक्स का…। ये पोस्टर अब सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि बेईमान केजरीवाल के शीश महल की सजावट पर 45 करोड़ खर्च करने के खिलाफ दिल्ली की जनता में भारी आक्रोश है। ना गाड़ी लूंगा, ना बंगला लूंगा, ना सुरक्षा लूंगा, ऑटो में लटक कर चलूंगा की बात करने वालों ने अपनी राजनीति का 8 साल में पैमाना ही बदल दिया।

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