वारंगल के भद्रकाली मंदिर की गोशाला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो साभार: pib.gov.in)
मैंने लाल किले से कहा था ये समय गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर, अपनी विरासत पर गर्व करने का है। आज देश विकास और विरासत दोनों को साथ लेकर चल रहा है। एक ओर भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी में नए रिकॉर्ड बना रहा है तो साथ ही सदियों बाद काशी में विश्वनाथ धाम का दिव्य स्वरुप भी देश के सामने प्रकट हुआ है। आज हम वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहे हैं तो साथ ही केदारनाथ और महाकाल महालोक जैसे तीर्थों की भव्यता के साक्षी भी बन रहे हैं। सदियों बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का हमारा सपना पूरा होने जा रहा है…
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध विदेशी फण्ड पर विपक्ष लामबंध होने का प्रयास कर रहा है, वास्तव में मूल मुद्दों से पदभ्रष्ट हो चुके है। जो नेता और पार्टियां हवा का रुख नहीं पहचान सके, क्या वह राज कर सकते हैं? 2014 चुनाव से पहले कुर्सी के भूखे और मुस्लिम तुष्टिकरण के गुलाम अभी तक अपनी उस गुलामी मानसिकता से बाहर ही नहीं निकल पा रहे। उसका कारण है, कल तक इस्लामिक आतंकवाद को संरक्षण देने वाले 'हिन्दू आतंकवाद', 'भगवा आतंकवाद' का नाम देकर हिन्दू संस्कृति को कलंकित कर रहे थे, हिन्दू तीर्थों को विवादित बना रहे थे, अयोध्या में हुई खुदाई में मिले मंदिर के प्रमाणों को कोर्ट से छुपाने वाले आज किस मुंह से सच्चाई को स्वीकार करें। चुनावों में चुनावी हिन्दू बन जनता को मूर्ख बना रहे हैं। और यही भयंकर भूलें अब इन्हे पाताललोक लेकर जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जुलाई 2023 को गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। भारतीय धर्म ग्रंथों को घर-घर तक पहुँचाने वाले गीता प्रेस लिबरलों को नहीं सुहाता है। कारण आप समझ सकते हैं। लिबरल गैंग का यह दर्द पिछले दिनों तब भी प्रकट हुआ, जब गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गाँधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा हुई।
दरअसल भारत के प्रधानमंत्री का गीता प्रेस जाना, वहाँ के लीला मंदिर में अर्चना करना, भारतीय राजनीति की वह लकीर है जो 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने खींची है। इससे पहले भारत की राजनीति हिंदू, मंदिर, सनातन संस्कृति, भारतीय विरासत की बात करने वाले को ‘सांप्रदायिक’ और टोपी-चादर वाली इफ्तार पार्टियों में शिरकत करने वालों को ‘सेकुलर’ मानने की अभ्यस्त रही है। लेकिन मोदी सरकार का कार्यकाल विकास और गरीब कल्याण की योजनाओं के साथ-साथ सांस्कृति विरासत को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, सांस्कृतिक कूटनीति के जरिए भारतीय विरासत का वैश्विक प्रसार करने, स्वदेशी विचारों को सम्मान और मान्यता देने, चोरी कर विदेश ले गई भारतीय कलाकृतियों को वापस लाने की गाथा का भी कार्यकाल है।
गीता प्रेस के लीला मंदिर और वारंगल के भद्रकाली मंदिर में पूजा अर्चना करते पीएम मोदी (फोटो साभार: pib.gov.in)जिस दिन प्रधानमंत्री गीता प्रेस गए, उसी दिन गोरखपुर से उन्होंने दो वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई। 498 करोड़ रुपए की लागत से गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखी। कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ को 7 हजार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएँ देकर प्रधानमंत्री गोरखपुर आए थे। गोरखपुर के बाद वे वाराणसी गए और वहाँ ₹12,110 करोड़ की 29 परियोजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास किया। PM आवास योजना (ग्रामीण) के तहत लाभुकों को 4.51 लाख आवास सौंपे। अगले दिन वे तेलंगाना के वारंगल में थे। 6100 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। माँ भद्रकाली की पूजा की। यह केवल गोरखपुर, वाराणसी या वारंगल की ही बात नहीं है। मोदी सरकार के पूरे कार्यकाल में विकास और संस्कृति एक साथ देश के हर कोने में इसी तरह गतिमान रही है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री सार्वजनिक मंचों से बार-बार इस बात को दोहराते हैं कि यह समय अपनी विरासत पर गर्व करने का है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद, घर हो या बाहर अपनी सरकार की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की रणनीति के ध्वजवाहक बने हुए हैं। मोटे तौर पर चार तरीकों से इस कार्य को पूर्ण किया जा रहा है।
- भारतीय कला का वैश्विक स्तर पर प्रसार
- चोरी हुई कलाकृतियों की घर वापसी
- संस्कृति का संरक्षण करने वालों को सम्मान
- बजटीय आवंटन में लगातार वृद्धि
- अमेरिका के राष्ट्रपति को भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पेंटिंग गिफ्ट की। इसे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के चित्रकारों ने बनाया था। कांगड़ा की पेंटिंग में श्रृंगार रस और प्राकृतिक प्रेम का चित्रण किया जाता है। इसकी खासियत ये है कि इसे बनाने में सिर्फ प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग किया जाता है।
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को ‘माता नी पछेड़ी’ उपहार के रूप में दिया। यह गुजरात का एक हस्तनिर्मित कपड़ा है। इसमें देवी माँ का चित्र बना होता है। नवरात्रि के समय और अन्य पूजन के दौरान इसे देवी मंदिर में चढ़ाया जाता है।
- इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री को ‘पाटन पटोला दुपट्टा’ (स्कार्फ) गिफ्ट किया। यह स्कार्फ उत्तरी गुजरात के पाटन क्षेत्र में बनाया जाता है। इसमें आगे और पीछे का हिस्सा एक जैसा दिखता है। इसे अलग-अलग पहचानना मुश्किल है।
- गुजरात के छोटा उदयपुर के राठवा कारीगरों द्वारा निर्मित जनजातीय लोक कला का चित्र ‘पिथौरा’ ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को उपहार में दिया गया।
- इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को सूरत का चाँदी का कटोरा और हिमाचल प्रदेश की किन्नौरी शॉल उपहार में दिया।
- स्पेन के प्रधानमंत्री को मंडी और कुल्लू का कनाल ब्रास सेट (वाद्ययंत्र) गिफ्ट किया। यह हिमाचल के आयोजनों में बजाए जाने वाला प्रमुख बाजा है, जिसका उपयोग अब सजावट के सामान के तौर पर किया जाने लगा है।
PM @narendramodi, a global ambassador of Indian heritage, presents the world leaders with the finest treasures of our cultural legacy.#VikasBhiVirasatBhi#IndianCulture#CulturalDiplomacy pic.twitter.com/OgQhLaIcu5
— MyGovIndia (@mygovindia) July 6, 2023
A remarkable feat in preserving India's heritage!
— MyGovIndia (@mygovindia) July 6, 2023
Since 2014, over 238 stolen artifacts have been successfully retrieved, a significant increase from a mere 13 before that.#VikasBhiVirasatBhi#IndianCulture#CulturalDiplomacy pic.twitter.com/jYiR4LE3C3
Boosting Indian culture to new heights!
— MyGovIndia (@mygovindia) July 6, 2023
Under the leadership of PM @narendramodi, the Government has significantly increased budgetary support to uplift and promote Indian culture.#VikasBhiVirasatBhi#IndianCulture#CulturalDiplomacy pic.twitter.com/Vj7ewFueZn
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