पश्चिम बंगाल : पंचायत चुनाव से पहले हिंसा का तांडव, ममता सरकार में कानून व्यवस्था ठप, हिंदुओं को धमकाया जा रहा

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में अब सिर्फ चंद दिन रह गए हैं। पिछले महीने चुनाव की घोषणा के बाद से शुरू हुई हिंसा अब तांडव का रूप लेता जा रहा है। राज्य में करीब एक महीने से जारी हिंसा में कम से कम 14 लोगों की मौत हो चुकी है और अनगिनत घायल हुए हैं। इसमें अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार से लेकर उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। ममता सरकार में कानून को ताक पर रख दिया गया है और एक खास वर्ग को हिंसा की खुली छूट दे दी गई है। हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है और खास पार्टी को वोट देने के लिए दबाव डाला जा रहा है। हिंसा के इस तांडव को देखते हुए ही कलकत्ता हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती करने का आदेश दिया था। लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधी हो चुकी ममता सरकार को यह नहीं पचा और उसने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहां भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग 8 जुलाई को होनी है और 11 जुलाई को नतीजे आएंगे।

चुनावों में ही चोट 

ममता सहानुभूति के आधार के पर वोट लेकर शेरनी बन घूमती है यानि हार को देख, ममता चोटिल होने का ड्रामा खेल जनता को पागल बना वोट बटोर लेती है। विधान सभा चुनावों में पैर चोटिल और पंचायत चुनावों में फिर चोटिल, वो भी हेलीकाप्टर से घूमते। और लंगड़ाते हुए प्रचार करते देखा जा रहा है, ताकि जनता रहम खाकर इनकी पार्टी को वोट करे। अब सवाल यह है कि विधान सभा चुनावों से लेकर अब पंचायत चुनावों में चोटिल होकर वोट के लिए घूमने ने चोट पर प्रश्न करना शुरू कर दिया है कि चुनावों में ही चोट क्यों लग जाती है, और मतदान होते ही चोट ठीक हो जाती है? ये ऐसी कौन-सी चोट है जो चुनाव में लगती है और मतदान होते ही गायब?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- हिंसा के माहौल में चुनाव नहीं कराया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि हाईकोर्ट ने ये आदेश इसलिए दिया क्योंकि 2013 और 2018 के चुनाव में हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। हिंसा के माहौल में चुनाव नहीं कराया जा सकता। चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए। अगर लोगों को इस बात की भी आजादी नहीं है कि वो नामंकन पत्र दाखिल कर पाएं, उनकी हत्या हो रही है तो फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात का सवाल ही नहीं उठता। कोर्ट ने कहा कि खुद आपकी जानकारी के अनुसार भी आपके पास पुलिस फोर्स की कमी है और आप अन्य राज्यों से पुलिस फोर्स मंगाने की बात कर रहे हैं। इसी वजह से हाईकोर्ट ने अन्य राज्यों से पुलिस मंगाने की जगह केंद्रीय अर्धसैनिक बल की तैनाती की बात कही। इस पर पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि ऐसा नहीं है, हमने पुलिस फोर्स का इंतजाम कर लिया है। इससे भी ममता सरकार की नीयत का पता चलता है कि वे दूसरे राज्य से फोर्स मंगाना चाहते हैं लेकिन केंद्रीय बल नहीं लेना चाहते।

बांकुरा में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने चार बीजेपी कार्यकर्ताओं को घायल किया
इसी तरह 3 जुलाई को बांकुरा में भी राजनीतिक झड़प हुई। बीजेपी ने आरोप लगाया कि टीएमसी कार्यकर्ताओं के हमले में उसके चार कार्यकर्ता घायल हुए हैं। उन पर टीएमसी के झंडे को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाकर हमला किया। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर खानापूरी कर दी।

हिन्दुओं को प्रताड़ित किए जाने पर कोई और नहीं हिन्दू ही जिम्मेदार हैं, क्योकि जब से बंगाल में ममता सरकार आयी, हिन्दुओं पर प्रहार बढ़े हैं, और जब तक हिन्दू प्रताड़ित करने वाली पार्टियों को वोट देता रहेगा, उस पर अत्याचार होता रहेगा।  

बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर हिंसा की टीएमसी नेताओं की करतूतों पर एक नजर-

पुरुलिया में बीजेपी नेता का शव मिला
पुरुलिया के बोडो इलाके में 3 जुलाई को पुलिस ने बीजेपी नेता बंकिम हांसदा का शव बरामद किया। वो बीजेपी बूथ कमिटी का अध्यक्ष था। इस घटना के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि टीएमसी ने राज्य में जंगल राज स्थापित कर दिया है। जनजातीय और अनुसूचित जाति-जनजाति समुदाय के लोगों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुबेंदु अधिकारी ने इस घटना में CBI जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि हांसदा चुनाव प्रचार के लिए घर से निकले थे लेकिन ये साफ है कि “TMC के गुंडों” ने उनकी हत्या कर दी।

भाजपा उम्मीदवार सुवंकर महतो के साथ दुर्व्यवहार और पिटाई
झाड़ग्राम जिला जिला परिषद की सीट नंबर 11 से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुवंकर महतो के साथ सांकराइल पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी (ओसी) खंडकर सैफुद्दीन अहमद ने बिना किसी कारण के दुर्व्यवहार किया और पिटाई की। इससे ममता सरकार की मंशा को समझा जा सकता है। वह भाजपा के नेताओं के साथ ही समर्थकों में दहशत कायम करना चाहती है।

नामांकन दाखिल करने वाले बीजेपी उम्मीदवारों पर हमला
ममता सरकार में जंगल राज का यह एक नमूना है कि भाजपा उम्मीदवारों को शांति से नामांकन भी दाखिल नहीं करने दिया गया। उन्होंने जान को जोखिम में डालकर नामांकन दाखिल किया। और जिन्होंने नामांकन दाखिल किया, उन पर जानलेवा हमला किया गया और तरह-तरह से परेशान किया जाता रहा। यहां तक कि उन्हें धमकी दी गई कि हट जाओ, नहीं तो अंजाम बुरा होगा।

पंचायत चुनाव कवर कर रहे पत्रकारों पर भी हमला
ममता सरकार में कानून व्यवस्था इतना गिर चुका है कि जो पत्रकार पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को कवर कर रहे हैं, उन्हें भी टीएमसी के गुंडों और असामाजिक तत्वों के कोप का भाजन बनना पड़ रहा है। सच्चाई बताने पर उन्हें धमकी दी गई, अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया और यहां तक ​​कि उन पर हमला भी किया गया।

पश्चिम बंगाल में अब इस्लामिक पार्टी का उभार, हिंदुओं को धमकाया जा रहा
ममता सरकार में मुस्लिम तुष्टिकरण का नतीजा अब सामने आ रहा है। पश्चिम बंगाल में अब मुस्लिम लीग की तरह इस्लामिक पार्टी भी बन गई है। इस्लामिक पार्टी ‘इंडियन सेक्युलर फ्रंट’ (आईएसएफ) और कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई (एम) के कार्यकर्ता एक हिंदू परिवार को वोट देने के लिए धमका रहे हैं। वीडियो पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के ग्रामीण इलाके का बताया जा रहा है!

पुलिसकर्मियों की औकातः टीएमसी नेता के लिए पुलिसकर्मी छाते लिए खड़ा रहा
पश्चिम बर्धमान जिले के कांकसा ब्लॉक के एक टीएमसी ट्रेड यूनियन नेता प्रवत चटर्जी एक मंच पर भाषण दे रहे हैं। वहां बारिश हो रही है और उनके लिए छाता लेकर कोई पार्टी कार्यकर्ता नहीं खड़ा है बल्कि एक पुलिसकर्मी खड़ा है। इससे समझा जा सकता है कि ममता सरकार में पुलिसकर्मियों की क्या औकात रह गई है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है।

मुस्लिम लीग की राह पर ममता बनर्जी, डायरेक्ट एक्शन डे के दिन खेला होबे दिवस
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 16 अगस्त, 2021 को खेला होबे दिवस मनाने का ऐलान किया था। उस वक्त तारीख को लेकर तमाम लोगोंने सवाल उठाए थे कि क्या ममता बनर्जी मुस्लिम लीग की राह पर चल रही हैं? क्या पश्चिम बंगाल में चार-चार पाकिस्तान की बात करने वाले भी इस ‘खेला होबे’ का हिस्सा हैं? जिस तरह मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त, 1946 को डायरेक्ट एक्शन डे की शुरुआत कर पूरे देश को अराजकता और सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंक दिया, हिंदुओं का नरसंहार किया गया, क्या ममता बनर्जी ठीक उसी तरह चुनाव नतीजे आने के बाद जारी राजनीतिक हिंसा को पूरे देश में फैलाना चाहती हैं?

राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि 16 अगस्त को ममता बनर्जी ने खेला होबे दिवस घोषित किया है। यह वही दिन है जब मुस्लिम लीग ने अपना प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस की शुरुआत की थी और 1946 में कलकत्ता में भीषण हत्याकांड हुआ था। आज पश्चिम बंगाल में खेला होबे विरोधियों पर आक्रमक हमलों की लहर का प्रतीक बन गया है।

भवानीपुर उपचुनाव के दौरान मुस्लिम तुष्टिकरण में ममता पहुंची मस्जिद
पश्चिम बंगाल में भवानीपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की प्रक्रिया 2021 में शुरू हुई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस सीट से टीएमसी के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल भी शुरू कर दिया। टीएमसी प्रत्याशी ममता बनर्जी 13 सितंबर, 2021 को अचानक क्षेत्र की सोला आना मस्जिद पहुंच गईं। उनके साथ उनके कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम भी थे।

बंगाल में ओबीसी लिस्ट में बड़ी गड़बड़ी! 179 ओबीसी समूहों में से 118 मुस्लिम समुदाय के
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के नाम पर बड़े घोटाले को अंजाम दिया। वोट बैंक के लिए बांग्लादेशी मुसलमानों और रोहिंग्याओं को पश्चिम बंगाल में बसाने के साथ ही अब उन्होंने आरक्षण के नाम पर पिछड़ी जाति को इस्लाम में धर्मांतरित करने का घिनौना काम किया है। दरअसल पिछड़ा वर्ग आयोग ने 25 फरवरी 2023 को बंगाल के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। समीक्षा और जांच के दौरान आयोग को पता चला कि बंगाल में कुल 179 जातियां ओबीसी में हैं। 179 ओबीसी जातियों की पूरी सूची जब केंद्रीय ओबीसी आयोग ने देखा तो पता चला कि सूबे में कुल 118 जातियां मुस्लिम ओबीसी से हैं जबकि लिस्ट में हिंदू ओबीसी की संख्या महज 61 है।


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