आपस में लड़ रही सिद्धरमैया और MK स्टालिन की सरकार, मोदी सरकार से कह रहे - समझौता कराओ
मोदी सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए विपक्ष ने I.N.D.I. गठबंधन तो बना लिया है, लेकिन गठबंधन की पार्टियों के बीच एकता नजर नहीं आ रही। ताजा मामला कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद का है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सत्ता में है। लेकिन इसके बाद भी केंद्र से झगड़ा सुलझाने की अपील की जा रही है। जहाँ कर्नाटक में कांग्रेस अकेले बहुमत में है, वहीं तमिलनाडु में वो अपने I.N.D.I. गठबंधन की सहयोगी DMK के साथ सत्ता में साझीदार है।
कावेरी जल विवाद को विस्तार से समझने से पहले इतना जान लीजिए कि दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी के पानी के बँटवारे को लेकर विवाद मचा हुआ है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार है। वहीं तमिलनाडु में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन सत्ता में है। कावेरी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार (16 सितंबर, 2023) को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को एक पत्र लिखा है।
इस पत्र में स्टालिन ने कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि कर्नाटक सरकार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि कावेरी डेल्टा में पर्याप्त पानी है और तमिलनाडु में मानसून से पर्याप्त वर्षा होगी। इसलिए तमिलनाडु की माँग सही नहीं है, उसने अपना सिंचाई क्षेत्र बढ़ाया है। बकौल एमके स्टालिन, यह सब बातें पूरी आधारहीन हैं। कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट ‘झूठी’ थी।
वहीं एक अन्य बयान में तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने कहा कि जल विवाद को लेकर राज्य की सभी पार्टियों के सांसद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को एक ज्ञापन सौंपेंगे। इसके लिए राज्य से एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाएगा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि इस ज्ञापन के जरिए केंद्र से आग्रह किया जाएगा कि वह कर्नाटक राज्य को तमिलनाडु के लिए कावेरी नदी का पानी छोड़ने की सलाह दें। स्टालिन ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी के पानी आनुपातिक बँटवारे को लेकर फैसला दिया था, लेकिन कर्नाटक उस फैसले का पालन नहीं कर रहा है। तमिलनाडु को 14 सितंबर तक कर्नाटक से 103.5 TMCFT पानी मिलना चाहिए था। स्टालिन का दावा है कि तमिलनाडु को केवल 38.4 TMCFT पानी मिला। इससे 65.1 TMCFT पानी की कमी हो गई है।
इससे पहले कर्नाटक सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी नहीं देने का निर्णय लिया गया था। उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु ने कावेरी जल बँटवारे पर कर्नाटक के साथ बातचीत से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु का कहना है कि कई बार बातचीत असफल होने के बाद ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के सुझाव में मामूली सुधार के साथ अपना फैसला सुनाया था। इस फैसले के हिसाब से जहाँ एक तमिलनाडु चाहता है कि कर्नाटक उसे हर महीने पानी दे। वहीं कर्नाटक का कहना है कि वह अपने लोगों और किसानों की जरूरतों को पूरा करने के बाद ही पानी छोड़ सकता है।

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