सुप्रीम कोर्ट ने कामाख्या मंदिर में मौजूदा व्यवस्था जारी रखने की इजाजत दी (साभार: सीएम सरमा/Kamakhya Temple गुवाहाटी फेसबुक अकाउंट)
असम के कामाख्या मंदिर में दान को लेकर दिए गए गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। साल 2017 में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस मंदिर में भक्तों से प्राप्त दान को डिप्टी कमिश्नर को देने और दान की राशि के लिए अलग खाता खोलने का निर्देश दिया था। इस फैसले से मंदिर के विकास कार्यों की देखरेख मंदिर के मुख्य पुजारी, जिसे डोलोई कहा जाता है, के हाथों से प्रशासन के हाथ में आ गई थी।
इसके बाद पुजारी समाज ने गुवाहटी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने 10 नवंबर 2023 के आदेश में कहा कि कामाख्या मंदिर के प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था पर गुवाहाटी HC का आदेश लागू नहीं होगा। इस मामले में असम सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी रखी थी।
अपने हलफनामे में असम सरकार ने कहा, “डोलोई (पुजारी समाज) स्थानीय प्रशासन के साथ गहरे तालमेल के साथ मंदिर प्रशासन के मामलों को संतोषजनक ढंग देख रहा है और ये व्यवस्था जारी रह सकती है।” असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री डिवाइन योजना के तहत माँ कामाख्या मंदिर के विकास के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया।
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने साल 2015 में डिप्टी कमिश्नर को मंदिर में जनता और भक्तों से मिले दान को लेने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही इस तरह के दान के लिए अलग बैंक खाता खोलकर इस पैसे को मंदिर के विकास के कामों में खर्च करने के लिए कहा था। बाद में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दाखिल की गई।
इसके बाद मंदिर के पुजारियों ने एक समीक्षा याचिका दाखिल की और कहा कि मंदिर के प्रशासन और धार्मिक गतिविधियों पर उसका अधिकार है। इसके बाद साल 2017 में गुवाहटी हाईकोर्ट ने उस समीक्षा याचिका का निस्तारण कर दिया। उस निस्तारण याचिका के फैसले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा था श्रद्धालुओं से प्राप्त दान केवल मंदिर की विकास के लिए होगा, न कि सामान्य चढ़ावे के लिए।
पुजारी समाज हाईकोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हुआ और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से भी राय माँगी। सुप्रीम कोर्ट में 3 सितंबर 2023 को दायर अपने हलफनामे में असम सरकार ने बताया कि माँ कामाख्या कॉरिडोर से संबंधित मामलों पर चर्चा के लिए असम के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 13 अगस्त 2023 को एक बैठक हुई थी। इसके बाद असम सरकार ने 8 नवंबर 2023 को एक और हलफनामा दायर किया था।
दरअसल, माँ कामख्या देवी के मुख्य मंदिर के पुजारियों के परिवार को बोर्डेउरिस और सहायक मंदिरों के पुजारियों के परिवारों को देउरिस कहा जाता है। ये नौ सहायक मंदिर उसी नीलांचल पहाड़ी पर स्थित हैं, जहाँ माँ कामाख्या का मंदिर है। कामाख्या मंदिर के मुख्य पुजारी को डोलोई कहा जाता है। डोलोई का चुनाव बोर्डेउरी और देउरिस द्वारा किया जाता है। साल 2021 में हुए चुनाव के बाद से कबींद्र प्रसाद सरमा कामाख्या देवी मंदिर के मुख्य पुजारी (डोलोई) हैं।
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