कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया (तस्वीर साभार: newsd.in)
चुनावों में मिलती पटखनी से कांग्रेस कुछ सीखने का प्रयास नहीं कर रही। राहुल गाँधी 'मोहब्बत की दुकान' खोलने का ढोल पीट रहे हैं, लेकिन उस मोहब्बत की दुकान पर बिकवा रहे हैं नफरत का सामान। सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक सरकार के इस रवैये से निवेशक कर्नाटक से बाहर जाने की योजना बनाने लगे हैं। और यही स्थिति सुनने में आ रहा है कि तेलंगाना में भी शुरू होने को है। वैसे अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन एक समस्या जरूर खड़ी हो गयी है कि 'सरकार के सांचे में ढलें या राज्य से बाहर जाएं, जहाँ उनके संस्थान एवं कर्मचारियों का जीवन सुरक्षित रहे।
कर्नाटक में कन्नड़ भाषा के लिए हुड़दंग करने वाले प्रदर्शनकारियों की माँग मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मान ली है। उन्होंने कहा है कि राज्य भर में बिजनेस करने वालों को अपने साइनबोर्ड पर 60 परसेंट जगह कन्नड़ भाषा को देनी होगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जल्द ही विधेयक लाने वाले हैं।
इससे पहले इस मुद्दे पर बेंगलुरु महानगर पालिके ने आदेश जारी किया था कि जिन बोर्ड्स पर 60 फीसदी कर्नाटक को जगह नहीं दी गई होगी उन्हें कैंसिल कर दिया जाएगा। उन्होंने इस काम के लिए फरवरी 2024 तक का समय दिया। लेकिन, इसी बीच कई कन्नड़ समर्थक अभियान चलाकर उन लोगों के खिलाफ आवाज उठाने लगे जो बिन कन्नड़ भाषा वाला साइन बोर्ड दुकान पर लगाकर बैठे थे। इस दौरान कई जगह तोड़फोड़ भी हुई।
#WATCH | Bengaluru: Kannada Raksha Vedhike holds a protest demanding all businesses and enterprises in Karnataka to put nameplates in Kannada. pic.twitter.com/ZMX5s9iJd0
— ANI (@ANI) December 27, 2023
Sad and sorry state of a state known for IT, international business offices and tech-heads of the country... yes, you can protest and 'demand' things as per your whims. There's a way, my friends. And this is certainly not one of the possible ways. Create panic and investors might…
— Alok Mishra (@PoetAlok_Mishra) December 27, 2023
ऐसे में बेंगलुरु पुलिस ने सड़क पर उतरे ‘कर्नाटक रक्षाणा वेदिके’ के 15 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाला। हालाँकि बाद में वो बेल पर रिहा हो गए और जेल से बाहर आते ही उनका स्वागत किसी हीरो की तरह फूल माला से किया गया। उन्होंने कहा कि चाहे 100 मामले दर्ज करवा दो लेकिन वो पीछे नहीं हटेंगे।
वहीं सीएम सिद्धारमैया ने ये सब देख कहा था कि वो किसी के प्रदर्शन करने से बिलकुल नाराज नहीं हैं। लेकिन अगर किसी ने कानून अपने हाथ में लिया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
https://www.indiatoday.in/india/karnataka/story/karnataka-government-siddaramaiah-directs-shops-signboards-60-percent-kannada-feb-end-after-rampage-2481571-2023-12-28?utm_source=directhp&utm_medium=clicktopstories&utm_campaign=hptopstories
इस पर कर्नाटक रक्षाणा वेदिका के अध्यक्ष टीएन नारायण गौड़ा ने कहा कि वो लोग जेल जाने से नहीं डरते हैं। लाठी-डंडा भी झेल लेंगे। उन्होंने कहा, “पुलिस का इस्तेमाल कन्नड़ कार्यकतर्ताओं को रोकने के लिए किया जा रहा है। यही लोग तुम्हें लोकसभा चुनाव में पाठ पढ़ाएँगे।”
कर्नाटक में साइनबोर्ड पर कन्नड़ भाषा न दिखने के कारण प्रदर्शन हो रहा था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अलग अलग राज्य के लोग आकर बेंगलुरु में बिजनेस कर रहे हैं लेकिन अपनी दुकान पर उन्होंने नेमप्लेट पर कन्नड़ भाषा को जगह नहीं दी है। वहाँ बस अंग्रेजी लिखी है। समूह ने कहा था अगर बेंगलुरु में रहना है तो कन्नड़ भाषा को सम्मान देना होगा।
अवलोकन करें:-
समूह की इस माँग को भाजपा नेताओं ने भी समर्थन दिया। सांसद प्रहलाद जोशी ने प्रदर्शनकारियों का साथ देते हुए कहा कि- हर कोई साइनबोर्ड पढ़ने में समर्थ होना चाहिए और हर किसी को अंग्रेजी पढ़नी आनी चाहिए। आखिर समस्या क्या है साइनबोर्ड में कन्नड़ पर लिखने में… जैसे अंग्रेजी में लिखते हो वैसे ही दूसरी भाषा में लिखना है जैसे हिंदू। ये कोई इंगलैंड तो है नहीं।
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