सुभाष चन्द्र
पिछली इंडी भिंडी तरकारी गठबंधन की मीटिंग के बाद यह हर कोई जानता है नीतीश और लालू यादव दोनों उखड़े हुए थे। लालू तो अपने लाल को मुख्यमंत्री बनाने की चाहत में जुगत लगा रहा है नीतीश के खिलाफ लेकिन नीतीश को “ठगबंधन” का संयोजक न बनाने की वजह से लगा कि उसका तो वजूद ही खत्म हो गया और तुरंत इसलिए जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला ली।
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नीतीश ने वो मीटिंग तब बुलाई जब कांग्रेस को “ठगबंधन” के सदस्यों ने 31 दिसंबर तक सीटों के बटवारे पर फैसला करने का Ultimatum दे दिया। और तभी से चर्चा बाजार में गरम हो गई कि नीतीश कुमार पलटी मारेगा मोदी के NDA में आने के लिए। इसके लिए पहले खबर plant की गई कि ललन सिंह लालू के लाल के लिए बैटिंग कर रहा है और उसे बाहर किया जाएगा। लेकिन के सी त्यागी ने जोर लगा कर कह दिया कि कुछ नहीं हुआ जी, ललन सिंह सलामत है
जो होता है वो दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं।
नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर भाजपा ने चुनाव लड़ा था और भाजपा की 75 सीट के मुकाबले जदयू की 45 सीट होने पर भी उसे मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन यह बात नीतीश को हजम नहीं हुई जो भाजपा को छोड़ कर उसे “पल्टूराम” कहने वाले लालू परिवार के साथ चला गया।
दूसरी तरफ महाराष्ट्र में उद्धव के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं था लेकिन फिर भी वो भाजपा से आधी सीट होते हुए भी मुख्यमंत्री बनने की जिद पर अड़ा रहा और यह अभिलाषा उसकी शरद पवार की NCP और कांग्रेस ने पूरी कर दी। मोदी शाह चुपचाप तमाशा देखते रहे कि कैसे उद्धव न घर का रहेगा और न घाट का, मुख्यमंत्री होते हुए भी remote control शरद पवार ने हाथ में रखा। क्या नतीजा हुआ, उद्धव का घर ही उजड़ गया, पूरी शिवसेना ही लूट ले गया एकनाथ शिंदे मोदी शाह के आशीर्वाद से।
अब यही उद्धव जैसा हाल बिहार में नीतीश कुमार का होना है। अमित शाह के हाथ में हैंडल है और मोदी शाह दोनों गुजराती अपमान और धोखे को नहीं भूलते। जल्दबाजी नहीं करते, ठंडी करके खाते हैं दोनों और समय पर चोट मारते हैं। जदयू के लोकसभा के 17 सांसद नरेंद्र मोदी के करिश्मे की वजह से जीत कर आए लेकिन नीतीश कुमार ने कोई ऐसा काम नहीं था भाजपा के साथ रहते हुए भी जिसके लिए उसने भाजपा का संसद में समर्थन किया हो चाहे वह फिर 370 हो या ट्रिपल तलाक हो।
जदयू के वो 17 सांसद जानते हैं कि इंडी भिंडी ठगबंधन में रह कर पहली बात तो उन्हें टिकट ही नहीं मिलेगा और जिन्हें मिलेगा, वो जीत नहीं सकते। जीत की गारंटी मोदी दे सकता है। शायद यही कारण है कि नीतीश के भाजपा से अलग होने पर भी राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह नरेंद्र मोदी के साथ ही जुड़े हुए हैं।
अभी नीतीश कुमार देख रहा है कि इंडी भिंडी ठगबंधन उसे कितनी घास डालता है। हो सकता है कांग्रेस नीतीश को भाजपा के साथ जाने से रोकने के लिए “ठगबंधन” का संयोजक बना कर लॉलीपॉप दे दे लेकिन वह केवल नाम के लिए होगा जिसके पास कोई अधिकार नहीं होंगे क्योंकि remote control किसी और के हाथ में होगा।
एक बात जो I,N.D.I.A. गठबंधन में सम्मिलित सभी पार्टियां जानती है कि गाँधी परिवार को कोई सदस्य कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता, फिर भी पदभ्रष्ट और आधारहीन पार्टियां कांग्रेस के चक्कर में पड़ी हुई हैं, इसलिए परिवार remote control अपने हाथ में रखना चाहता है। जिसका उदाहरण प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के बाद वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष खड़के हैं, जिनमें परिवार की इजाजत के बिना कोई फैसला लेने की क्षमता नहीं।
Ahoms defended assam by defeating mughals 17 times
— Desi Thug (@desi_thug1) November 6, 2023
That's exactly why ahoms are not in our history books pic.twitter.com/pp9asmcsan
कांग्रेस का इतिहास रहा है कि कभी इसने किसी के दबाव में काम नहीं किया विपरीत इसके दूसरे को अपने इशारे पर नचाती है। स्मरण करें, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में अयोध्या मुद्दे पर कोर्ट तारीख आने से पूर्व शेखर ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को घर बुलाकर आने वाली तारीख पर निर्णय देने को बोला था और जब जैसे ही राजीव गाँधी, जिसके समर्थन से केंद्र सरकार चल रही थी, को खबर लगी, तुरंत अपना समर्थन लेकर उस साहसिक प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार गिरा दी थी। चंद्रशेखर भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जो लाल किला पर झंडा नहीं फहरा सके।
उधर भाजपा से नीतीश कुमार की सौदेबाजी चल रही होगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अबकी बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो नहीं रहेगा। वो पिछले चुनाव में घोषणा कर चुका है कि वह उसका अंतिम चुनाव था लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी की तो बात ही कुछ और होती है न जिसके लिए वह कुछ भी कर सकता है।
बिहार भाजपा के कद्दावर नेताओं का मत यही है कि अबकी बार नीतीश कुमार को वापस नहीं लेना चाहिए। नीतीश कुमार अकेले में चुनाव की बाजी पलटने का दम होता तो बिहार का वर्तमान गठबंधन ऐसे उसे दरकिनार करके न चलता।
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