कभी देश में नार्थ-साउथ की बात तो कभी हिंदी भाषी राज्यों को गौमूत्र स्टेट करार दिया जाता है यानि कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल का ‘बांटो और राज करो’ एजेंडा चालू है। अब कपिल सिब्बल एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्होंने असम को म्यांमार का हिस्सा बता दिया है। जो इनकी योग्यता पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है। कांग्रेस में तीन दशक गुजारने वाले कपिल सिब्बल कांग्रेस की ‘बांटो और राज करो’ नीति को ही आगे बढ़ा रहे हैं। पार्टी में भाव नहीं मिलने पर हालांकि उन्होंने खुद को कांग्रेस से अलग होने की घोषणा तो कर दी लेकिन उनके कृत्य बताते हैं कि वे कांग्रेस और इंडी अलायंस के देश विरोधी नैरेटिव को आगे बढ़ाने में सबसे आगे हैं। कभी कश्मीर में जनमत संग्रह की बात करना, कभी कश्मीर में 370 खत्म करने के विरोध में खड़े होना, कभी राम मंदिर मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पैरवी करना, कभी तीन तलाक पर सरकार के खिलाफ पैरवी करना, कभी कर्नाटक के हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करना, कभी CAA-NRC मामले में सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उतरना और देशद्रोह मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार के खिलाफ खड़े होना, कपिल सिब्बल को समझने के लिए उनके द्वारा लड़े गए केसों की ये कुछ बानगी हैं। सिब्बल देश के जाने-माने वकील हैं और हर सुनवाई के लिए लाखों रुपये लेते हैं। सवाल यह उठता है देश विरोधी बातें करने और सरकार के हर फैसले का विरोध करने के लिए इतना पैसा उनको देता कौन है?
पूर्वोत्तर को भारत से अलग दिखाना लेफ्ट लिबरल साजिश का हिस्सा
दरअसल कपिल सिब्बल ने उसी लेफ्ट लिबरल की सोच को रखा जो पूर्वोत्तर को भारत से एक अलग हिस्से के रूप में देखता है। इनका मकसद ही नार्थ-ईस्ट को अलग-थलग दिखाना है। कांग्रेस पार्टी की भी यही सोच रही है जिसकी वजह से उसने आजादी के बाद से पूर्वोत्तर भारत को उपेक्षित छोड़ दिया। जबकि वास्तविक सच्चाई यह है कि महाभारत के समय से और बल्कि उससे पहले से असम भारत का अभिन्न अंग रहा है। और अब नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद पूर्वोत्तर को अपना पुराना गौरव मिलना शुरू हुआ है एवं वहां विकास नई बयार बह रही है।
कपिल सिब्बल ने कहा- असम म्यांमार का हिस्सा था
नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा,’पलायन को रोका नहीं जा सकता। अगर आप असम के इतिहास को देखें तो आपको समझ आएगा कि कौन कब आया, इसका पता लगाना असंभव है। असम असल में म्यांमार का हिस्सा था। साल 1824 में जब ब्रिटिश ने लड़ाई जीती तो संधि के तहत असम पर ब्रिटिश शासन का राज हो गया था।’ यह विवाद ऐसे समय सामने आया है, जब मणिपुर में अवैध प्रवासियों का मुद्दा हिंसा का कारण बन रहा है। मणिपुर में कुकी और मैतई जनजातियों के बीच जातीय हिंसा चल रही है। कुकी जनजाति को माना जाता है कि वह म्यांमार से पलायन करके मणिपुर आए हैं। कुकी जनजाति मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग कर रही हैं। कुकी जनजाति मिजोरम में बहुमत में हैं। मणिपुर में हिंसा के बाद भी बड़ी संख्या में कुकी जनजाति को लोग पलायन करके मिजोरम पहुंचे हैं।
Congress leader and lawyer Kapil Sibal in his attempt to justify illegal immigration of Rohingyas and Bangladeshis to India, in SC goes on to the extent to claim "Assam was originally a part of Myanmar" pic.twitter.com/IpYcEm3FS7
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) December 8, 2023
असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं थाः हिमंत बिस्व सरमा
कपिल सिब्बल के बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने पलटवार किया है। असम सीएम ने कहा कि ‘जिन्हें असम के इतिहास की जानकारी नहीं है उन्हें नहीं बोलना चाहिए। असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था। दोनों के बीच लड़ाईयां हुईं और यही इनके बीच रिश्ता था। इसके अलावा मैंने ऐसा कोई डाटा नहीं देखा, जिसमें बताया गया हो कि असम, म्यांमार का हिस्सा था।’
Assam CM Himanta Biswa Sarma makes it extremely clear to Kapil Sibal that Assam was never part of Myanmar.
— News Arena India (@NewsArenaIndia) December 9, 2023
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देखिए कपिल सिब्बल ने किस तरह देश विरोधी मुकदमों में हिस्सा लिया और भ्रष्टाचार के आरोपी का बचाव किया।
कश्मीर में 370 हटाने के लिए जनमत संग्रह होः कपिल सिब्बल
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी और इस पर सुनवाई के दौरान 08 अगस्त 2023 को कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन की तरफ से कोर्ट में दलीलें दीं। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार को आर्टिकल 370 को हटाने से पहले जनता से राय लेनी चाहिए थी, क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं। सारे फैसले जनता के द्वारा होने चाहिए। कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से अलग होने वाले कानून को बनाने और किसी फैसले पर पहुंचने से पहले जनमत संग्रह कराया था, जिसे ब्रेक्जिट कहा जाता है। सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मिस्टर सिब्बल आप हिंदुस्तान में रहते हैं, जिसका एक संविधान है। उस संविधान के मुताबिक, जनमत संग्रह यानि कि रेफरेंडम जैसी कोई बात लिखी ही नहीं है।”
संसद की तमाम खबरों के बीच देश के लिए एक खतरनाक ख़बर भी आई थी जिसे हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया। INDIA की एक बड़े नेता ने सुप्रीम कोर्ट में पकिस्तान की वकालत की है। कपिल सिब्बल ने अदालत से जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग की है, सालों पहले प्रशांत भूषण ने भी की थी। pic.twitter.com/81QQ11XssB
— Dr. Kaushal K.Mishra (@drkaushalk) August 9, 2023
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में केस लड़ा
सिब्बल ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में भी मुस्लिम पक्ष का केस लड़ा था। सिब्बल ने ही सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मामले की सुनवाई 2019 तक टाल दी जाए। उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए यह दलील दी थी। लेकिन सिब्बल की दलीलें काम नहीं आई थीं। इसे लेकर भाजपा आज भी सिब्बल और कांग्रेस को निशाने पर लेती रही है।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज से सुनवाई शुरू कर दी है। सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने गुजारिश की है कि मामले की सुनवाई 2019 के चुनाव के बाद होनी चाहिए क्योंकि इस मामले पर राजनीति हो सकती है।#Ayodhya #Ramjanmabhoomi #LokmatNewsHindi pic.twitter.com/RpsGfSTReE
— लोकमत हिन्दी (@LokmatNewsHindi) December 5, 2017
देशद्रोह मामले में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी
देशद्रोह मामले में कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता की तरफ से केस लड़ा था। इस मामले में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा था। मेहता की ओर से मामले को कुछ दिनों तक आगे बढ़ाने की मांग हुई जिसका सिब्बल ने सख्त विरोध किया था। सिब्बल ने अदालत से कहा था कि सरकार की मांग पर मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, न्यायपालिका को इस कानून की संवैधानिकता को जांचना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा कानून की पूरी पड़ताल किए जाने तक इस पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
5. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसका विरोध जताया. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, पूरे भारत में देशद्रोह के 800 से अधिक मामले दर्ज हैं. 13,000 लोग जेल में हैं.
— Ravi Dabra (روی) (@Ravisre07) May 11, 2022
सीएए-एनआरसी मामले में केस लड़ा
कपिल सिब्बल ने सीएए-एनआरसी मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा था। सीएए के खिलाफ 18 दिसंबर 2019 को वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल, इंदिरा जयसिंह, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद सहित कुछ अन्य वकीलों ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलीलें रखी थीं। इन्होंने तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत से मामले की सुनवाई होने तक इस कानून पर रोक लगाने की मांग की थी। सिब्बल ने दलील दी थी कि अदालत एक अंतरिम आदेश पारित करके सीएए कानून लागू किए जाने को कुछ महीने के लिए टाल दे। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया था।
कपिल सिब्बल ने सीएए-एनआरसी पर कहा कि यह सभी पुरानी बातें हैं। कोरोना के बाद एक नया दौर शुरू हुआ है।https://t.co/FihYDSQYgP
— Hindustan (@Live_Hindustan) April 25, 2020
धर्मसंसद हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट में दी दलीलें
हिमाचल प्रदेश में हुई धर्मसंसद हेट स्पीच मामले में भी कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की थी। सिब्बल ने कहा था कि ऐसी धर्मसंसद अब हर जगह हो रही है। यह हिमाचल के ऊना में हुई है और यहां जो कुछ कहा गया उसे सबके बीच पढ़ा नहीं जा सकता। इस पर बेंच ने हिमाचल सरकार को जरूरी कदम उठाने और हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
धर्मसंसद में हेट स्पीच! सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, कपिल सिब्बल ने उठाया था मुद्दा
— SPN News INDIA (@spnnewsindia) January 10, 2022
हरिद्वार पुलिस ने इस मामले में वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य के खिलाफ मामला भी दर्ज किया था.@haridwarpolice @KapilSibal #SupremeCourt pic.twitter.com/gnKFRKCSTz
तीन तलाक का सुप्रीम कोर्ट में किया विरोध
सिब्बल ने तीन तलाक पर भी सरकार के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मुकदमा लड़ा था। सिब्बल ने दलील दी थी कि तीन तलाक पर बैन लगाना सही नहीं होगा क्योंकि यह आस्था से जुड़ा मामला है। हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की दलीलों को खारिज करते हुए तीन तलाक पर रोक लगा दी थी।
हरीश साल्वे: हमें है देश से प्यार
— Modi Bharosa (@ModiBharosa) May 19, 2017
Vs
कपिल सिब्बल: हमें हैं तीन तलाक से प्यार @KapilSibal #KulbhushanJadhav #kulbhushanverdict #harishsalve pic.twitter.com/3fqFlAJki9
कर्नाटक हिजाब मामले में की पैरवी
कपिल सिब्बल ने कर्नाटक हिजाब मामले में भी एक याचिकाकर्ता का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया था। सीजेआई ने कहा था कि मामला कर्नाटक हाईकोर्ट में है इसलिए वहां पहले सुनवाई पूरी होनी चाहिए। सिब्बल ने स्कूलों में हिजाब को बैन किए जाने के खिलाफ सुनवाई का मामला पुरजोर तरीके से शीर्ष अदालत में उठाया था, हालांकि सीजेआई ने इस पर तब सुनवाई से इनकार कर दिया था।
कर्नाटक का हिजाब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, कपिल सिब्बल ने दी सुनवाई की अर्जी@anjanaomkashyap pic.twitter.com/zAJwHzLWo7
— AajTak (@aajtak) February 10, 2022
आजम खां को दिलाई जमानत
जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जमीन कब्जाने सहित कई मामलों में फंसे सपा नेता आजम खां को मई 2022 में जमानत दिलाने में कपिल सिब्बल की खास भूमिका रही है। सिब्बल ने ही सुप्रीम कोर्ट में आजम खान की पैरवी की थी। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में आजम मामले में जल्द सुनवाई की अपील की थी जिसे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बेला एम त्रिवेदी ने मान लिया था। आजम कई मामलों में फरवरी 2020 से ही सीतापुर जेल में बंद थे।
आज़म खां के निशुल्क केस लड़ने की फीस मिल गई कपिल सिब्बल को। उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के टिकट से राज्यसभा ।इन आएंगे।@KapilSibal
— PANKAJ CHATURVEDI (@PC70001010) May 24, 2022
हर एक का दाम तय है, बस खरीदने वाला चाहिए।
लालू यादव को दिलाई जमानत
चारा घोटाला केस में आरोपी आरजेडी के लालू यादव को भी कपिल सिब्बल ने ही हाईकोर्ट से जमानत दिलाई। लालू लंबे समय तक जेल में रहे। सिब्बल की पैरवी ने उन्हें जेल से रिहाई में मदद दिलाई। कपिल सिब्बल लालू के लिए तारणहार साबित हुए। सिब्बल ने दस्तावेजी सबूत के दम पर कहा था कि लालू प्रसाद यादव ने चारा घोटाला मामले में अब तक 42 माह जेल में बिताए हैं।
लालू यादव की जमानत को चुनौती देने वाली CBI की याचिका पर आज सुनवाई टली। 17 अक्टूबर को होगी सुनवाई।
— Prabhakar Kr Mishra (@PMishra_Journo) August 25, 2023
लालू यादव के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि लालू यादव का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। CBI उनको दुबारा जेल भेजना चाहती है।
सीबीआई के वकील ने कहा कि लालू यादव बैडमिंटन खेल रहे हैं। उनको…
अभी 3 दिसंबर 2023 को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त हार हुई उसके बाद कांग्रेस बौखला गई और उसके नेता नार्थ-साउथ डिवाइड की बात करने लगे वहीं डीएमके पार्टी के नेता ने हिंदीभाषी राज्यों को गौमूत्र स्टेट करार दे दिया। इंडी अलायंस के दलों का यह दोहरा चरित्र ही दर्शाता है।
हार से बौखलाई कांग्रेस ने रचा नार्थ-साउथ का नैरेटिव
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ तेलंगाना में मिली जीत के बाद कांग्रेस एक बार फिर नया नैरेटिव गढ़ रही है। चार राज्यों में हार से बौखलाए कांग्रेस नेता प्रवीण चक्रवर्ती ने सोशल मीडिया पोस्ट किया कि देश के दक्षिणी और उत्तरी भाग के बीच सीमा रेखा गहरी और स्पष्ट हो रही है। विवाद बढ़ने के बाद चक्रवर्ती ने अपना पोस्ट हटा लिया। वह पार्टी की इकाई ‘अखिल भारतीय प्रोफेशनल्स कांग्रेस’ के प्रमुख हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस यह नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश कर रही है कि हिंदीभाषी इलाके के लोगों की सोच सांप्रदायिकता और जातिवाद के इर्द-गिर्द ही घूमती है, जबकि दक्षिण के लोग राजनीतिक रूप से कहीं ज्यादा सचेत, प्रगतिशील और परिपक्व हैं।
Divide and Rule.
— Zaira Nizaam 🇮🇳 (@Zaira_Nizaam) December 4, 2023
1935 : Hindu - Muslim
1947 : India - Pakistan
1990 : Kashmir
2023 : North -South. pic.twitter.com/cNMuYgf6Bg
तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा- तेलंगाना का डीएनए बिहार डीएनए से बेहतर
कांग्रेस के एक और नेता एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी नार्थ-साउथ का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के प्रथम मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) में ‘बिहारी जीन’ है। उन्होंने कहा, ‘मेरा डीएनए तेलंगाना का है। केसीआर का डीएनए बिहार का है। वो बिहार के रहने वाले हैं। केसीआर की जाति कुर्मी हैं, वे बिहार से विजयनगरम और वहां से तेलंगाना आए। तेलंगाना का डीएनए बिहार के डीएनए से बेहतर है।’
मुख्यमंत्री बनने से पहले ही उन्होंने अपनी पार्टी और नेता की चरित्र दिखा दी।
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) December 5, 2023
बिहार का "डीएनए" तेलंगाना के डीएनए से कमतर है? pic.twitter.com/96o3XsjyQ8
डीएमके सांसद ने हिंदी भाषी राज्यों को गौमूत्र स्टेट कहा
संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन 5 दिसंबर 2023 को लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश किया। चर्चा के दौरान धर्मपुरी से DMK सांसद डॉ. सेंथिल कुमार ने कहा कि भाजपा की ताकत केवल हिंदी बेल्ट के उन राज्यों को जीतने में ही है, जिन्हें हम आमतौर पर गोमूत्र राज्य कहते हैं। सेंथिल ने आगे यह भी कहा कि दक्षिण के राज्यों में BJP को घुसने नहीं दिया गया है। यह खतरा जरूर है कि कश्मीर की ही तरह भाजपा दक्षिण भारत के राज्यों को भी केंद्र शासित प्रदेश न बना दे। क्योंकि ये वहां जीत नहीं सकते तो उसे UT बनाकर गवर्नर के जरिए शासन कर सकते हैं।
"BJP can win elections only in GOMUTRA states" - DMK MP Senthil Kumar passes gomutra slur (which is mainly used by Pakistani terrorists against Hindus) inside parliament. pic.twitter.com/fp5Zxq3RMm
— Mr Sinha (@MrSinha_) December 5, 2023
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