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कांग्रेस की “लंकिनी सेना” के “फर्जी गांधी” जैसे हर चुनाव से पहले मंदिर मंदिर भटकते हैं, वैसे ही अबकी बार ये लोग 2024 लोकसभा चुनाव से पहले “अयोध्या जी” में जाकर रामलला के दर्शन भी करेंगे भले ही आज प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा दिया है। ये लोग यह सोचते हैं कि मंदिर तो कभी भी चले जाएंगे जिससे उसका आज का “पाप” धुल जाएगा।
अभी ये लोग नए कपड़े बनवा रहे हैं, जब शिलान्यास हुआ था तब जिस तरह कांग्रेस के लोगों ने “काले वस्त्र” पहने थे, वैसे ही हो सकता है ये लोग प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन पहनेंगे लेकिन जब मंदिर जाना होगा तो उसके लिए नए सफ़ेद वस्त्र या बनवाएंगे या किराये पर लेंगे।
कांग्रेस यह आरोप लगा कर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाना चाहती कि भाजपा/RSS ने इसे अपना निजी राजनीतिक उत्सव बना दिया है जबकि कांग्रेस कहती है कि मंदिर के ताले तो राजीव गांधी ने खोले थे। यदि यह सत्य है तो फिर भाजपा ने आंदोलन अपने हाथ में कैसे ले लिया और कांग्रेस ने इसे अपने हाथ से कैसे जाने दिया। ताला खुलवाने और शिलान्यास करवाने के पीछे बहुत गहरा षड़यंत्र था, जिसे यदाकदा सनातन प्रेमी उजागर करते रहे हैं, लेकिन तुष्टिकरण गैंग उन्हें साम्प्रदायिक कहकर बदनाम करता रहा।![]() |
सीता राम गोयल |
और शिलान्यास करवाने का कारण 31 जुलाई 1986 को कुरान की 24 आयतों के विरुद्ध दिल्ली तीस हज़ारी कोर्ट के मजिस्ट्रेट Z S Lohat, हौज़ काज़ी थाना में दर्ज हिन्दू महासभा के दो सदस्यों के पक्ष में देना बताया जाता है। हिन्दू महासभा के इन सदस्यों ने इन विवादित आयतों के पोस्टरों से दिल्ली को पाट दिया था। https://sangamtalks.org/petition-against-few-verses-of-quran-shri-karunesh-shukla/
ये 1986 की बात है दिल्ली के मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट जेड़एस लोहाट ने एक जजमेंट पास किया था। जिसका जिक्र सीताराम गोयल की पुस्तक कलकत्ता कुरान पेटीशन में मिलता है। इंद्रसेन और राजकुमार नामक व्यक्ति ने कुरान की कुछ आयतों को लेकर एक पोस्टर बनाया था और उसमें लिखा था कि ये 24 आयतें हटाई जानी चाहिए क्योंकि ये पूरी तरह से हिंसा फैलाती हैं। इस वजह से उनके खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 295ए और 153ए के अंतर्गत मामला दर्ज हो गया।
जिसके ऊपर फैसला सुनाते हुए जज लोहाट ने जो कहा वो गौर से सुनने लायक है। उन्होंने कहा कि मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकाशंत: आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों को सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाई गईं तो सांप्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुरान मजीद की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं। जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों व्यक्ति को बरी करते हुए मामले को खारिज कर दिया।
यानि कांग्रेस ने सच्चाई को दबाकर भ्रमित बयानों से जनता को गुमराह कर हिन्दू-मुसलमान की गन्दी सियासत करती रही है। जब ताला खुलवाया और शिलान्यास करवाया, फिर क्यों इतने वर्ष अयोध्या को विवादित बनाये रखा? यही स्थिति काशी, मथुरा और अन्य हिन्दू के धार्मिक स्थलों की है। यह वह ज्वलंत प्रश्न है जिसका कांग्रेस को जवाब देना होगा या यह कहना बंद करे कि राजीव गाँधी ने ताला खुलवाया।
ये 1986 की बात है दिल्ली के मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट जेड़एस लोहाट ने एक जजमेंट पास किया था। जिसका जिक्र सीताराम गोयल की पुस्तक कलकत्ता कुरान पेटीशन में मिलता है। इंद्रसेन और राजकुमार नामक व्यक्ति ने कुरान की कुछ आयतों को लेकर एक पोस्टर बनाया था और उसमें लिखा था कि ये 24 आयतें हटाई जानी चाहिए क्योंकि ये पूरी तरह से हिंसा फैलाती हैं। इस वजह से उनके खिलाफ इंडियन पीनल कोड की धारा 295ए और 153ए के अंतर्गत मामला दर्ज हो गया।
जिसके ऊपर फैसला सुनाते हुए जज लोहाट ने जो कहा वो गौर से सुनने लायक है। उन्होंने कहा कि मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकाशंत: आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों को सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाई गईं तो सांप्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुरान मजीद की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए इन आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं। जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों व्यक्ति को बरी करते हुए मामले को खारिज कर दिया।
कांग्रेस ने मंदिर निर्माण रोकने के लिए हर कार्य किया। भगवान राम को काल्पनिक कहने वाली कांग्रेस ही थी और आज कह रहे हैं कि राम सबके हैं। सबके हैं तो तुम क्यों नहीं जाना चाहते। भाजपा / RSS ने राम को अपना बनाया तो तुम्हें कौन रोक रहा है, तुम भी राम को अपना लो लेकिन तुम ऐसा कर ही नहीं सकते।
कांग्रेस ने तो नरसिम्हा राव सरकार के हाथों भाजपा के कई सरकार बर्खास्त करा दी थी और राव ने मुसलमानों को आश्वस्त किया था कि तुम्हारी मस्जिद उसी जगह पर बना कर दी जाएगी जो उसके वश में नहीं था। राव को कुछ लोग बहुत बड़ा हिंदू नेता मानते है मगर सच्चाई यह है कि उनके कुछ कामों से हिन्दुओं को बहुत आघात पहुंचा है।
नरसिम्हा राव सरकार ही थी जो Places of Worship (Special Provisions) Act, 1991 लेकर आई थी जिसने हिन्दुओं के अधिकारों पर जबरदस्त प्रहार किया था - नरसिम्हा राव सरकार ही 1995 में वक्फ एक्ट लेकर आई जिसमें मुसलमानों को देश भर में जमीने हड़पने का “असीमित अधिकार” दे दिया और जिसकी वजह से आज मुस्लिम देश में 8 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा भूमि कब्ज़ा चुके हैं। बाबरी ढांचा गिरने पर भाजपा सरकारें बर्खास्त कर राव ने कहा था कि उसने भाजपा के हाथ से मंदिर मुद्दा छीन लिया।
एक अन्य मामला है जिसमे ISRO के नम्बी नारायण जैसे अधिकारी पर फर्जी केस चला कर गिरफ्तार किया गया और उसे अपनी प्रतिष्ठा वापस प्राप्त करने में 25 साल लग गए, राव उस समय के Science & Technology मंत्री थे।
जनवरी 15 को कांग्रेस के कुछ नेता अयोध्या गए थे और उनकी यात्रा के दौरान कांग्रेसी झंडे को लेकर कथित तौर पर कुछ झड़प भी हुई लेकिन एक चैनल पर बताया गया था कि उन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए उन्हें “पत्नी द्रोही” कहा था जबकि वो लोग भूल गए कि एक बीवी को घर में रख कर कई औरतों से संबंध रखने वाला नेहरू असली “पत्नी द्रोही” था। मोदी पर बयानबाजी में गिरावट की पराकाष्ठा तो ये लोग न जाने कब से दिखा रहे हैं।
शंकराचार्यों के बारे में एक रिपोर्ट (authentic) और सामने आई है कि निश्चलानंद जी और अविमुक्तेश्वरानंद जी 2014 चुनाव में कांग्रेस के साथ मोदी के विरुद्ध प्रचार करने गए थे बनारस में। आज उनका विरोध उस दृष्टि से ठीक ही है।
शंकराचार्य एक बात भूल रहे हैं कि जनमानस की इच्छा शक्ति हर मुहूर्त, हर विधि विधान से ऊपर होती है और आज जो प्राण प्रतिष्ठा हो रही है वह इच्छा शक्ति से ही हो रही है, मुहूर्त भी निकला है अलग।
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