हल्द्वानी के दंगाग्रस्त क्षेत्र में दूध और सहायता पहुंचाती पुलिस
उत्तराखंड के हल्द्वानी में अवैध कब्ज़ा कर के बनाए गए मदरसे और मस्जिद को हटाने के लिए प्रशासन पहुँचा तो बवाल हो गया। इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने थाना और पेट्रोल पंप फूँक दिया। पुलिस वालों को ज़िंदा जलाने की कोशिश की गई। कई वाहन क्षतिग्रस्त कर दिए गए। चश्मदीदों का कहना है कि छतों पर पानी की टंकी में पत्थर जमा कर के रखे गए थे। वहीं अब एक गिरोह विशेष द्वारा सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है कि पुलिस ने महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया है।
नेहा दीक्षित नाम की तथाकथित पत्रकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक नोट जारी कर के दावा किया कि हल्द्वानी में पुलिस हिंसक हो गई है। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड पुलिस लोगों के घरों में घुस कर उन्हें पीट रही है। महिलाओं को निशाना बनाए जाने के आरोप भी लगाए गए। नेहा दीक्षित ने तो यहाँ तक दावा कर दिया कि पुलिस के डर से बनभूलपुरा के मुस्लिमों ने पलायन कर के जंगल में शरण लेना शुरू कर दिया है। दावा किया गया कि कई घरों में बच्चों के पीने के लिए दूध तक नहीं है।
Mainstream media is silent on what’s happening in Haldwani, Uttarakhand.
— Neha Dixit (@nehadixit123) February 10, 2024
People continue to suffer. Urge more reporting on the matter. pic.twitter.com/DBEk5ZajAz
So what happened to 1000s of muslims who were rioting in uttarkhand and threatening the state and police and indulging in wanton violence ?
— DharmVeer ( Speak the truth ) (@sanatanDha) February 10, 2024
Did they run away ? Where are they hiding ?
ऐसी भ्रमित और भड़काऊ झूठी खबर फ़ैलाने से पहले नेहा को बताना होगा, कि पहल किसकी तरफ से हुई, घरों से पत्थरबाज़ी और पेट्रोल बम फेंकने वालों पर कार्यवाही होने से तुम्हे क्यों दर्द हो रहा है? तुम्हारा कर्तव्य यह होना चाहिए था कि सरकार और पुलिस को उन सभी स्थानों, जहाँ से पत्थरबाज़ी और पेट्रोल बम आए, पर सख्त से सख्त कार्यवाही, ताकि भविष्य में कोई उपद्रवी ऐसा करने से पहले हज़ार बार सोंचे। मुस्लिम कट्टरपंथी तो है ही बदनाम, लेकिन तुम्हारे जैसे भड़काऊ लोगों की भी कमी नहीं। तुम क्षेत्र में शांति क्यों नहीं बनाना चाहती? तुम्हारे ऐसे भ्रमित ट्वीट से आग भड़केगी, शांत नहीं होगी। इतना कुछ उपद्रव हुआ, तुम्हे शर्म नहीं आयी?
लेकिन, ग्राउंड पर स्थिति इसके एकदम उलट है। वीडियो में देखा जा सकता है कि खुद पुलिस के अधिकारी कर्फ्यू वाले इलाकों में दूध और खाने-पीने की वस्तुएँ वितरित कर रहे हैं। ये वही इलाके जहाँ, इसी पुलिस को निशाना बनाया गया था। छतों से पत्थर चले थे। कर्फ्यू वाले इलाकों में एम्बुलेंस भेजी गई हैं, दवाएँ भेजी गई हैं। इसके अलावा डॉक्टरों को भी तैनात किया गया है। वीडियो में देखा जा सकता है कैसे पुलिस मुस्लिमों को मदद सामग्रियाँ बाँट रही है।
ये #Haldwani का वही इलाका है, जहाँ छतों से पत्थर चले थे। महिला पुलिसकर्मियों तक को नहीं बख्शा गया था।
— Anupam K. Singh (@anupamnawada) February 11, 2024
अब उन्हीं इलाकों में पुलिस लोगों को दूध व खाने-पीने की वस्तुएँ वितरित कर रही है। दवाएँ पहुँचाई जा रही हैं। एम्बुलेंस भेजे गए हैं, डॉक्टरों को तैनात किया गया है।#Uttarakhand pic.twitter.com/EvFVAiZ9AG
जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। सरकार को क्या जरूरत है इनको खिलाने की इनका वक्फ बोर्ड और ओला कहाँ गया
— Kase kahoon (@kasekahun) February 11, 2024
वहीं नैनीताल पुलिस ने भी बयान जारी कर के चेताया है कि अफवाह फैला कर माहौल ख़राब न किया जाए। महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की खबरों को लेकर नैनीताल पुलिस ने कहा कि ये भ्रामक हैं और इनके माध्यम से अनावश्यक रूप से समाज में संवेदनशीलता पैदा की जा रही है। इस पोस्ट में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस ने महिलाओं के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया है। नियमानुसार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस ने अनुरोध किया है कि किसी भी प्रकार की भ्रामक खबरें न पोस्ट करें, न कमेंट करें। बता दें कि उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुए दंगों का मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल मलिक गिरफ्तार कर लिया गया है। क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है और पुलिस व सुरक्षा एजेंसियाँ अब दंगाइयों की धर-पकड़ में लग गई है। बनभूलपुरा में 5 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें एक समाजवादी पार्टी के एक नेता का भाई है, 2 निवर्तमान पार्षद हैं और एक खनन कारोबारी भी शामिल है। इस हिंसा के मुख्य साजिशकर्ताओं में एक अब्दुल मलिक का नाम सामने आया, जिसे दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है

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