राहुल गांधी की 4000 किलोमीटर चली “भारत जोड़ो” यात्रा का लक्ष्य वस्तुतः “भारत तोड़ो” ही था जो अब साबित भी होता जा रहा है। कर्नाटक चुनाव अभियान में 6 मई, 2023 को सोनिया गांधी ने कर्नाटक की “संप्रभुता” की बात कह कर इस लक्ष्य को सामने रख दिया था। सोनिया का बयान प्रकाशित हुआ था।
“"CPP Chairperson Smt. Sonia Gandhi ji sends a strong message to 6.5 crore Kannadigas: "The Congress will not allow anyone to pose a threat to Karnataka's reputation, sovereignty or integrity"
इस बयान पर चुनाव आयोग ने सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया था लेकिन आयोग तो किसी देशद्रोह या भ्रष्टाचारी राजनीतिक दल की मान्यता समाप्त करने की कोई शक्ति ही नहीं रखता और इस तरह आयोग पूरी तरह एक दंतहीन संस्था है। चुनाव आयोग ने सोनिया गांधी के खिलाफ क्या कार्रवाई की कुछ पता नहीं जबकि कांग्रेस ने स्वीकार किया था कि सोनिया का बयान गलत ढंग से रिपोर्ट हो गया जिसका मतलब साफ़ था कि उसने “संप्रभुता” की बात तो कही लेकिन उसका मतलब वह नहीं था जो निकाला गया। लेखक
अब कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री DK Shivkumar के भाई लोकसभा के सदस्य डीके सुरेश ने खुल कर कर्नाटक को अलग देश बनाने बनाने की वकालत कर दी। उसने अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “दक्षिण भारत के साथ अन्याय हो रहा है, जो पैसा दक्षिण तक पहुंचना चाहिए, उसको डायवर्ट कर उत्तर भारत में बांटा जा रहा है। अगर इस अन्याय को दूर नहीं किया गया तो दक्षिणी राज्य एक अलग देश बनाने की मांग करने के लिए मजबूर होंगे”।
सच्चाई तो यह है कि आज कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 6 महीने में राज्य को दिवालिया बना दिया है।
इससे पहले कांग्रेस के ही सहयोगी DMK के सांसद A Raja और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन अलग तमिल राज्य की बात कर चुके है। राहुल “कालनेमि” भी उत्तर-दक्षिण का रोना रो चुका है जब उसने कहा था कि वह उत्तर भारत की राजनीति अलग तरह की देखता है जबकि दक्षिण के राज्य केरल में लोग अलग सोच रखते हैं।
कांग्रेस के “चपरासी” सा दिखाई देने वाला पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कल राज्यसभा में इसे दूसरे सदन का विषय बता कर बचने की कोशिश की लेकिन बाद में कहा कि “कोई भी देश को तोड़ने की बात करेगा तो हम सहन नहीं करेंगे, चाहे वह किसी भी पार्टी का हो। मैं खुद कहूंगा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक हम एक हैं और एक रहेंगे”।
खड़गे ने एक तरह स्वयं मान लिया कि डीके सुरेश ने देश तोड़ने का बयान दिया है। फिर कांग्रेस उसके खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है या उसके लिए सोनिया गांधी से पूछना पड़ेगा जो खुद इस मामले पर चुप है और न उसका लाड़ला राहुल “कालनेमि” कुछ बोल रहा है जो आजकल “न्याय” की बात कर रहा है।
डीके सुरेश का बयान एक सांसद द्वारा ली गई शपथ का उल्लंघन है और तुरंत प्रभाव से उसे लोकसभा से निलंबित कर देना चाहिए जब तक “आचार समिति” कोई निर्णय न ले ले। लोकसभा सांसद शपथ लेता है कि -
“मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा”
वैसे कुछ दिन पहले मोहम्मद अकबर लोन ने भी सुप्रीम कोर्ट में देश के संविधान के प्रति साफ़ शब्दों में निष्ठावान रहने का हलफनामा नहीं दिया था और CJI चंद्रचूड़ ने कुछ नहीं किया था। ऐसा न हो डीके सुरेश के बयान को भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न कह दिया जाए।
देश की प्रभुता और अखंडता को ही ख़त्म करने की बात की है डीके सुरेश ने और उसकी पार्टी उसके साथ खड़ी है, ऐसा साफ़ प्रतीत होता है। कांग्रेस की भी मान्यता समाप्त होनी चाहिए।
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