फरवरी, 2024 में विश्व की पहली आर्थिक महाशक्ति IMF के अनुसार 27,974 बिलियन डॉलर की GDP के साथ अमेरिका है और 2nd largest आर्थिक महाशक्ति 18566 बिलियन डॉलर की GDP के साथ चीन है, जबकि जर्मनी, जापान और भारत की GDP क्रमशः 4730, 4291 और 4112 बिलियन डॉलर है। ब्रिटेन 6th, फ्रांस 7th और कनाडा 10th नंबर पर हैं।
परंतु अमेरिका, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा को विकसित देशों की श्रेणी में रखा गया लेकिन 2nd largest economy होने के बावजूद चीन को विकासशील देशों (Developing Nation) की श्रेणी में रखा गया है जिसका कोई औचित्य समझ नहीं आता।
World Bank के अनुसार चीन के 85 करोड़ लोग (850 million) Extreme Poverty से बाहर लाए जा चुके है। चीन का Poverty Rate 1981 के 88% से गिर कर 2015 में मात्र 0.7 % रह गया था।
चीन को विकासशील देश कहने का कोई कारण समझ नहीं आता। जो देश 18 राष्ट्रों को वर्षों से किसी न किसी तरह के सीमा विवाद में उलझा कर रख सकता है; जो अनेक देशों को कर्ज के मकड़जाल में फंसा कर blackmail कर सकता है; जो देश Veto Power से UN Security council में हर विषय में रोड़े अटका सकता है; जो देश हर लोकतांत्रिक देश में पैसे के दम पर अस्थिरता पैदा कर सकता है; जो देश विश्व के किसी देश में एटोमिक ताकत के बल पर अशांति पैदा कर सकता और पाकिस्तान एवं उत्तरी कोरिया को विश्व के लिए खतरा बना सकता है; जो अमेरिका जैसे शक्तिशाली मुल्क को हर समय युद्ध के लिए ललकार सकता है और जो भारत की हजारों एकड़ भूमि पर कब्ज़ा किये बैठा है, वह देश किस मायने से Developing Nation कहलाया जा सकता है। लेखक
यह विकासशील देश चीन, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को कोरोना देकर चौपट करने की ताकत रखता है और अपनी capital market से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर कर सकता है, वह किसी तरह से भी विकासशील देश नहीं हो सकता बल्कि वह तो सम्पूर्ण रूप से विकसित राष्ट्र है।
चीन के पास अमेरिका के 5244 और रूस के 5889 Nuclear Warheads के बाद सबसे अधिक 500 Nuclear Weapons हैं और आज यह देश नेहरू से वरदान में मिली Veto Power के बल पर भारत के Veto Power के अधिकार को रोके बैठा है।
कोई ऐसा वैश्विक संगठन नहीं है जिसमे चीन अपनी दादागिरी न दिखाता हो। चीन ने 2016 में 48 सदस्यों के Nuclear Supplier Group में प्रवेश को रोक दिया था और भारत के इस प्रवेश को रोकने वाला NSG में वह अकेला देश था।
WTO ने विकसित और विकासशील देशों की कोई परिभाषा तय नहीं की है लेकिन जो भी विकासशील देश माने जाते हैं उन्हें WTO में कुछ सुविधाएं मिलती है। लिहाजा चीन हर तरफ से मौज में रहना चाहता है, एक विकसित देश की तरह दुनिया पर रौब भी दिखाना चाहता है और विकासशील देश की तरह सुविधाएं भी लेना चाहता है।
IMF और World Bank को इस पर पुनर्विचार जरूर करना चाहिए।
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