कहते है कि किसी के लिए कुआँ खोदो, ऊपर वाला उसी के लिए खाई खोद देता है, ठीक वही वही स्थिति INDI गठबंधन की है। चले थे मोदी को हराने, लेकिन खुद ही एक दूसरे को हराने को आतुर हैं। अगर यही हालत रहे 2024 तो क्या 2029 में भी कहीं नज़र नहीं आने वाला विपक्ष। वास्तव में विपक्ष किसी भी उस मुद्दे पर मोदी को घेर पाया, जिन पर इन्हे घेरना था। परन्तु इनके दिमाग में बस मोदी-योगी ही घूम रहा है और उससे हताश होकर विदेशी भीख पर विपक्ष देश में उपद्रव और मुस्लिमों को खुश करने सनातन का विरोध कर अपने ही पांव पर कुल्हाड़ियाँ मार चलने योग्य नहीं रहा। खुद ही वोटों का ध्रुवीकरण कर भाजपा के मार्ग में फूल बिछा रहे हैं। अगर विपक्ष अभी भी मोदी-योगी विरोध के नशे से बाहर नहीं आया, निश्चितरूप से विपक्ष अपनी मौत मर जाएगा।
मुस्लिम कट्टरपंथियों के कंधे बन्दुक रख अगर विपक्ष समझ रहा है कि मुस्लिम वोट उनकी तरफ है, यह उनकी बहुत बड़ी भूल है। कट्टरपंथियों को छोड़, अधिकतर मुस्लिम समाज इनके विरुद्ध जाकर भाजपा की ओर झुक रहा है।
कोलकाता से मुंबई तक INDI गठबंधन जो कभी एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरने की कोशिश कर रहा था, वो पूरी तरह से टूट चुका है। केरल से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक गठबंधन के परखच्चे उड़ चुके हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने कॉन्ग्रेस की सभी उम्मीदों को धराशाई करते हुए सभी 42 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है।राजनीति में खास तौर से चुनावों के पहले बहुत कुछ उलटफेर देखा जाता है। पार्टियाँ अपनी सुविधा के हिसाब से पाले बदलती हैं। एक तरफ तो एनडीए दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है, और इंडी गठबंधन के ही साथियों को तोड़ता जा रहा है, तो दूसरी तरफ इंडी गठबंधन अपने साथियों को संभाल नहीं पा रही है। इंडी गठबंधन की ममता बनर्जी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वो सभी 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगी। कॉन्ग्रेस उम्मीद लगाए बैठी थी कि आखिर तक वो ममता बनर्जी को मना ही लेगी। लेकिन ममता बनर्जी ने कॉन्ग्रेस के आखिरी सपने को भी ध्वस्त कर दिया है।
वैसे, ममता बनर्जी ने कॉन्ग्रेस के अधीर रंजन चौधरी की सीट पर स्टार पॉवर उतारा है। एक तरफ तो आईपीएल चल रहा है, तो दूसरी तरफ केकेआर के लिए लंबे समय तक खेले क्रिकेटर यूसुफ पठान को अधीर रंजन की सीट पर उतार दिया गया है। वहीं, महुआ मोइत्रा को एक बार फिर से ममता बनर्जी ने मैदान में उतारा है, जो कुछ माह पहले ही घूसकांड के चलते लोकसभा की सदस्यता गवाँ बैठी थी।
TMC announces the names of 42 candidates for Lok Sabha elections.
— ANI (@ANI) March 10, 2024
Former cricketer Yusuf Pathan and party leader Mahua Moitra among the candidates. pic.twitter.com/vfmb7alfbx
Modi is a Hindu, yet he is an outsider for Mamata and gang.
— kanishka Dadhich 🇮🇳 (@KanishkaDadhich) March 10, 2024
Yusuf Pathan is a Muslim, Just like son of Mamata's Khala.
इंडी गठबंधन में आज का सच यह है कि लोकसभा चुनाव सामने है और बड़े हिस्सेदार सीटों पर बातचीत को अंतिम रूप नहीं दे पाए हैं। वे इस मामले पर एकमत भी नहीं दिखते। एक भी दल अपने प्रभाव वाले इलाके में गठबंधन के किसी दूसरे सहयोगी को एक भी सीट देने को राजी नहीं दिखाई दे रहे हैं। लोक सभा में मुख्य विपक्षी दल कॉन्ग्रेस को गठबंधन से जुड़े दल बहुत भाव नहीं दे रहे हैं। महाराष्ट्र में भी यही हाल है। एनसीपी आगे बढ़ती दिखाई दे रही है, तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना एनसीपी और कॉन्ग्रेस पर आँखे तितेर रही है। कुल मिलाकर परसेप्शन बन चुका है कि इंडी गठबंधन खंड-खंड होकर बिखर गया है।
इंडी गठबंधन की हालत ये है कि वो आपस में ही लड़कर चूर-चूर हो जा रहे हैं। उसी का नतीजा है कि नीतीश फिर से एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन बैठे हैं। इसी का परिणाम है कि बाला साहब ठाकरे की शिवसेना फाड़ हो गई तो शरद पवार की बनाई पार्टी एनसीपी आज उन्हीं के सामने उनकी नहीं रही।
महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी भले ही नहीं है, लेकिन वो अपने सहयोगियों को साधना जानती है, यही वजह है कि देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम होकर भी महाराष्ट्र में एनडीए को संभाले हुए हैं, तो बिहार में राम विलास पासवान की पार्टी दो फाड़ होकर भी एनडीए का ही हिस्सा है। वहीं, एनडीए ने आँध्र प्रदेश में सीटों का बंटवारा कर लिया है।
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