ममता बनर्जी का ये कैसा वंशवाद का विरोध, सगे भाई को टिकट नहीं और भतीजे को फिर से टिकट


इंडी अलायंस में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मिलाने चले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अब पूरी तरह समझ में आ गया होगा। निजी स्वार्थ की राजनीति के चलते जो नेता अपने सगे भाई की ही सगी नहीं, वो भले इंडी अलायंस की सगी कैसे हो सकती है ? पश्चिम बंगाल की जिस सीट से उनके छोटे भाई बाबुन बनर्जी चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, ममता ने अपनी हिटलरशाही राजनीति के चलते बाबुन को ने केवल उस सीट से टिकट ही नहीं दिया, बल्कि उसके प्रतिद्वंद्वी को टिकट थमा दिया। इतना ही नहीं ममता ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके अपने सगे भाई से सारे रिश्ते तक तोड़ लिए। सीएम ममता बनर्जी ने बहाना गढ़ा कि वो परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ हैं, इसलिए बाबुन को टिकट नहीं दे रही हैं। वास्तविकता ये है कि बाबुन ही नहीं बल्कि ममता के परिवार में छह भाई और भतीजे तक उसी वंशवाद के फलफूल रहे हैं और करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। इन भाइयों की अवैध कमाई का मामला कोर्ट कर में जा पहुंचा है। अब सबसे छोटे भाई से रिश्ते खत्म के करने के कारण ममता सुर्खियों में छाई हुई हैं। 

भाई बाबून ने हावड़ा से टिकट मांगा तो तोड़ लिए सारे रिश्ते, भाई को लालची बताया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि वह अपने सबसे छोटे भाई स्वपन बनर्जी, जिन्हें बाबुन बनर्जी के नाम से भी जाना जाता है, के साथ अपने सभी तरह के रिश्ते तोड़ रही हैं। अपने भाई पर ममता बनर्जी की यह टिप्पणी दिल्ली से कोलकाता तक मीडिया में छाई हुई है। अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू ने इस पर लिखा है कि मुख्यमंत्री का ये बयान तब आया है जब एक दिन पहले ही उनके भाई बाबुन बनर्जी ने कहा था कि वह लोकसभा चुनाव में हावड़ा से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रसून बनर्जी के खिलाफ बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। हावड़ा सीट से बाबुन लगातार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस बार ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी कि है, उसमें बाबुन का पत्ता साफ कर दिया है। बाबुन को टिकट न देने के साथ ही ममता बनर्जी ने अपने भाई पर बयान दिया, “आज से मैं ख़ुद को उनसे पूरी तरह अलग करती हूं। अब से कृपया मेरा नाम उनके साथ न जोड़ें। भूल जाइए कि मेरा उनके साथ कोई रिश्ता था। मैं ही नहीं आज से मेरे परिवार के हर सदस्य ने उनके साथ अपना रिश्ता खत्म कर लिया है।”
ममता भतीजे अभ‍िषेक बनर्जी को डायमंड हार्बर सीट से चुनावी दंगल में उतारा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह सब तब किया है, जबकि बाबुन बनर्जी कोलकाता के खेल जगत में एक लोकप्रिय नाम हैं। ममता बनर्जी के छह भाइयों में सबसे छोटे बाबुन बनर्जी बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन, बंगाल हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष, बंगाल बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के खेल विंग के प्रभारी भी हैं। एक निजी चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा था, “मुझे प्रसून बनर्जी से एलर्जी है। मैं उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ सकता हूँ।” दरअसल, बाबुन बनर्जी और हावड़ा से सांसद प्रसून बनर्जी के साथ पुराने गहरे मतभेद हैं। बाबुन बनर्जी हावड़ा से चुनाव लड़ना चाहते थे और वहीं से वो वोटर भी हैं, लेकिन जब बीते दिनों टीएमसी की उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो हावड़ा से प्रसून बनर्जी को टिकट मिला। इससे वे नाराज हो गए। वंशवाद की राजनीति का कथित विरोध करते हुए बाबुन को टिकट न देने वाली ममता बनर्जी ने अपने भतीजे अभ‍िषेक बनर्जी को एक बार फ‍िर से डायमंड हार्बर सीट से चुनावी दंगल में उतारा है।
हावड़ा में योग्य उम्मीदवारों को दीदी ने नजरअंदाज किया, मैं निर्दलीय लड़ूंगा-बाबुन
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा है। अखबार ने लिखा है कि बाबुन बनर्जी को अफवाहें शुरू होने का एक कारण ये भी हो सकता है कि बाबुन ने ऐसी बात कही जिससे संदेश गया कि वो ‘विकल्प’ तलाश रहे हैं। उन्होंने प्रसून को टिकट मिलने के बाद कहा कि वह इससे ख़ुश नहीं हैं। बाबुन ने कहा था, “प्रसून बनर्जी सही विकल्प नहीं हैं. ऐसे कई योग्य उम्मीदवार थे, जिन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया गया।” इसके अलावा उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि दीदी (ममता बनर्जी) मुझसे सहमत नहीं होंगी, लेकिन ज़रूरत पड़ी तो मैं हावड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा।” हाल ही में बाबून ने अपना वोटर आईडी हावड़ा ट्रांसफर कराया और वहां से वोटर बन गए और तभी से वो यहां से चुनाव लड़ने की मंशा रखने लगे।
बाबुन बनर्जी का बंगाल के खेल जगत में उभार ममता बनर्जी की ही दैन
एक ओर ममता बनर्जी कहती हैं कि उनका परिवारवाद की राजनीति में विश्वास नहीं है और न ही वे वंशवाद को बढ़ावा देती हैं। दूसरी ओर ये बिल्कुल साफ है कि ममता के मुख्यमंत्री बनने से पहले बाबुन को कोई जानता तक नहीं था। टेलीग्राफ लिखता है कि कोलकाता के मोहन बागान फुटबॉल क्लब में बड़े खिलाड़ियों के पीछे घूमने वाले बाबुन बनर्जी का बंगाल के खेल की दुनिया में उदय ममता बनर्जी के सीएम बनने के बाद धीरे-धीरे मज़बूती के साथ बढ़ता गया। आज वो इस दुनिया का काफी जाना माना नाम है। सीएम ममता बनर्जी ने ही उन्हें बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन, बंगाल हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष, बंगाल बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के खेल विंग के प्रभारी का भी ओहदा दिया। साल 2016 में वह अपने प्रतिद्वंद्वी चंदन रॉय चौधरी को मामूली अंतर से हरा कर बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन के सचिव बने। चार साल बाद एसोसिएशन के चुनाव में बाबुन ने बड़े भाई अजीत बनर्जी को हरा दिया और अध्यक्ष बने। बाबुन बनर्जी मोहन बागान क्लब के फुटबॉल सचिव भी हैं। वह कोलकता के हॉकी और मुक्केबाजी एसोसिएशन से भी जुड़े हुए हैं। वे कई खिलाड़ियों के टीएमसी में आने के पीछे भी बाबुन का हाथ है। इसमें खुद प्रसून बनर्जी, लक्ष्मी रतन शुक्ला और मनोज तिवारी शामिल हैं।
मोहन बागान क्लब की राजनीति के चलते बाबून की है सांसद प्रसून से टसल
जब बाबुन बनर्जी ने न्यूज़ चैनल से बात की तो उन्होंने बिल्कुल भी चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा को नहीं छिपाया। हावड़ा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हुए उन्होंने बोला, “मुझे आश्वासन दिया गया था कि 2019, 2021 में टिकट मिलेगा। इस बार भी संभावना थी (टिकट मिलने की)। लेकिन मुझे जानबूझकर टिकट नहीं दिया, इससे मैं खुश नहीं हूं। मुझे प्रसून से एलर्जी है, क्योंकि वह हावड़ा के लिए सही विकल्प नहीं हैं।” लेकिन सवाल ये है कि प्रसून के लिए टीएमसी तक की राह बनाने वाले बाबुन उनसे ‘एलर्जिक’ क्यों हो गए? टेलीग्राफ़ लिखता है कि साल 2018 में मोहन बागान क्लब की सालाना आम बैठक के दौरान प्रसून और बाबुन के बीच अनबन हो गई थी। इस दौरान कथित तौर पर दोनों के समर्थकों के बीच मारपीट हो गई थी। तभी से ही बाबुन बनर्जी प्रसून को नापसंद करते हैं।
शारदा चिटफंड स्कैम में भी ममता बनर्जी परिवार पर लगे सवालिया निशान
यह पहला मौका नहीं है, जबकि ममता परिवार विवादों के चलते मीडिया की सुर्खियों में आया हो। इससे पहले शारदा चिटफंट केस में न सिर्फ तृणमूल सांसद को अरेस्ट किया गया है, बल्कि ममता बनर्जी परिवार पर भी सवालिया निशान लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शारदा चिटफंस केस में साल 2011 में लीप्स एंड बाउंड्स इंफ्रा कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, लीप्स एंड बाउंड प्राइवेट लिमिटेड, लीप्स एंड बाउंड मैनेजमेंट सर्विसेज LLP (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) बनीं। तीनों ही कंपनियां सीएम ममता बनर्जी के पारिवारिक सदस्य ही चलाते थे। इसके बाद नवंबर 2013 में तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद और मौजूदा जनरल सेक्रेटरी कुणाल घोष शारदा स्कैम में अरेस्ट हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि शारदा चिटफंड का पैसा ममता बनर्जी के पास है। कोर्ट ने 28 नवंबर को कुणाल घोष को भी आने के लिए नोटिस जारी किया है।
WBHB से 63.78 लाख रुपये की मार्केट वैल्यू की प्रॉपर्टी सिर्फ 19 लाख में खरीदी
हाईकोर्ट में दायर पिटीशन में कहा गया है कि त्रिनेत्र कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी 2019 के पहले बनी और गायब भी हो गई। कंपनी ने बैलेंस शीट फाइल नहीं की। कथित तौर पर इसके जरिए टीएमसी को 3 करोड़ रुपए का डोनेशन अलग-अलग समय में दिया गया। आरोप है कि ममता के भाई समीर बनर्जी की पत्नी कजरी बनर्जी ने 14 मई 2019 को सीएम के दबाव में वेस्ट बंगाल हाउसिंग बोर्ड (WBHB) से एक प्रॉपर्टी 19 लाख रुपए में खरीदी, लेकिन उसकी मार्केट वैल्यू 63.78 लाख रुपए थी।

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