माफ़ीनामा छापने के लिए भी कोई कानून है क्या ? मीलॉर्ड, सफाई न दीजिए, निशाने पर तो पतंजलि और रामदेव ही थे

सुभाष चन्द्र

कल एक बार फिर मीलॉर्ड स्वामी रामदेव पर बरस पड़े। सत्ता के उच्च शिखर पर बैठ कर सामने वाले व्यक्ति से कोई कैसा भी अनुचित व्यवहार करने का अधिकार रखता है और जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह यही कर रहे हैं। मीडिया चैनल स्वामी रामदेव के प्रति आपके आचरण को देख कर चटकारे लेकर खबरे चलाते हैं और यह शायद आपके लिए आनंद का विषय होता है

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कल मीलॉर्ड स्वामी रामदेव के पतंजलि द्वारा सोमवार 22 अप्रैल को 73 अख़बारों में प्रकाशित किए गए माफीनामे पर 2 बातों को लेकर “नाराज़” हुए। पहली बात कि आपने एक सप्ताह का समय क्यों लिया माफीनामा छपवाने के लिए और दूसरी बात कि क्या माफीनामा उसी आकर है जैसा विज्ञापन जारी करते हैं

ये दोनों Objections बेमानी हैं,  अलबत्ता स्वामी रामदेव/बालकृष्ण और पतंजलि को जलील करना मकसद लगता है। वह इसलिए कि 16 अप्रैल को जब आपने माफीनामा स्वीकार नहीं किया था तो अगली डेट तक का दूसरा माफीनामा प्रकाशित करने के लिए कहा था। ऐसा मतलब कतई नहीं था कि माफीनामा अगले ही दिन छपवा दिया जाना चाहिए। दूसरा, ऐसा कहीं किसी कानून में Prescribed नहीं है कि माफीनामा कैसा होना चाहिए; किस size का होना चाहिए और विज्ञापन के बराबर या उससे बड़ा होना चाहिए 

कई अख़बारों ने Press Council में केस चलने पर गलत रिपोर्ट के लिए माफीनामे प्रकाशित किए हैं जो भ्रामक खबर छापने की महीनों बाद छोटे से आकर में अख़बार के 8वें या 10वें पृष्ठ तक पर छापे जाते रहे हैं

माफ़ी पर तकरार कर रहे हैं मीलॉर्ड स्वामी रामदेव की जबकि जस्टिस अहसानुद्दीन को पहले स्वयं अपने शब्दों के लिए माफीनामा देना चाहिए। सोशल मीडिया पर जबरदस्त आक्रोश के बाद पिछली तारीख पर दोनों जज कुछ नरम थे और आयुर्वेद की वैल्यू का बखान कर रहे थे और कल भी कुछ सफाई देनी की कोशिश की है कि “कोर्ट के निशाने पर कोई विशेष कंपनी या व्यक्ति नहीं है। यह लोगो के स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है, अधिकारी इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं”

कल तक के पहले की सुनवाई में यही नज़र आ रहा था कि स्वामी रामदेव/आचार्य बालकृष्ण/पतंजलि ही निशाने पर थे। अगर ऐसा न होता तो कोर्ट पतंजलि के विरुद्ध IMA की याचिका की सुनवाई में पतंजलि के साथ साथ ही IMA और FMGC कंपनियों को शुरू से शामिल रखते लेकिन कोर्ट ने उन्हें कल सुनवाई के दायरे में लिया है। 

मीलॉर्ड ने कल IMA के वकील को कहा  कि किसी की ओर एक उंगली उठाते हुए ध्यान रखें कि 4 उंगली आपकी तरफ हैं। आपने जिन सदस्यों के खिलाफ शिकायतें आईं, आपने उन पर क्या किया। यह बातें मीलॉर्ड को स्वामी रामदेव पर सुनवाई के दौरान IMA को कहनी चाहिए थी लेकिन अब केवल यह साबित करने के लिए किया गया है कि आपके ऊपर पक्षपात का आरोप न लगे जो अदालत की कार्रवाई में साबित हो रहा था और जिसके लिए आपने कल सफाई दी है

मीलॉर्ड को IMA से यह भी पूछना चाहिए कि आपने अपने मुखिया के खिलाफ क्या कार्रवाई की जो “धर्म परिवर्तन” को बढ़ावा दे रहा था कोरोना संकट काल में

कृपया मीलॉर्ड माफीनामे को Prestige Issue न बनाएं। एक संत जो जनहित में आयुर्वेद और योग के लिए आंदोलन चला रहा है, उसकी माफ़ी ही उसके लिए बहुत बड़ा दंड है। आगे और उसे जलील करना है तो आपको भी माफ़ी मांगनी चाहिए उन घृणित जेहादी शब्दों के लिए “we will rip you apart - हम आपको चीर के रख देंगे” 

सुप्रीम कोर्ट की एक दूसरी बेंच योग पर सर्विस टैक्स लगा कर पहले ही अलग हथौड़ा चला चुकी है। ऐसी सेवाएं जो भी अन्य लोग दे रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई की जाए, उनमे तो वो संस्थाएं भी शामिल है जो ऐसे कैंप लगा कर धर्म परिवर्तन भी करा देती हैं। 

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