इतिहास लिखा नहीं जाता, दोहराया जाता है, वर्तमान 2024 का चुनाव हिन्दू बनाम मुस्लिम बन चूका है, जिसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस जिम्मेदार है। विधाता भी कांग्रेस के पतन के पक्ष में काम कर रहे हैं। कांग्रेस मैनिफेस्टो बनने पर लगता है या तो किसी ने नज़र भर भी देखा नहीं, और अगर देखा है तो बीजेपी द्वारा मैनिफेस्टो में विवादित बिन्दुओं पर देश को विभाजन की ओर धकेलने पर प्रहार करने पर चुनाव आयोग जाने का ड्रामा क्यों? बल्कि कहा जाए कि अपने गुप्त मुस्लिम एजेंडे को जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गाँधी तक खुलकर नहीं बोल पाया, जितना सोनिया गाँधी के हाथ में कांग्रेस की बागडोर आने के बाद से खुलकर सामने आ गया है। पहले हिन्दुओं पर प्रहार सुधार एवं रूढ़िवादी परम्पराओं को समाप्त कर वर्तमान परिवेश में जीने का साधन बताया गया। दरअसल कांग्रेस को जो रायता सोनिया गाँधी के अध्यक्ष बनने के बाद से फैलना शुरू हुआ वह राहुल और प्रियंका के आने के बाद से और ज्यादा तेजी से फैलना शुरू हो गया है, जिसका सिमटना अब बिलकुल असंभव हो चूका है, और वह दिन अब ज्यादा दूर नहीं जब कांग्रेस बहुत जल्दी एक इतिहास बनने वाली है।
सोशल मीडिया पर चल रहे इस चित्र में बहुत वजन है, जो चीख-चीखकर कह रहा है कि कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान हो गया है। कांग्रेस में जान फूंकने का अब सिर्फ रास्ता है गाँधी अपनी अरबों की पूंजी(देश-विदेशों में जमा) को बाँटने का लिखित बयान देते, और अपने वायदे से पलटने पर सजा देने का जनता को अधिकार है, कोई कानून परिवार के पक्ष में नहीं आए। बहुत हो चुका हिन्दू-मुसलमान।
कांग्रेस ने मैनिफेस्टो में मुस्लिम हितों की बात कर अप्रत्यक्ष रूप से INDI गठबंधन को बाय-बाय कर दिया है। क्योकि मुसलमानों से एक तरफ़ा कांग्रेस को ही वोट करने का खूब प्रचार किया जा रहा है, जो सोशल मीडिया पर भी सामने आ गया है। अब गठबंधन में शामिल पार्टियों को इस गंभीर मुद्दे पर कांग्रेस से प्रश्न करना होगा।
अब अगर कोई हिन्दुओं से एक तरफ़ा वोट करने को बोले किसी को इसे साम्प्रदायिकता कहने का अधिकार नहीं।हिन्दुओं को जातियों में बाँटने कर खूब बंदरबाट होती रही, लेकिन अन्यों पर बोलने की किसी में आज तक हिम्मत नहीं हुई या कहा जाए कि इनके विरुद्ध बोलने के लिए किसी ने माँ का दूध नहीं पिया। लेकिन नूपुर शर्मा के बयान को विवादित बनाए जाने एक्स-मुस्लिम ग्रुप खुलकर सामने आकर मुल्लावाद पर जो कुठाराघात हमले शुरू हुए है, आज तक धमने का नाम नहीं ले रहे। यह कटु सत्य है कि हिन्दुओं के अधिक जातिवाद अन्य धर्मों में है, देखिए :
ईसाई धर्म
ईसा एक है, बाइबिल एक
फिर भी, लेटिन कैथलिक, सीरियन कैथलिक, मारथोमा, पेंटेकोस्ट, सैल्वेशन आर्मी, सेवेंथ डे एडवांटिष्ट, ऑर्थोडॉक्स, जेकोबाइट जैसे 146 फिरके आपस में किसी के भी चर्च में नहीं जाते।
इस्लाम:
अल्लाह एक, कुरान एक, नबी एक
फिर भी शिया, सुन्नी, अहमदिया, सूफी, मुजाहिद्दीन जैसे 13 फिरके एक दुसरे के खून के प्यासे। सबकी अलग मस्जिदें। साथ बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकते। धर्म के नाम पर एक-दूसरे का कत्ल करने को सदैव आमादा।
सनातन धर्म
1280 धर्म ग्रन्थ,10 हज़ार से ज्यादा जातियां, अनगिनत पर्व एवं त्योहार,असंख्य देवी-देवता।
एक लाख से ज्यादा उपजातियां, हज़ारों ऋषि-मुनि, सैकड़ों भाषाएँ।
फिर भी सारे हिन्दू सभी मन्दिरों में जाते हैं और सारे त्योहारों को मनाते हुए आपस में शान्ति एवं शालीनता से रहते हैं।
यह है भव्यता, सुन्दरता और खूबसूरती हिन्दू धर्म की! फिर क्यों न गर्व हो हिन्दुओं को हिन्दू धर्म पर।
लेकिन कांग्रेस ही नहीं, हिन्दुत्व विरोधी हिन्दू ही जातियों के नाम पर दुकानें(पार्टियां) खोलकर अपनी पीढ़ियों के लिए बैंक बैलेंस, और तिजोरियों भर रहे हैं और पागल, बुद्धि विहीन, लालची और पदभ्रष्ट हिन्दू इन हिन्दुओं को विभाजित करने वालों पर विश्वास कर रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी से सीखो, जब मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बोलता है तो केवल मुस्लिम हितों पर बोलता है, लेकिन हिन्दुओं के बीच आकर दलितों का हितैषी बन हिन्दुओं को विभाजित करता है। ऐसी ही दोगली सियासत दूसरे दल भी अपना कर अपनी दुकानें चलाकर हिन्दुओं का दमन करने में तुले हुए हैं।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के अपने घोषणा पत्र में जिस तरह के वादे किए हैं, उसकी तह में छिपी हुई उसकी तुष्टिकरण की नीति खुल-खुलकर सामने आ रही है। कभी मुस्लिमों की तुष्टिकरण के लिए बदनाम हो चुकी कांग्रेस इस दाग को धोना भी नहीं चाहती है। पीएम मोदी ने अपने भाषणों में कांग्रेस की घोषणा पत्र का पोल खोल दिया है।उधर कांग्रेस बार-बार ये दोहरा रही है कि वह अपने घोषणा पत्र में किसी धर्म या मजहब का जिक्र नहीं किया है, लेकिन घोषणा पत्र पर शब्दों के साथ की गई जादूगरी को ध्यान से देखा जाए तो कांग्रेस की यह बात झूठ साबित होती है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यक शब्द की आड़ में इस पूरे खेल को अंजाम दिया है।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस के इस खेल को अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर साझा किया है। उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र के एक प्वॉइंट का स्क्रीनशॉट साझा किया है। इसमें लिखा है, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यक शिक्षा, स्वास्थ्य, सरकारी ठेके, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक विकास में बिना किसी भेदभाव के उचित साझेदारी का अवसर प्राप्त करें।”
Another gem from Congress manifesto:
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) April 27, 2024
We will ensure that the minorities receive their fair share of opportunities in education, healthcare, public employment, public works contracts, skill development, sports and cultural activities without discrimination.
Just how will… pic.twitter.com/9PwoeDcoGT
Minorities means OBCs, SCs and ST people's.. don't try to twist the words..
— Ganesh Kumar (@slganesh1) April 28, 2024
BJ party is against reservation.. pic.twitter.com/WFgbn0ZQWg
शिक्षा-स्वास्थ्य आदि विषयों की बात तक तो ठीक है, लेकिन कांग्रेस सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी की सरकारी ठेकों में मुस्लिम वर्ग को उचित भागीदारी का अवसर मिले। सार्वजनिक कार्यों का ठेका कई नियमों और दिशा-निर्देशों के तहत जारी किया जाता है। इसमें किसी तरह का धार्मिक भेदभाव की गुंजाइश नहीं होती है, लेकिन कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र करके तुष्टिकरण की एक नई कोशिश की है।
अमित मालवीय अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखते हैं, “कांग्रेस यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों (मुस्लिम पढ़ें) को ‘सार्वजनिक कार्य ठेका’ में उचित हिस्सा मिले? क्या तकनीकी और वित्तीय बोली के साथ अब धार्मिक कोटा भी होगा? क्या मुस्लिमों के पक्ष में योग्य बोलीदाताओं की अनदेखी की जाएगी?”
भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी से पूछा, “क्या सार्वजनिक ठेका हासिल करने के लिए हिंदुओं को अल्पसंख्यकों बनना होगा, भले ही वे स्वयं ऐसा करने में सक्षम हों? क्या यह ‘टेंडर घोटाला’ की नींव नहीं रख रहा है?”
उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस न केवल एससी/एसटी/ओबीसी की संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है, सोना और उनके मंगलसूत्र सहित हिंदू महिलाओं की छोटी बचत को अपने कब्जे में लेना चाहती है और इसे अल्पसंख्यकों के बीच वितरित करना चाहती है, बल्कि उन्हें सम्मान के साथ आजीविका कमाने के अवसरों से भी वंचित करना चाहती है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह विरासत कर, सोना और मंगलसूत्र सहित कांग्रेस के विभाजनकारी मुद्दों को जनता के सामने ला चुके हैं। इन दोनों नेताओं ने अपनी कई जनसभाओं में इन मुद्दों का जिक्र किया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र की वास्तविक सच्चाई सामने आने के पार्टी बौखलाई हुई भी नजर आ रही है।
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