दिल्ली हाई कोर्ट के केजरीवाल की गिरफ़्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते ही अभिषेक मनु सिंघवी दौड़े सुप्रीम कोर्ट CJI चंद्रचूड़ जी की शरण में कि तुरंत सुनवाई कीजिए लेकिन उन्होंने उसे याचिका दायर करने का तरीका समझा दिया और आज सुनवाई के लिए बेंच तय कर दी जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की।
जिस हाई कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था, उसी कोर्ट के सामने ED द्वारा की गई गिरफ़्तारी को चुनौती देना सिंघवी की कोई समझदारी नहीं थी। उसे समझ नहीं आया कि अपने फैसले में जो बिंदुवार टिप्पणियां हाई कोर्ट ने की, वो बहुत Damaging थीं जिससे केजरीवाल का केस और कमजोर हो गया।
फिर भी कमजोर पड़े केस को न जाने क्या सोच कर सिंघवी सुप्रीम कोर्ट ले गए और वहां भी वही घिसी पिटी दलील रखी कि चुनाव में हमें प्रचार से रोका जा रहा है, हमारी याचिका तुरंत सुनी जाए। जस्टिस खन्ना ने सिंघवी की एक नहीं सुनी और बड़े कायदे से उसकी ऐसी तैसी कर दी कि जो याचिका में आपकी दलीले हैं हमने पढ़ ली हैं लेकिन उस पर ED का जवाब भी लेना होगा जिसके बिना सुनवाई हो ही नहीं सकती।
ED को 24 अप्रैल तक का समय दिया जवाब देने के लिए और सिंघवी को 26 अप्रैल तक अगर कोई rejoinder देने हो। फिर 29 को सुनवाई करेंगे। यानी एक तरह सिंघवी को बता दिया गया कानून में सब बराबर हैं चाहे “दिल्ली का राजा” हो या कोई रंक हो।
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“आप” के लोगों का दुष्प्रचार जम कर चल रहा है कि हमारी पार्टी के खिलाफ साजिश हो रही है, केजरीवाल को गिरफ्तार ही पार्टी को ख़त्म करने के लिए किया गया है। कोर्ट के फैसले आते ही शोर मचाते हैं भाजपा साजिश कर रही है। ईमानदार लोगों को जेल में डाला जा रहा है तो कौन राजनीति में आएगा।
आज भगवंत मान ने और शिगूफा छेड़ा है, उसने केजरीवाल से तिहाड़ में मिलने के बाद कहा है कि केजरीवाल के साथ Criminals की तरह बर्ताव किया जा रहा है, जो भी सुविधाएं Hard Core Criminals को मिलती हैं, वो भी केजरीवाल को नहीं दी जा रही। कुछ दिन पहले आपियों ने शोर मचाया था कि केजरीवाल का वजन 4 किलो कम हो गया। अब कोई पूछे कि तुमने वजन कैसे नाप लिया जेल में जा कर जबकि यह काम जेल कर्मचारी कर सकते हैं और उन्होंने पाया है कि उसका वजन एक किलो बढ़ा है।
एक ढोल और पीटते हैं “आप” वाले, केजरीवाल सरकार जेल से चलाएंगे। कानूनी पहलू छोड़िए, जो काम Practically होना नामुमकिन है, उस पर भी कोर्ट ध्यान नहीं दे रहा ये बात समझ से परे है। कोर्ट कहता है कि आज तक कोर्ट ने कोई मुख्यमंत्री को नहीं हटाया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हटा ही नहीं सकता। कभी तो इस काम को शुरू किया जा सकता है।
अब तक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा न देने के पीछे बहुत गहरा षड़यंत्र है। जिसका पर्दाफाश सिर्फ सुरक्षा जाँच एजेंसियां ही कर सकती है। आखिर जिस कांग्रेस की शिकायत पर घोटाले की जाँच हो रही है, उसी पार्टी का वरिष्ठ नेता केस की पैरवी करे बहुत कुछ चीख-चीख कर कह रही है। जिस पर गंभीरता से कोर्ट, ED, सीबीआई और राष्ट्रीय सुरक्षा जाँच एजेंसियों के अलावा अजित डोवाल को संज्ञान लेना होगा। केजरीवाल बहुत मोटी खाल का बना दिया गया है, आसानी से नहीं कबूलेगा। शराब घोटाले से ज्यादा संगीन मुद्दा देश की सुरक्षा का है।
आज तो केजरीवाल घोटाले के आरोप में जेल में है जो सरकार जेल से चलाने की जिद कर रहा है, कल को कोई मुख्यमंत्री “हत्या” के आरोप में जेल में हो, तो क्या वह भी जेल से सरकार चला सकता है, इसका जवाब भी अदालत को ढूंढना चाहिए। केजरीवाल को न हटा कर अदालत अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रही है (shirking from responsibility)।
पार्टी भी अच्छी तरह जानती है कि केजरीवाल तो बाहर नहीं आने वाला, लेकिन तिहाड़ जाने से पहले आतिशी मार्लेना, सौरभ भारद्वाज का नाम ले दिया, और कितने लोग गिरोह में शामिल है थर्ड डिग्री में ही कबूलेगा। आसानी से नहीं कबूलने वाला। आतिशी और सौरभ तो केवल प्यादा है। लेकिन हैं राजदार।
केजरीवाल राम मंदिर का विरोध करता रहा पर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी कराता रहा, राम मंदिर भी चले गए लेकिन उसे पता नहीं समय के अनुसार राम की लाठी चलती है, प्रभु सब नाटक समझते हैं। वो भूल गया उसने ही कहा था कि जो राम मंदिर किसी मस्जिद को गिरा कर बना हो तो उसमे नहीं जाना चाहिए। फिर भगवान को तुम्हारा वहां जाना कैसे स्वीकार होगा।



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