मोदी पागलों की तरह 400+ सीट क्यों चीख रहा है? हिन्दुओं और देश-शांतिप्रिय मुसलमानों इस चीख के दर्द को कब समझोगे? नींद से जागो कहीं बहुत देर न हो जाए !

 

इतिहास साक्षी है कि कुछ हिन्दू जयचन्दों के कारण इस्लामिक जेहादी, जिन्हे मुग़ल बादशाह कहा जाता है, इंद्रप्रस्थ वर्तमान हिन्दुस्तान पर कब्ज़ा कर सके। अगर इन जयचन्दों ने गद्दारी नहीं की होती किसी माई के लाल में इंद्रप्रस्थ पर कब्ज़ा करने की हिम्मत नहीं थी। जो इतिहासकार कहते हैं कि "दुनिया को फ़तेह करने वाला सिकंदर जब दुनिया से गया, खाली हाथ गया", उन गद्दार इतिहासकारों  से पूछो कि विराट हिन्दू सम्राट पोरस ने जिस सिकंदर को हिन्दुस्तान की धरती पर कदम रखते ही इतना मारा था, कि अपनी जिन्दगी में मुड़कर कभी भारत की तरफ देखा नहीं, क्या वह कोई और सिकंदर था? हिन्दुओं यह वास्तविक इतिहास की मात्र एक झलक है। पूरी फिल्म तो 2024 में नरेंद्र मोदी को 400+ सामने आएगी।    

नरेंद्र मोदी जो पागलों की चीख-चीखकर 400+ सीटों के लिए क्यों भीख मांग रहा है। जिसे फिरकापरस्त समझ रहे हैं, लेकिन मासूम शांतिप्रिय जनमानस नहीं। अगर 380 भी सीटें इस मोदी की झोली में आ गयीं, दोस्तों हिन्दू मुसलमानों के नाम पर दंगा करवाकर उनकी लाशों पर बैठ मालपुए खाने वाले जितने भी हैं कट्टरपंथी-हिन्दू या मुसलमान- अपनी मौत मरने लगेंगे। वैसे तो देश के सामने धीरे-धीरे देश का गौरवशाली इतिहास आना शुरू हो चुका है, बस उसमें और गति आ जाएगी। उस समय हर शांतिप्रिय मुसलमान भी इन कट्टरपंथियों के विरुद्ध लड़ाई में मोदी सरकार के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर खड़ा होगा। 

जो मुसलमान गुजरात 2002 दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी का विरोध करते हैं, उन्हें सच्चाई जाननी चाहिए। इन कट्टरपंथियों के चुंगल से बाहर निकलो। गुजरात दंगों का इतिहास देखो। मोदी ने किसी दंगाई को नहीं बक्शा। किसी भी बेगुनाह को नहीं पकड़ा। आज गुजरात शांत है। सेवानिर्वित होने के बाद एक हिंदी पाक्षिक को सम्पादित करते लिखा था शीर्षक "अगर मोदी साम्प्रदायिक है फिर इन दंगों का दोषी कौन?

कहते हैं भगौने में पक रहे चावलों में से एक चावल को ही देखा जाता है कि चावल पका या नहीं। यानि राहुल गाँधी के छिपे मनसूबे के बाहर आने से अगर कोई होश में नहीं आता तो उससे बड़ा अंधा दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा। जो राहुल और कांग्रेस पार्टी राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को राजीव गाँधी की तरह शाहबानो की तर्ज पर बदलने का ख्वाब देख रहा है, यानि देश को फिर हिन्दू-मुस्लिम दंगों की आग में झोंकने पर काम कर रहा है। जिससे प्रभावित होकर दुबई में बैठे कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन कांग्रेस को वोट करने की अपील कर रहे हैं। विदेशों में बैठे इन सभी उपद्रवियों को कुचलने में सक्षम तभी होंगे, जब केंद्र में मजबूत सरकार होगी।  नींद से जागो कहीं बहुत देर न हो जाए।   

“मोदी 400 सीटें क्यों माँग रहा है, यह देश को जानना जरूरी है। मोदी को 400 सीटें चाहिए ताकि मैं INDI गठबंधन की हर साजिश को रोक सकूँ। मोदी को 400 सीट चाहिए ताकि कॉन्ग्रेस अयोध्या में राम मंदिर पर बाबरी ताला ना लगा दे।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार (7 मई, 2024) मध्य प्रदेश के धार में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस जनसभा में पीएम मोदी ने राम मंदिर को लेकर बात करते हुए बताया कि उन्हें 400 सीट क्यों चाहिए। पीएम मोदी ने कहा है कि उनकी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए ताकि कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर पर बाबरी ताला ना लगा दे।

मोदी के इस बयान से ठीक एक दिन पहले आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी इसी तरह की साजिशों का दावा किया था। तीन दशक तक कांग्रेस नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बताया था राहुल गाँधी कांग्रेस सरकार बनने पर राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटने की योजना बना चुके थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का राम मंदिर को लेकर फैसला पलटने की बात राहुल गाँधी ने एक मीटिंग में की थी।

मोदी और आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस की राम मंदिर की मंशा को लेकर जो आशंका व्यक्त कर रहे हैं, वह हवा-हवाई नहीं है। कांग्रेस का राम मंदिर को लेकर जो दृष्टिकोण रहा है और अतीत में उसने जो किया है, उससे लगता है कि यदि कांग्रेस सरकार में आती है तो तुष्टिकरण के एजेंडे को धार देने के लिए वह फिर से कोई तिकड़मी रास्ता अपना सकती है।

कांग्रेस आजादी के बाद से ही राम मंदिर को लेकर किए गए प्रयासों में रोड़ा अटकाते आई है और इसके लिए प्रयास करने वालों को दण्डित तक किया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक राम मंदिर में मूर्तियाँ हटाने को लेकर पत्र लिख रहे थे।

कांग्रेस के इन प्रयासों का बड़ा उदाहरण ICS अधिकारी केके नायर को लेकर की गई कार्रवाई है। नायर को 1 जून, 1949 को  अयोध्या (फैजाबाद) के उपायुक्त सह जिला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया था। अयोध्या का वह दौर उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया था। नायर को राम जन्मभूमि मुद्दे पर एक रिपोर्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश की कांग्रेस सरकार की तरफ से एक पत्र मिला था।

इस मुद्दे पर रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए उन्होंने अपने सहायक गुरु दत्त सिंह को भेजा। जिसके बाद 10 अक्टूबर, 1949 को सिंह ने अपनी रिपोर्ट में, उस स्थान पर एक भव्य राम मंदिर के निर्माण की सिफारिश की। सिंह ने स्थल का दौरा कर यह देखा कि उस स्थल के लिए हिंदू और मुस्लिम आपस में लड़ रहे थे।

उन्होंने लिखा, ”हिंदू समुदाय ने इस आवेदन में एक छोटे मंदिर के बजाय एक विशाल मंदिर के निर्माण का सपना देखा है। इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं है। उन्हें अनुमति दी जा सकती है। हिंदू समुदाय उस स्थान पर एक अच्छा मंदिर बनाने के लिए उत्सुक है, जहाँ भगवान रामचंद्र जी का जन्म हुआ था। जिस भूमि पर मंदिर बनाया जाना है, वह नजूल (सरकारी भूमि) है।” हालाँकि, हिन्दुओं को तब की कॉन्ग्रेस सरकार ने मंदिर बनाने की अनुमति नहीं दी। इसके उलट रामलला विराजमान की मूर्तियों को हटाने का आदेश जरूर दिया गया।

नेहरू का निर्देश, फिर भी नहीं झुके केके नायर

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्देश पर, उत्तर प्रदेश के कांग्रेस मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने राम मंदिर से हिंदुओं को बेदखल करने की कोशिश की। हालाँकि, केके नायर ने हिन्दुओं को राम मंदिर से हटाने का निर्णय मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आदेश नहीं माना। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंदू उस स्थल पर पहले से पूजा कर रहे हैं। नायर ने राम मंदिर से मूर्तियों को हटाने से भी इनकार कर दिया। कॉन्ग्रेस सरकार ने नायर को इसकी सजा दी और उन्हें जिला मैजिस्ट्रेट के पद से भी निलंबित कर दिया।
यानी जिस अधिकारी ने देश की बहुसंख्यक आबादी की आस्था को चोट पहुँचाने से इनकार कर दिया, उसे कांग्रेस ने निलम्बित करके अपना बदला लिया। हालाँकि,नायर ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुकदमा लड़ा था और उन्हें अपना ICS का पद वापस मिल गया था। राम मंदिर के लिए प्रयास करने वाले नायर बाद में सांसद बने थे। उनकी पत्नी भी सांसद बनी थीं। हिन्दुओं के पूजा अधिकार को ना छीनना कांग्रेस को लम्बे समय तक चुभता रहा और इंदिरा गाँधी ने नायर और उनकी पत्नी को आपातकाल के दिनों में गिरफ्तार भी करवाया था।
लेकिन इन घटनाओं से समझा जा सकता है कि कांग्रेस यदि सत्ता में होती है तो वह राम मंदिर को लेकर कैसा रुख अपनाती है। इसका एक और उदाहरण 1992 में लाया गाया प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट है, जो कि हिन्दुओं को उनसे छीने गए पूजास्थलों पर दावा करने से रोकता है।
ऐसे में पहले आचार्य प्रमोद कृष्णम का कांग्रेस की राम मंदिर को लेकर योजना बताना और फिर पीएम मोदी का इस शंका को लेकर चेताना, सामान्य बात नहीं है। पुराने उदाहरणों ने यह सिद्ध किया है कि कांग्रेस सत्ता में रहते हुए राम मंदिर के विरुद्ध काम करते आई है।

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