कांग्रेस पार्टी अच्छी तरह जानते हुए कि गाँधी परिवार को कोई गंभीरता से नहीं लेता। परिवार जितना मुंह खोलेगा, उतना हो पार्टी को नुकसान हो रहा है। जहाँ तक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आदिवादी होने पर जो मिथ्या आरोप लगाया जा रहा है, आरोप लगाने से पहले राहुल और सारी कांग्रेस पार्टी देश को बताए कि सोनिया गाँधी को अध्यक्ष बनाने के लिए जिस अध्यक्ष सीताराम केसरी को पार्टी ऑफिस से बाहर फेंका था, वह कौन-सी जात का था?
आजकल राहुल “कालनेमि” एक बेलगाम सांड की तरह घूम रहा है और जो मुंह में आता है बोल देता है चाहे कैसी भी अर्थहीन बात क्यों न हो।
अब एक नया आरोप मढ़ दिया राहुल ने कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में इसलिए नहीं निमंत्रण नहीं दिया गया क्योंकि वो एक आदिवासी हैं।
इससे घटिया सोच राहुल और कांग्रेस की हो नहीं सकती जो ऐसे समाज को तोड़ने वाले बयान देने शुरू कर दिए। आखिर उसे कैसे पता चला कि उन्हें निमंत्रण नहीं दिया गया जबकि चम्पत राय, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव ने साफ़ कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को निमंत्रण दिया गया था।
सवाल यह उठता है कि राहुल “कालनेमि” और उसकी पार्टी के और विपक्ष के अनेक नेताओं को निमंत्रण दिया गया तो उन्होंने क्या घुईयां उखाड़ ली। सब नेता एक ही तरह का ढोल गले में डाल बजाते रहे कि यह भाजपा का कार्यक्रम है लेकिन एक ने भी नहीं सोचा कि प्राण प्रतिष्ठा तो भगवान राम की हुई थी। कैसे सोचते क्योंकि ऐसा सोचने से मुसलमान जो “नाराज” हो जाते।
लेखक चर्चित यूटूबर |
फिर आज जो द्रौपदी मुर्मू जी के लिए जो टसुए बहा रहा है राहुल “कालनेमि” वह बताएं कि उनकी पार्टी ने चुनाव में समर्थन क्यों नहीं किया। राहुल को याद होना चाहिए कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी के नेता अजोय कुमार ने कहा था - “द्रौपदी मुर्मू भारत की बुराई का प्रतिनिधित्व करती हैं (उन्हें Evil Philosophy का प्रतिनिधि कहा) और उन्हें "आदिवासी प्रतीक" नहीं कहना चाहिए, अजोय कुमार ने आगे कहा कि देश में अनुसूचित जाति के लोगों की स्तिथि बहुत ख़राब हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के "फ़िक्सर" मक्कार वकील प्रशांत भूषण ने दो फोटो जोड़ कर मुर्मू को भागवत जी के सामने सिर झुकाये खड़ा दिखा कर सवाल कर दिया क्या ऐसी महिला रबर स्टैम्प नहीं होगी।
ऐसा सब कुछ द्रौपदी मुर्मू को नाकाबिल साबित करने और उनमें और पुरे आदिवासी समुदाय में हीं भावना पैदा करे के लिए किया गया था और आज राहुल गांधी उसी आदिवासी समुदाय को भड़काना चाहता है।
कितना ही भड़का ले राहुल “कालनेमि” आदिवासियों और अनुसूचित जातियों को, उनमे कांग्रेस की दाल नहीं गलने वाली। कांग्रेस की 2019 के चुनाव में SC/ST की 131 लोकसभा सीटों में केवल 9 सीट थी जबकि भाजपा की 77 सीट थी। अबकी बार कांग्रेस का SC/ST सीटों में सूपड़ा ही साफ़ हो जायेगा।
आज द्रौपदी मुर्मू जी के साथ हमदर्दी का कोई मतलब नहीं है जब राष्ट्रपति के चुनाव में सारा विपक्ष यशवंत सिन्हा के साथ खड़ा था। राहुल गांधी - Get Lost - अभी तुम 60 साल के नहीं हुए लेकिन “सठिया” गए हो।
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