अरविन्द केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट की पीठ को गुमराह कर अपने electronic devices के पासवर्ड नहीं बताने का कारण सामने आने शुरू हो रहे हैं। पीठ ED को पासवर्ड तोड़ने का आदेश क्यों नहीं दे रही? शराब घोटाला, जल बोर्ड घोटाला, वक़्फ़ बोर्ड घोटाला और जो दिल्ली महिला आयोग में घोटाला सामने आया है, इससे भी भयंकर घोटाले बाहर आने को बेचैन हो रहे हैं। केजरीवाल भी महिला आयोग में हुए घोटालों से इंकार नहीं कर सकता। Too many heads to roll.
दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग के 223 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है। इनकी नियुक्तियाँ दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने गलत तरीके से की थी। दिल्ली महिला आयोग के पास सिर्फ 40 कर्मचारियों का कोटा है, लेकिन स्वाति मालीवाल ने नियमों को अनदेखा करते हुए बिना उपयुक्त मंजूरी के ही इनकी नियुक्ति की थी।
इस मामले का खुलासा वेतन देते समय हुआ था, जब एक महिला कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपना वेतन माँगा था। अब एलजी ने जाँच के बाद इस पर एक्शन लिया है और गलत तरीके से की गई सभी भर्तियों को रद्द कर दिया है। इस भर्ती घोटाले का समय 2016 का है, जब दिल्ली के वक्फ बोर्ड में भर्ती घोटाले को अंजाम दिया गया था। उस मामले में वक्फ बोर्ड के दो बार अध्यक्ष रहे ओखला से आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान को जेल भी जाना पड़ा था। वक्फ बोर्ड में 2016 में फर्जी नियुक्तियों के बाद 2019 में भी अवैध तरीके से 32 नियुक्तियाँ की गई थी।
वहीं, दिल्ली महिला आयोग में 223 लोगों को अवैध तरीके से भर्तियाँ की गई थी, जिन्हें दिल्ली के एलजी ने नौकरी से निकाल दिया है। दिल्ली प्रशासन द्वारा जारी एलजी के आदेश पत्र में सभी बिंदुओं को विस्तार से बताया गया है। इन कर्मचारियों को स्वाति मालीवाल द्वारा वित्त विभाग/दिल्ली एलजी की मंजूरी के बिना नियुक्त किया गया था। यही नहीं, दिल्ली महिला आयोग के पास इन 223 लोगों को संविदा कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करने की शक्ति भी नहीं थी, और न ही इतनी नियुक्तियों की जगह ही थी। दिल्ली महिला आयोग अधिनियम द्वारा इस विभाग में 40 पदों का ही सृजन किया गया था। ऐसे में स्वाति मालीवाल ने नियमों को अनदेखा कर इनकी नियुक्तियाँ की थी।
223 employees from the Delhi Women Commission have been removed with immediate effect on the order of Lieutenant Governor VK Saxena. It is alleged that the then chairperson of the Delhi Women Commission, Swati Maliwal, had appointed them without permission, going against the… pic.twitter.com/wMZmaTuX9l
— ANI (@ANI) May 2, 2024
इस मामले में दिल्ली महिला आयोग के जुड़े सचिव ने उन्हें चेताया भी था और स्वाति मालीवाल को बताया भी था कि वो बिना वित्त विभाग की मंजूरी के नियुक्तियाँ नहीं कर सकती। पहले इसके लिए पद का सृजन होना चाहिए। लेकिन स्वाति मालीवाल ने सलाह को दरकिनार करते हुए ये भर्तियाँ की। इन भर्तियों की शिकायत सचिव ने की थी, साथ ही ये मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी गया था, जब वेतन न मिलने पर एक महिला कर्मचारी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
स्वाति मालीवाल साल 2015 में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनी थी और अगले ही साल उन्होंने ये नियुक्तियाँ की थी। दिल्ली महिला आयोग नें 223 नियुक्तियों के बाद से वेतन का मामला लगातार उठता रहा था और कर्मचारियों को हाई कोर्ट की शरण में जाने के बाद वेतन मिल रहा था। इस मामले की जाँच के बाद ही अब एलजी ने ये कदम उठाया है। कुछ लोग इस मामले में भ्रष्टाचार का अंदेशा भी जता रहे हैं कि कहीं इन नियुक्तियों की आड़ में दिल्ली वक्फ बोर्ड की तरह भ्रष्टाचार तो नहीं किया गया।
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