ईडी/बी नागेंद्र (साभार: इंडियन एक्सप्रेस)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की भ्रष्टाचार नीति को कांग्रेस ने भी अपना ली है। उल्टे-सीधे मुद्दे उठाकर सुर्ख़ियों में रहने वाली पॉलिसी को तो पहले ही कांग्रेस पालन कर रही है। कर्नाटक के वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाले के पैसों का इस्तेमाल शराब खरीदने और लोकसभा चुनाव के दौरान गाड़ियों की खरीद में किया गया था। ईडी ने बुधवार (17 जुलाई 2024) को इसका खुलासा किया। ईडी ने इस मामले में कांग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री बी नागेंद्र को गिरफ्तार किया है। नागेंद्र 18 जुलाई तक ईडी की हिरासत में हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने बताया है कि विधायक बी नागेंद्र से जुड़े लोग “फंड डायवर्जन और कैश मैनेजमेंट” में शामिल हैं। एजेंसी ने दावा किया कि “आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 18 फर्जी खातों में (वाल्मीकि निगम के फंड से) करीब 90 करोड़ रुपए भेजे गए थे। फिर डायवर्ट किए गए फंड को फर्जी और फर्जी खातों के जरिए बाँट दिया गया। इन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में शराब खरीदने और गाड़ियों को खरीदने में किया गया।
इस बीच, ईडी अधिकारी पूर्व मंत्री बी नागेंद्र की पत्नी मंजुला को शहर के डॉलर्स कॉलोनी स्थित आवास से बेंगलुरु के शांतिनगर स्थित ईडी दफ्तर ले गए। वहाँ मंजुला से काफी देर तक पूछताछ की। बता दें कि बी नागेंद्र की हिरासत अवधि गुरुवार (18 जुलाई 2024) को समाप्त हो रही है, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। ईडी बी नागेंद्र की हिरासत बढ़ाने की माँग करेगी।
बता दें कि ईडी ने बीते गुरुवार (12 जुलाई 2024) को कर्नाटक के कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र को गिरफ्तार किया था। उनके घर पर 2 दिनों की छापेमारी के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। नागेंद्र को कर्नाटक के वाल्मीकि निगम में करोड़ों के अवैध ट्रांसफर घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया है।
बी नागेन्द्र ने जून माह में सिद्दारमैया सरकार से मंत्रिपद से इस्तीफ़ा दे दिया था। वह सिद्दारमैया सरकार में अनुसूचित जनजातीय कल्याण मंत्री थे। उन्होंने यह इस्तीफ़ा कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति कल्याण विकास निगम (KMVSTDC) में करोड़ों की गड़बड़ी में नाम सामने आने के बाद दिया था।
बी नागेन्द्र जी जिस महर्षि वाल्मीकि फंड घोटाले में गिरफ्तार किए गए हैं, उसकी जाँच CBI, ED और राज्य सरकार की SIT कर रही है। यह पूरा मामला लगभग 95 करोड़ रूपए के सरकारी धन के दुरुपयोग और उसके अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए जाने से जुड़ा हुआ है।
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