ये ऐसे वकील हैं सुप्रीम कोर्ट में जिन पर सोशल मीडिया में लोग जैसे मर्जी प्रहार करते रहें, इन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता चिकने घड़े की तरह। अब समय आ गया है सुप्रीम कोर्ट के जजों को इनसे दूरी बना लेनी चाहिए वरना उनके मुंह पर भी कालिख पुतनी तय है, कौन जाने अभी भी कोई उनके और इन दलाल वकीलों की पीछे लगा हो सबूत जुटाने के लिए और जिस दिन भेद खुल गया, उस दिन वो जज भी कहीं के नहीं रहेंगे।
सिब्बल अब लपेटे में आ गया है सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में। कोलकाता RG Kar कॉलेज का केस कुछ नहीं सुलझा सुप्रीम कोर्ट में लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए Task Force के गठन को ही सिब्बल अपनी जीत समझ रहा है। उसने SCBA की तरफ से एक प्रस्ताव (Resolution) पास किया बताते हुए चीफ जस्टिस को 21 अगस्त को पत्र लिख कर धन्यवाद कर दिया इस टास्क फोर्स के गठन के लिए।
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लेखक चर्चित YouTuber |
केजरीवाल द्वारा सिब्बल का Swiss Bank account No गूगल पर भी देखने से मिल जाता था लेकिन अब गायब है। अब search किया तो नहीं मिला। सिब्बल ने उसे वहां से भी गायब करा दिया लगता है लेकिन तुषार मेहता ने कोर्ट में कह दिया कि वो आपके आज के साथी ही बताया करते थे।
अब बात करते हैं अभिषेक मनु सिंघवी की। उसके एक हिन्दू विरोधी दिलीप मंडल पर घिनौना तंज कस दिया। मंडल को किन्हीं “अज्ञात कारणों” से I & B मंत्रालय में media advisor बनाया गया और फिर नियुक्ति रोक दी गई।
अब बारी थी दिलीप मंडल की उसने X पर सिंघवी को ऐसा पेला कि निश्चित रूप से केजरीवाल की भाषा में पैंट गीली हो गई होगी। उसने धमकी दी, चंद्रचूड़ तुम्हारा सहपाठी होगा, मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैं तुम्हारी 2012 की Sex CD बाजार में खोल दूंगा और अगर contempt of court लगेगा तो जुर्माने का एक रुपया चंदा इकठ्ठा करके भर दूंगा। मंडल ने पूरी तरह सिंघवी को बुरके में छिपा दिया।
मैंने आज सिंघवी की Sex CD का मामला सर्च किया तो पाया कि 13 अप्रैल, 2012 को दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस रीवा खेत्रपाल ने “आज तक, India Today और Headlines Today” और मुकेश कुमार लाल को पर रोक लगा दी “publishing, broadcasting, disseminating or distributing in any form or manner the contents of any alleged CD or any other material”.
सिंघवी ने कहा था कि उसके ड्राइवर ने वो कथित CD मुझसे पैसा ऐंठने के लिए प्रकाशित की है, वह फर्जी है। “CD either does not exist or if it does, it is clearly and obviously morphed, fabricated and forged”.
आनन फानन में जस्टिस खेत्रपाल ने कहा कि इससे सिंघवी की प्रतिष्ठा को irreparable damage हो सकता है और यह केस ऐसा ही इसमें ex-parte injunction देना बनता है और दे दिया।
लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि क्या सिंघवी की जगह कोई अन्य साधारण व्यक्ति होता तो क्या तब भी कोर्ट ऐसा ही आदेश देता। एक CD सामने है, सिंघवी कह रहा है कि फर्जी है तो क्या उसकी बात पत्थर की लकीर है, ऐसे केस में CD की “Forensic जांच” होनी जरूरी थी लेकिन कुछ नहीं हुआ। मतलब वह अगर दोषी भी हो सकता था तो भी खेत्रपाल ने तो उसे बरी ही कर दिया और आज चौड़ा हो कर बेशर्मों की तरह हर अदालत में प्रैक्टिस कर रहा है और एक बार फिर राज्यसभा पहुंच गया।
सिब्बल, सिंघवी, प्रशांत भूषण और सुप्रीम कोर्ट के जजों के करीब वकीलों की संपत्ति का “Forensic Audit” होना चाहिए। प्रशांत भूषण की PIL Industry की गहन जांच होनी चाहिए कि पैसा कहां से आता है। इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट में कोई तारीख 3 महीने से पहले की नहीं मिलनी चाहिए।
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